भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर जो चार टेस्ट मैच हारी, उनमें से तीन में वह बार-बार जीत के करीब पहुंची.
Trending Photos
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम घर की शेर है. यह एक वाक्य आपने बहुत बार पढ़ा और सुना होगा. इंग्लैंड में 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-4 से हारने के बाद भी कुछ निराश भारतीय प्रशंसक इस लाइन को दोहरा रहे हैं. लेकिन 1-4 वो आंकड़ा है, जो रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया है और हमेशा रहेगा. लेकिन, टेस्ट क्रिकेट पसंद करने वाले वाले खेलप्रेमी इस हारी हुई सीरीज के भी दर्जनों रोमांचक और यादगार लम्हे याद रखेंगे. वे जानते हैं कि भारतीय टीम ने अंग्रेजों को इंग्लैंड में जैसी टक्कर दी, वैसा इससे पहले कम ही हुआ था.
भारत इस सीरीज में चार मैच हारा. इन चार में से तीन मैच में हम कई बार जीत के करीब पहुंचे. पहले टेस्ट में हमें 194 रन का लक्ष्य मिला. हम लक्ष्य से 31 रन दूर रह गए. इसके बाद चौथे टेस्ट मैच में जीत हमसे 60 रन दूर रही. पांचवें टेस्ट में हार का अंतर जरूर ज्यादा (118 रन) दिखता है, पर इस मैच में भी कम से कम दो दिन ऐसे आए, जब अंग्रेज दबाव में थे.
हमने पांचवें टेस्ट के पहले दिन इंग्लैंड के 7 विकेट 198 रन पर झटक लिए थे. इसी तरह पांचवें दिन जब टीम मैदान पर उतरी तो वह जीत से 406 रन दूर थी और तीन विकेट गंवा चुकी थी. इस स्थिति पर कोई भी टीम जीत का सपना देखने का दुस्साहस शायद ही कर पाती. भारतीय टीम ने यह किया. केएल राहुल और ऋषभ पंत ने जब 224 रन की साझेदारी की, तो इंग्लैंड दबाव में था. पर इस जोड़ी के टूटते ही टीम फिर बिखर गई.
इंग्लैंड में जीत का बेहतरीन मौका था...
सुनील गावस्कर, संजय मांजरेकर जैसे दिग्गज मानते हैं कि यह भारतीय टीम के लिए इंग्लैंड में जीत का सबसे बेहतरीन मौका था. वजह- पहली, इस बार हमारी गेंदबाजी बेहद मजबूत थी. दूसरी, इस बार इंग्लैंड की टीम पिछले कुछ सालों की सबसे कमजोर टीम थी. सीरीज में लगभर हर मैच में इंग्लैंड की बल्लेबाजी लड़खड़ाई, जिसे पुछल्लों ने संभाल लिया. भारतीय गेंदबाजों ने हर मैच में अच्छी शुरुआत की, लेकिन वे सैम करेन की 'लक्ष्मण रेखा' पार नहीं कर सके.
तो क्या टीम इंडिया में सब ठीक है?
यकीनन, सब कुछ तो ठीक नहीं है. इस सीरीज में दिखा कि टीम प्रबंधन ने पिच पढ़ने में बार-बार गलती की. इसकी वजह से गलत प्लेइंग इलेवन चुनी और हारी. इसके अलावा एक ऐसी अदृश्य लक्ष्मण रेखा है, जिसे टीम इंडिया पार नहीं कर पा रही है. हमारे गेंदबाज, तब ठिठक जा रहे हैं, जब लगता है कि विरोधी टीम ऑलआउट होने वाली है और विरोधी टीम के पुछल्ले सौ-सवा रन टांग देते हैं. यही बल्लेबाजी में हो रहा है. चौथे टेस्ट में ही हम जीत के बेहद करीब पहुंचकर ऑलआउट हो गए.
KL Rahul departs to a standing ovation after a well made 149.
Live - https://t.co/EhPQPnkoy2 #ENGvIND pic.twitter.com/FbNaAQa5j3
— BCCI (@BCCI) September 11, 2018
... पर टीम के पॉजिटिव भी कम नहीं
आखिरी मैच में शतक बनाने वाले केएल राहुल और ऋषभ पंत आगामी सीरीज में भारत के मैचविनर साबित होने वाले हैं. तेज गेंदबाजों की चौकड़ी तो किसी भी टीम पर भारी पड़ सकती है. विराट कोहली तो जैसे अकेले ही पूरी टीम हों. मौजूदा सीरीज में उन्होंने 593 रन बनाए. जबकि, कोई अन्य बल्लेबाज 400 रन भी नहीं बना सका. और हां, यह मानना छोड़ दीजिए कि ओपनिंग भारत की कमजोरी है. इंग्लैंड में हमारे ओपनरों ने मेजबान टीम के ओपनरों से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है.
ऑस्ट्रेलिया में जीत सकती है यही टीम
भारत-इंग्लैंड सीरीज की बात करें तो सबसे ज्यादा फर्क स्विंग ने पैदा किया. ऑस्ट्रेलिया में यह स्विंग नहीं होगा. यानी, हमारे बल्लेबाजों के लिए ऑस्ट्रेलिया की राह इंग्लैंड के मुकाबले थोड़ा आसान हो सकती है. इसके अलावा हमारे गेंदबाज, तेज गेंदबाजी की मददगार पिच पर ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं. दक्षिण अफ्रीका में हुई सीरीज इसकी मिसाल है, जहां हमने विरोधी टीम को तीनों मैच में ऑलआउट किया.
और अंत में: 20 साल के सैम करेन इस सीरीज में दोनों टीमों के बीच एकमात्र अंतर रहे. 20 साल के करेन ने चार मैच में 272 रन बनाए और 11 विकेट झटके. वे जिन चार मैचों में खेले, इंग्लैंड ने वही सारे मैच जीते. इंग्लैंड ने उन्हें जिस मैच में बाहर बिठाया, वह मैच भी हार गया.