मिडफील्डर जैकसन इस तरह भारत के लिये किसी भी फीफा टूर्नामेंट में गोल करने वाले पहले फुटबॉलर बन गये. पहला मैच जहां पदार्पण के लिहाज से अहम रहा तो दूसरा मैच पहले गोल के लिये इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.
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नई दिल्ली: अपने पहले मैच में शानदार जज्बे से सभी को प्रभावित करने वाले भारत को सोमवार (9 अक्टूबर) को यहां फीफा अंडर-17 विश्व कप के ग्रुप चरण के दूसरे मैच में कोलंबिया से भले ही 1-2 से हार मिली, लेकिन यह मुकाबला भी भारतीय फुटबॉल के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. कोलंबिया के लिये जुआन पेनालोजा ने 49वें और 83वें मिनट में दो गोल, जबकि मेजबान टीम के लिये जैकसन थोनाओजाम ने 82वें मिनट में गोल दागा. मिडफील्डर जैकसन इस तरह भारत के लिये किसी भी फीफा टूर्नामेंट में गोल करने वाले पहले फुटबॉलर बन गये. पहला मैच जहां पदार्पण के लिहाज से अहम रहा तो दूसरा मैच पहले गोल के लिये इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. मेजबान टीम कोलंबिया के लंबी कद काठी के खिलाड़ियों को चुनौती देती दिखी, लेकिन उनके खेल में अनुभव की कमी दिखायी दी क्योंकि मैच में ज्यादातर समय गेंद कोलंबियाई खिलाड़ियों के पास रही. हालांकि अमेरिका के खिलाफ जज्बाती प्रदर्शन से खिलाड़ियों के मैदान पर आत्मविश्वास जरूर बढ़ा हुआ था.
भारतीय कोच लुई नोर्टन डि माटोस मैदान पर खिलाड़ियों को चिल्लाकर इशारों से समझाते दिख रहे थे. वहीं जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में पहले मैच से कहीं ज्यादा मौजूद दर्शकों ने मेजबान खिलाड़ियों के हर मूव पर उत्साह बढ़ाया. भारतीय गोलकीपर धीरज मोइरांगथेम को सोमवार (9 अक्टूबर) को भी कई शानदार बचाव करने के लिये तालियों के रूप में दर्शकों की प्रशंसा मिली. भारत ने 16वें मिनट में एक सुनहरा मौका गंवाया जब अभिजीत सरकार को गोल करने का बेहतरीन अवसर मिला, लेकिन विपक्षी टीम के गोलकीपर केविन मिएर ने इसका उतना ही अच्छा बचाव भी किया.
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कोलंबिया के लिये 37वें मिनट में लिएंडरो कैम्पाज ने क्रॉस को नेट में पहुंचाने के लिये खूबसूरत हेडर लगाया, पर पहले मैच में अमेरिका के कोच से वाहवाही लूटने वाले धीरज ने इसका सफल बचाव किया. पहले हाफ के अंतिम मिनट में सरकार विपक्षी टीम के दो मिडफील्डरों को पीछे छोड़ते हुए नेट की ओर बढ़े, उन्होंने दायीं ओर निनथोइंगंगबा मीतेई को पास दिया जो कामयाब नहीं रहा.
इंजुरी टाइम में डिफेंडर बोरिस थांगजाम के प्रयास से गेंद राहुल कैनोली के पास पहुंची जिन्होंने लंबा शॉट लगाया जो क्रॉसबार से लगकर बाहर चला गया. पहले मैच में घाना से एकमात्र गोल से हारने वाली कोलंबियाई टीम गोल के लिये करने के लिये बेसब्र थी. उसने दूसरे हाफ में आक्रामक खेल दिखाया और आते ही 49वें मिनट में जुआन पेनालोजा ने लंबे शॉट पर गोल दागकर अपनी टीम को 1—0 से आगे कर दिया.
भारतीय डिफेंडर संजीव स्टालिन उनके सामने ही खड़े थे और धीरज के पास भी इस शॉट को रोकने का कोई मौका नहीं था. दो मिनट बाद राहुल को फिर मीतेई के पास पर मौका मिला, लेकिन उनके हेडर शॉट को विपक्षी गोलकीपर मिएर ने आसानी से रोक दिया. माटोस ने 66वें मिनट में अभिजीत सरकार की जगह अनिकेत जाधव को मैदान पर बुलाया. बोरिस थांगजोम की जगह आये नोंगदाम्बा नाओरेम को अगले ही मिनट में अनिकेत जाधव की मदद से बेहतरीन मौका मिला, लेकिन गोल का शानदार प्रयास गोलकीपर ने आराम से बचा लिया.
भारत के लिये इतिहास रचने वाला गोल 81वें मिनट में हुआ जब अनिकेत ने कॉर्नर हासिल किया. जिस पर संजीव स्टालिन ने शॉट लिया और जैकसन ने इसे गोल में तब्दील किया. लेकिन मेजबानों की 1-1 से बराबरी की खुशी अगले ही मिनट में काफूर हो गयी जब पेनालोजा ने अपनी टीम के लिये आसानी से दूसरा गोल कर दिया.
लैटिन अमेरिकी टीम के कुछ खिलाड़ी अपने देश की शीर्ष लीग में खेलते हैं और उन्हें पहले हाफ में एक भी गोल नहीं करने देना मेजबानों के लिये उपलब्धि ही रही. अपना छठा फीफा अंडर 17 विश्व कप खेल रही कोलंबियाई टीम के कोच ओरलांडो रेस्टरेपो ने मैच की पूर्व संध्या पर कहा था कि इस मुकाबले में भारत को अनुभव की कमी खलेगी और इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता.
लेकिन भारतीय टीम इस बात से प्रेरणा ले सकती है कि दो महीने पहले मैक्सिको में चार देशों के आमंत्रण टूर्नामेंट में उसे कोलंबिया से 0-3 से हार मिली थी और आज का नतीजा उससे बेहतर रहा. धीरज सहित जैकसन, अनवर अली, अभिजीत सरकार का प्रदर्श सराहनीय रहा. भारतीय कोच लुई नोर्टन डि माटोस ने रणनीति में थोड़ा फेरबदल किया, उन्होंने एक स्ट्राइकर रहीम अली को शुरुआती एकादश में रखा व चार बदलाव किये. माटोस ने फॉरवर्ड अनिकेत जाधव, डिफेंडर जितेंद्र सिंह तथा मिडफील्डर सुरेश वांगजाम और कोमल थाटल को इससे बाहर रखा.