प्लेइंग-11 में नहीं मिली जगह तो सचिन तेंदुलकर की बैटिंग पर उठाए थे सवाल, फिर ऐसे खुली विनोद कांबली की पोल
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प्लेइंग-11 में नहीं मिली जगह तो सचिन तेंदुलकर की बैटिंग पर उठाए थे सवाल, फिर ऐसे खुली विनोद कांबली की पोल

Sachin Tendulkar-Vinod Kambli Controversy: विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर का रिश्ता बहुत पुराना है. दोनों एक-दूसरे को 10 साल की उम्र से जानते हैं. दो दशकों से साथ में क्रिकेट खेला और कई उतार-चढ़ाव देखे. इनकी दोस्ती में दरार भी आई.

प्लेइंग-11 में नहीं मिली जगह तो सचिन तेंदुलकर की बैटिंग पर उठाए थे सवाल, फिर ऐसे खुली विनोद कांबली की पोल

Sachin Tendulkar-Vinod Kambli Controversy: विनोद कांबली और सचिन तेंदुलकर का रिश्ता बहुत पुराना है. दोनों एक-दूसरे को 10 साल की उम्र से जानते हैं. दो दशकों से साथ में क्रिकेट खेला और कई उतार-चढ़ाव देखे. इनकी दोस्ती में दरार भी आई. एक बार कांबली ने रियलिटी शो के दौरान चौंकाने वाला दावा करते हुए अपने सबसे अच्छे दोस्तों पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके बुरे समय में उनका साथ नहीं दिया. इसका असर इतना हुआ कि सचिन और कांबली ने कुछ सालों तक एक-दूसरे से बात नहीं की. यहां तक कि जब तेंदुलकर ने संन्यास लिया, तो कांबली का नाम अपने भाषण में नहीं लिया.

इवेंट में साथ दिखे सचिन-कांबली

तेंदुलकर और कांबली के बीच फिर से दोस्ती हो गई और वे फिर से करीब आ गए हैं. मुंबई में गुरु रमाकांत आचरेकर के स्मारक के उद्घाटन समारोह में दोनों को साथ देखा गया. उसका सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो गया. पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने कांबली और उनके चरित्र के बारे में एक वाकया शेयर किया था. उन्होंने स्पोर्ट्सकीड़ा से बातचीत में कांबली के शुरुआती सालों के बारे में बात की थी और बताया था कि कैसे कांबली उनके और सचिन के पीछे पड़ जाते थे.

1992 वर्ल्ड कप की कहानी

मांजरेकर ने कहा था, ''यह कहानी 1992 के वर्ल्ड कप की है, जब विनोद कांबली भारतीय वर्ल्ड कप टीम में थे. कांबली एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके बारे में आप जानते ही होंगे कि वे एक चरित्रवान व्यक्ति हैं. वे मेरे और सचिन के साथ बहुत दोस्ताना व्यवहार रखते थे. वर्ल्ड कप के पहले कुछ मैचों में वे नहीं खेल रहे थे. उनका मूड ठीक नहीं था, वे थोड़े परेशान थे. सचिन और मैं दो स्थापित खिलाड़ी थे, इसलिए हमें सभी मैच मिल रहे थे. लेकिन हर मैच के बाद जब हम मिलते तो वे हमारे पीछे पड़ जाते. वे आलोचना करते- यह क्या बल्लेबाजी है? आप और तेज खेल सकते . वे सचिन को भी नहीं बख्शते थे.''

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कांबली उठाते थे सवाल

मांजरेकर ने आगे कहा था, ''जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच में सचिन और मैंने अच्छी साझेदारी की थी. यह एक छोटा लक्ष्य था और हमने मैच जीत लिया. इसके बावजूद शाम को कांबली ने फिर कहा- मैच और सब ठीक है, लेकिन हम इसे बहुत पहले जीत सकते थे. उन्होंने सचिन से कहा- जॉन ट्रेकोस एक बहुत ही साधारण गेंदबाज है. आप उसे मैदान से बाहर मार सकते थे, आप सिंगल ले रहे थे. सचिन ने कहा- हमारा लक्ष्य मैच जीतना था. लेकिन विनोद ने कुछ नहीं सीखा. अगर कोई एक व्यक्ति है जो सचिन को परेशान कर सकता है, तो वह विनोद कांबली हैं.''

जब मांजरेकर और तेंदुलकर ने किया कांबली पर पलटवार

कांबली ने एक साल पहले यानी 1991 में भारत के लिए पांच वनडे मैच खेले थे और वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 23 और पाकिस्तान के खिलाफ 40 और 30 रन बनाए थे. कांबली ने विश्व कप से पहले कुछ और मैच खेले. उन्हें सिर्फ एक बार बल्लेबाजी करने का मौका मिला लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ सिर्फ 3 रन ही बना पाए. आखिरकार कांबली ने भारत के लिए विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेल लिया.  सचिन और मांजरेकर को दिए गए तमाम सबक के बावजूद वह खुद 41 गेंदों पर 24 रन बनाकर संघर्ष करते रहे. उस शाम मैच के बाद कांबली को स्वाद चखाने की बारी तेंदुलकर और मांजरेकर की थी.

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खुल गई थी कांबली की पोल

मांजरेकर ने कहा, ''यह तब तक होता रहा जब तक विनोद को भारत बनाम पाकिस्तान मैच में मौका नहीं मिला. पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने 54 या 56 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. सचिन और मैं एक-दूसरे को देख रहे थे. मैच के बाद हम विनोद को एक कोने में ले गए और पूछा- क्या हुआ? आपने नेट्स में इतने बड़े छक्के मारे. मैच के दौरान क्या हुआ? फिर उन्होंने कहा- वे बहुत कसी हुई गेंदबाजी कर रहे थे.''

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