भारतीय क्रिकेट ने 2014 में अच्छा, बुरा और बदतर सब देखा
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भारतीय क्रिकेट ने 2014 में अच्छा, बुरा और बदतर सब देखा

वनडे क्रिकेट में रोहित शर्मा का रिकॉर्ड दोहरा शतक, विदेशी सरजमीं पर एक बार फिर टीम इंडिया की नाकामी से लेकर आईपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण पर बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से जुड़ा विवाद, भारतीय क्रिकेट ने 2014 में अच्छा, बुरा और बदतर सब कुछ देखा।

भारतीय क्रिकेट ने 2014 में अच्छा, बुरा और बदतर सब देखा

नई दिल्ली : वनडे क्रिकेट में रोहित शर्मा का रिकॉर्ड दोहरा शतक, विदेशी सरजमीं पर एक बार फिर टीम इंडिया की नाकामी से लेकर आईपीएल-6 स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण पर बीसीसीआई के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से जुड़ा विवाद, भारतीय क्रिकेट ने 2014 में अच्छा, बुरा और बदतर सब कुछ देखा।

रोहित ने श्रीलंका के खिलाफ ईडन गार्डन पर नाबाद 264 रन बनाकर सुखिर्यां बटोरी। इस पारी से झलक मिलती है कि पिछले कुछ समय में वनडे क्रिकेट में कितना बदलाव आया है। दस साल पहले तक 264 के स्कोर को वनडे क्रिकेट में जीत के लायक स्कोर माना जाता था जबकि अब एक खिलाड़ी इतने रन बना रहा है।

किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि वनडे क्रिकेट में 200 रन के आंकड़े को कोई छू पाएगा। सचिन तेंदुलकर ने पहली बार यह कारनामा किया जबकि वीरेंद्र सहवाग और रोहित ने इसे नई बुलंदियों तक पहुंचाया। लेकिन वनडे में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद टेस्ट में रोहित की फॉर्म चिंता का कारण बनी रही। वर्ष 1989 के बाद यह पहला साल था जब तेंदुलकर भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे।

इसके अलावा इस साल कई खिलाड़ियों को भारत की वनडे टीम से नजरअंदाज किया गया। सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान और गौतम गंभीर जैसे सीनियर खिलाड़ियों को 2015 विश्व कप के संभावित खिलाड़ियों में जगह नहीं दी गई। मैदान के बाहर बीसीसीआई अदालती मामलों में उलझा रहा। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद श्रीनिवासन का निर्वासन जारी रहा। इसके बावजूद हालांकि वह आईसीसी के पहले अध्यक्ष बनने में सफल रहे और भारत को आईसीसी के राजस्व में अब से बड़ा हिस्सा मिलेगा।

श्रीनिवासन गैर मान्यता प्राप्त क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा द्वारा दायर मुकदमों में उलझे रहे। माना जा रहा है कि वर्मा को श्रीनिवासन के विरोधी ललित मोदी से वित्तीय मदद मिल रही है। नये साल में अब यह देखना होगा कि किसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड की कमान मिलती है।

भारत के बाहर विश्व क्रिकेट को आस्ट्रेलिया के बल्लेबाज फिलिप ह्यूज की मौत के दुख का सामना करना पड़ा जो घरेलू क्रिकेट मैच के दौरान बाउंसर लगने से चोटिल हो गए और बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई। भारत की बात करें तो सहवाग और युवराज जैसे सीनियर खिलाड़ियों को बाहर करने के बावजूद टेस्ट कप्तान के रूप में महेंद्र सिंह धोनी के खराब प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं हुआ और भारत ने दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड में सीरीज गंवाई। भारत विश्व टी20 के फाइनल में श्रीलंका से भी हार गया और इसके साथ ही विरोधी टीम के दो दिग्गज खिलाड़ियों महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा के टी20 करियर का अंत हुआ।

इंग्लैंड में श्रृंखला गंवाने का निराशाजनक पहलू यह रहा कि क्रिकेट का मक्का कहलाने वाले लार्डस पर जीत के साथ बढ़त बनाने के बावजूद भारत को हार का सामना करना पड़ा। इस दौरे पर मोइन अली ने अपनी कामचलाउ आफ स्पिन गेंदबाजी से भारतीय बल्लेबाजों को काफी परेशान करते हुए 19 विकेट चटकाए। ऑफ स्पिनरों के खिलाफ भारत की परेशानी ऑस्ट्रेलिया में भी उजागर हुई जब नाथन लियोन ने मौजूदा सीरीज के पहले टेस्ट में 12 विकेट चटकाकर मेजबान टीम को 48 रन से जीत दिलाई।

वर्ष 2014 में बल्लेबाजी में मुरली विजय के प्रदर्शन में सबसे अधिक सुधार हुआ। अंजिक्य रहाणे ने मध्य क्रम में अपनी जगह लगभग पक्की की। चेतेश्वर पुजारा और रोहित की फार्म में उतार चढ़ाव देखने को मिला लेकिन इन दोनों में इन मुश्किलों से उबरने की प्रतिभा है। गेंदबाजी हालांकि भारत की चिंता का सबब रही। इशांत शर्मा, वरूण आरोन और उमेश यादव लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में नाकाम रहे। रविंद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन ऐसे विकेटों पर अपनी अहमियत साबित करने में नाकाम रहे हैं जो स्पिनरों के अनुकूल नहीं हों। युवा स्पिनर अक्षर पटेल ने सीमित मौकों में अपनी प्रतिभा दिखाई लेकिन उनकी असली परीक्षा आस्ट्रेलिया में आगामी त्रिकोणीय सीरीज में होगी।

 

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