INDvsSA: इन 7 बल्लेबाजों ने टीम इंडिया की उम्मीदों पर फेरा पानी
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INDvsSA: इन 7 बल्लेबाजों ने टीम इंडिया की उम्मीदों पर फेरा पानी

एक नजर डालते हैं उन खिलाड़ियों पर जिनकी परफॉर्मेंस दक्षिण अफ्रीका में बेहद खराब रही. 

भारत के लिए दक्षिण अफ्रीकी दौरा अभी तक चुनौतियों से पूर्ण रहा है

नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका में भारतीय क्रिकेट टीम का दुःस्वप्न जारी है. तीन टेस्ट मैचों की सीरीज शुरुआती दोनों मैच हार कर भारत गंवा ही चुका है. ऐसे में यदि तीसरा टेस्ट मैच भारत जीत भी जाता है तो उससे कोई बहुत परिवर्तन नहीं होने वाला. बस इतना होगा कि विराट कोहली और उनकी टीम के जख्म कुछ हद अपने सम्मान की रक्षा कर सकता है. भारत ने पहला टेस्ट 72 रनों से और दूसरा 135 रनों से खो दिया. इन दोनों टेस्ट मैचों में कुछ खिलाड़ियों ने अच्छा परफॉर्म किया, लेकिन अधिकांश खिलाड़ी नाकामयाब ही रहे- खासतौर पर भारतीय बल्लेबाज. वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए. 

  1. भारत तीन टेस्ट मैच की सीरीज में दो मैच हार चुका है
  2. सीरीज में अब तक बल्लेबाजों का प्रदर्शन का स्तर शर्मनाक
  3. तीसरा टेस्ट जोहानिसबर्ग में 24 जनवरी से खेला जाएगा

आइए एक नजर डालते हैं उन खिलाड़ियों पर जिनकी परफॉर्मेंस दक्षिण अफ्रीका में बेहद खराब रहीः 

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1. केएल राहुल: पहले टेस्ट में शिखर धवन की असफलता के बाद दूसरे टेस्ट मैच में उनकी जगह केएल राहुल को खिलाया गया. ऐसा कहा गया कि राहुल तकनीकी रूप से मजबूत बल्लेबाज हैं. विदेशों में वह ठीक-ठाक प्रदर्शन करते रहे हैं. 6 मैचों की 9 पारियों में राहुल ने 42.22 की औसत से 380 रन बनाए हैं. लेकिन दूसरे टेस्ट में, सुपर स्पोर्ट पार्क, सेंचुरियन में केएल राहुल अपनी प्रतिभा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए. बेशक किसी को केवल एक मैच की परफॉर्मेंस के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता, लेकिन जिस तरह दोनों पारियों में राहुल आउट हुए उससे उनकी प्रतिभा संदेह के घेरे में आ गई है. हम सिर्फ यह उम्मीद ही कर सकते हैं कि तीसरे टेस्ट में यदि उन्हें मौका मिला तो वे बढ़िया प्रदर्शन करेंगे. 

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2. शिखर धवन: ओपनर शिखर धवन के लिए साल 2017 उनके पूरे करियर का सबसे बढ़िया साल रहा. उन्होंने 5 मैचों की 8 पारियों में 550 रन बनाए, लेकिन दक्षिण अफ्रीका पहुंचते ही शिखर का बल्ला मानो सो गया. पहले टेस्ट मैच में, वह दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों के सामने कभी सहज नजर नहीं आए. पहले टेस्ट की दोनों ही पारियों में उन्होंने 16-16 रन बनाए. इसी के चलते उन्हें दूसरे टेस्ट में बाहर बैठना पड़ा. 

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3. रोहित शर्मा: अजिंक्य रहाणे की जगह रोहित शर्मा को खिलाने के फैसले की कप्तान विराट कोहली की हर जगह आलोचना हुई. हालांकि, रोहित शर्मा की वर्तमान फॉर्म को देखते हुए उनके फैसले को न्यायसंगत माना जा सकता है. खासकर इसलिए क्योंकि रोहित ने पिछले साल क्रिकेट के तीनों फॉर्मट में शानदार प्रदर्शन किया है. उन्होंने दो टेस्ट खेले और तीन पारियों में 217 रन बनाए. वह दो बार नॉट आउट रहे. लेकिन दक्षिण अफ्रीका में खेले दो टेस्ट मैचों में ऐसा लगता है कि वह अपना आत्मविश्वास ही खो चुके हैं. उन्होंने चार पारियों में केवल 78 रन बनाए हैं. दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में अवश्य रोहित शर्मा ने अपनी बल्लेबाजी की कुछ झलक दिखाई. अगर उन्हें तीसरे टेस्ट में खेलने का मौका मिलता है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि अपना खोया आत्मविश्वास और फॉर्म हासिल कर लेंगे. 

4. मुरली विजय: जब भी टेस्ट क्रिकेट की बात आती है तो मुरली विजय को सबसे भरोसेमंद ओपनर कहा जाता है, लेकिन वह चार पारियों में केवल 69 रन ही बना सके. दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में वह अच्छे टच में दिखाई दे रहे थे लेकिन उन्होंने केशव महाराज को अपनी विकेट तोहफे में दे दी. वह उस समय 46 रन बनाकर खेल रहे थे. रहाणे की अनुपस्थिति में पुजारा, कोहली और मुरली विजय पर ही भरोसा किया जा सकता था. लेकिन मुरली विजय ने चुनौती के सामने घुटने टेक दिए. 

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5. चेतेश्वर पुजारा: पुजारा को इस समय दुनिया के बेहतरीन टेस्ट बल्लेबाजों में गिना जाता है. पुजारा ने अब तक 56 टेस्ट मैच खेले हैं और 4445 रन बनाए हैं. उनका औसत 51.09 रहा है. पिछले साल उन्होंने 11 मैचों की 18 पारियों में 67.05 की औसत से 1140 रन बनाए, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में खेले दो टेस्ट मैचों में अब तक पुजारा केवल 49 रन ही बना पाए हैं. दूसरे टेस्ट में तो पुजारा ने दोनों पारियों में रन आउट होने वाले पहले भारतीय का शर्मनाक रिकॉर्ड अपने नाम किया. 

6. विराट कोहली और हार्दिक पांड्या: विराट कोहली ऐसे खिलाड़ी माने जाते हैं, जो केवल अपने दम पर किसी भी मैच का पासा पलट सकते हैं. लेकिन दक्षिण अफ्रीका में पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों में विराट असफल रहे. दूसरे टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने शानदार 153 रन बनाए, लेकिन दूसरी पारी में वह एक बार फिर नाकामयाब हो गए. बावजूद इसके कि वह जानते थे कि उनके आउट होने का मतलब है मैच से बाहर हो जाना. लगभग यही स्थिति भावी कपिल देव कहे जाने वाले हार्दिक पांड्या की रही. वह भी पहले टेस्ट की पहली पारी में शानदार 93 रन बनाने के बाद लगातार तीन पारियों में असफल रहे. दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में वह जिस तरह गलत शॉट मार कर आउट हुए उसकी हर ओर आलोचना हुई है. पांड्या यदि रोहित शर्मा के साथ कुछ देर खेल जाते तो मैच का परिणाम बदल सकता था. लेकिन यह सब बस एक कयास हैं. वास्तविकता यही है कि भारतीय बल्लेबाजी पूरी  तरह असफल साबित हुई और यही भारत की हार का मूल कारण है. 

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