विराट कोहली की बेंगलुरु आईपीएल के इस सीजन में 14 मैचों में से केवल छह मैच ही जीत सकी और टूर्नामेंट में प्लेऑफ में भी नहीं पहुंच सकी. रिकॉर्ड 17 करोड़ में रीटेन किए गए विराट लगातार दूसरी बार अपनी टीम को प्लेऑफ में नहीं पहुंचा सके.
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नई दिल्ली : टीम इंडिया का कप्तान कोई छोटी हस्ती नहीं होती और अगर कप्तान विराट कोहली तो बात ही कुछ और है. विराट भारत के अबतक के सबसे सफल कप्तान हैं. वहीं विराट का कप्तान बनने के बाद का रिकॉर्ड भी काफी शानदार है और देश में ही नहीं विदेश में भी विराट का बल्ला जमकर बोलता है. चाहे टेस्ट क्रिकेट हो, वनडे हो या कि टी20 विराट तीनों फॉर्मेंट में न केवल सफल बल्लेबाज हैं बल्कि भारत के सफल कप्तान भी बन कर उभरे हैं. इसके अलावा विराट के ब्रैंड वेल्यू भी कम नहीं हैं बड़े से बड़ा ब्रांड उन्हें एनडोर्स करना चाहता है. वे एक फैशन स्टेटमेंट भी हैं. लेकिन विराट इस साल आईपीएल में अपनी टीम को प्लेऑफ में जगह दिलाने में नाकाम रहे.
लेकिन विराट की कहानी में आईपीएल एक दाग की तरह बनता जा रहा है. आईपीएल क की शुरुआत से ही बेंगलुरु की टीम में रहने वाले विराट अभी तक अपनी टीम को आईपीएल का खिताब नहीं दिला पाए हैं. 2016 में ही विराट ने कप्तानी पारियां खेल कर ऑरेंज कैप तो हासिल कर ली थी लेकिन अपनी टीम को अंक तालिका में दूसरे स्थान में पहुंचाने के बाद भी वे खिताब नहीं दिला सके. इसके बाद तो 2017 में विराट की टीम जहां आखिरी स्थान पर रही.
वहीं साल 2018 में विराट अपनी टीम को अंतिम चार में जगह दिलाने के लिए संघर्ष करते नजर आए और उनकी टीम केवल छठे स्थान पर ही रह गई. और टीम 14 मैचों में से केवल 6 मैच ही जीत सकी यानि केवल 42 प्रतिशत. जबकि विराट पर उनकी फ्रैंचाइजी को बहुत ही ज्यादा भरोसा था. इसी वजह से शायद पिछले साल बेंगलुरु के अंक तालिका में आखिरी में रहने के बावजूद विराट को बेंगलुरु ने रिकॉर्ड 17 करोड़ में रीटेन किया था.
विराट इससे पहले भी बेंगलुरु टीम सबसे महंगे खिलाड़ी के तौर पर खरीदे गए. उनकी सैलरी में में बढ़ोत्तरी तो बराबर होती रही थी लेकिन साल 2018 में वे सबसे महंगे खिलाड़ी के तौर पर सामने आए क्योंकि उनकी नीलामी में किसी खिलाड़ी पर इतनी बोली नहीं लगी. इतना ही नहीं विराट ने भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को भी पीछे छोड़ दिया जिन्हें चेन्नई ने केवल 15 करोड़ में रीटेन किया. लेकिन इस बार भी भले ही विराट ने बतौर बल्लेबाज खराब प्रदर्शन नहीं किया हो कप्तान के तौर पर जरूर उन्होंने खासा निराश किया है.
कप्तानी में रहीं खामियां
विराट की नियत में भले ही कमी न हो लेकिन साफ नजर आता की वे टीम को उस तरह से लीड नहीं कर सके जिसकी जरूरत टीम को थी. उदाहरण पेश करने में भी वे केवल बल्ले और फील्डिंग से उदाहण देते नजर आए. फील्डिंग का आलम तो यह था हैदराबाद के खिलाफ में मैच में भी खुद विराट ने दो कैच छोड़ दिए. हालांकि उनकी टीम यह मैच जीत गई थी. लेकिन विराट की नाकामी का आलम कुल मिलाकर यही रहा कि आईपीएल के 11वें सीजन में उनकी टीम 14 में से केवल छह मैच ही जीत सकी.
बतौर खिलाड़ी विराट का कोई सानी नहीं है लेकिन इस आईपीएल में साफ दिखा कि विराट के नेतृत्व में ही कुछ कमजोरियां हैं जो वे टीम से बेहतर प्रदर्शन नहीं करवा सके. ऐसा आईपीएल की बाकी टीमों के कुछ कप्तानों पर नजर डालने से साफ हो जाता है. इसमें सबसे बढ़िया उदाहरण एमएस धोनी और केन विलियमसन हैं. दोनों ही कप्तानों ने साबित किया है टीम के खिलाड़ियों का सर्वश्रेष्ठ निकलवाने में उनसे बेहतर कोई नहीं है. दोनों की अपनी अलग अलग शैली जरूर हैं लेकिन लीडरशिप में दोनों ने ही बेहतरीन उदाहरण पेश किए है. वहीं विलियमसन ने व्यक्तिगत प्रदर्शन में भी सभी को चौंका दिया है. विलयमसन ने इस सीजन के 14 मैचों में 8 अर्धशतक लगा दिए हैं.
टीम में दिग्गजों की भरमार है
ऐसा भी नहीं है कि विराट टीम में काबिल खिलाड़ियों की कमी है. उनकी टीम में एबी डिविलियर्स, ब्रैंडन मैकुलम, मनन वोहरा, मनदीप सिंह, कोरी एंडरसन, कोलिन ग्रैंडहोम, जैसे दिग्गजों की भरमार है लेकिन इसके बावजूद इस सीजन में टीम केवल विराट कोहली और एबी डिविलियर्स जैसे खिलाड़ियों पर निर्भर नजर आई.
विराट के लिए अगला सीजन चुनौतीपूर्ण होने वाला है. वहीं यह भी डर है कि फ्रैंचाइजी अब दूसरे कप्तान की तलाश न शुरु कर दे. जो भी हो इस आईपीएल में विराट की कप्तानी पर सवालिया निशान तो लग ही गए हैं उम्मीद तो यही की जा सकती है कि इसका असर टीम इंडिया पर न हो.