मैं निर्दोष हूं, बीसीसीआई प्रमुख के रूप में मेरी बहाली होनी चाहिए : श्रीनिवासन ने SC से किया अनुरोध
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मैं निर्दोष हूं, बीसीसीआई प्रमुख के रूप में मेरी बहाली होनी चाहिए : श्रीनिवासन ने SC से किया अनुरोध

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस में अपनी कथित भूमिका को लेकर सवालों के घेरे में आए बीसीसीआई के पूर्व प्रमुख एन. श्रीनिवासन ने शुक्रवार को कहा कि चूंकि वह निर्दोष साबित हो गए हैं, इसलिए उन्हें बीसीसीआई के प्रमुख के तौर पर बहाल किया जाना चाहिए।

मैं निर्दोष हूं, बीसीसीआई प्रमुख के रूप में मेरी बहाली होनी चाहिए : श्रीनिवासन ने SC से किया अनुरोध

ज़ी मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली : आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग केस में अपनी कथित भूमिका को लेकर सवालों के घेरे में आए बीसीसीआई के पूर्व प्रमुख एन. श्रीनिवासन ने शुक्रवार को कहा कि चूंकि वह निर्दोष साबित हो गए हैं, इसलिए उन्हें बीसीसीआई के प्रमुख के तौर पर बहाल किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दायर अपने हलफनामे में श्रीनिवासन ने यह दलील दी।

श्रीनिवासन ने कहा कि उन्होंने अपनी स्वेच्छा से बीसीसीआई प्रमुख का पद छोड़ा था और अब सुप्रीम कोर्ट ने फिक्सिंग के सभी आरोपों से उन्हें बरी कर दिया है, ऐस में उन्हें बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर बहाल होने की अनुमति मिलनी चाहिए।

ज्ञात हो कि श्रीनिवासन जून में बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हट गए थे और उनकी जगह बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एवं बंगाल क्रिकेट संघ के प्रमुख जगमोहन डालमिया ने बोर्ड का पद भार संभाला था।

इसके पहले, बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी मामले की जांच कर रही न्यायमूर्ति मुद्गल समिति के निष्कर्षों को खारिज करते हुए कहा कि खिलाड़ी द्वारा उल्लंघन की प्रकृति 'मामूली' थी और खिलाड़ी को 'मौखिक रूप से फटकार' लगाई गई थी। इस मामले में एन.श्रीनिवासन की किसी प्रकार की भूमिका से बीसीसीआई ने इंकार किया है।

शीर्ष क्रिकेट निकाय की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि रिपोर्ट का विश्लेषण करने के लिए 18 नवंबर को बीसीसीआई कार्यसमिति की बैठक हुई थी और यह समझा गया कि घटना एक विदेश दौरे की है जिसमें रंजीत बिस्वाल टीम मैनेजर थे।

हलफनामे में कहा गया है कि बैठक में बिस्वाल ने बताया कि घटना व्यक्तिगत-3 (खिलाडी) द्वारा खिलाड़ियों की आचार संहिता के उल्लंघन (प्लेयर्स कोड ऑफ कंडक्ट) की है और इस संबंध में बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष शशांक मनोहर को सूचित कर दिया गया था।

बीसीसीआई ने कहा कि खिलाड़ी द्वारा किये गये उल्लंघन की प्रकृति मामूली थी और खिलाड़ी को मौखिक रूप से फटकार लगायी गयी थी। बीसीसीआई के हलफनामे के साथ बिस्वाल ने पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताते हुए दूसरा हलफनामा भी दायर किया। पूरी रिपोर्ट में खिलाडी का नाम नहीं लिया गया है।

मुद्गल समिति ने अपनी रिपोर्ट 17 नवंबर को सौंपी थी, जिसमें कहा गया है कि एन. श्रीनिवासन तथा बीसीसीआई के चार अन्य अधिकारियों को खिलाड़ी द्वारा खिलाडि़यों की आचार संहिता का उल्लंघन किए जाने की जानकारी थी लेकिन उनमें से किसी ने भी कोई कार्रवाई नहीं की।

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