अपनी मां और बहनों को पैसे एकत्रित करने के लिए संघर्ष करते प्रियंका ने अपनी मां से कहा कि अब वे उसे नियति के भरोसे छोड़ दें और उसके इलाज की चिंता न करें.
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नई दिल्ली: 18 साल की लुधियाना की प्रियंका कराटे और ताइक्वांडों चैंपियन हैं और ब्लैक बैल्ट हैं. पिछले साल वह मलेशिया में होने वाली इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए पूरी तरह तैयार थीं. तभी उन्हें पता चला कि वह ब्लड कैंसर से पीड़ित हैं. कराटे में राष्ट्रीय स्तर पर 4 गोल्ड मेडल और राज्य स्तर पर सात गोल्ड मेडल जीतने वाली (इनमें तीन ताइक्वांडो में जीते गोल्ड मेडल भी शामिल हैं) प्रियंका ब्लड कैंसर के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं. उनकी मां के पास उसका इलाज कराने के लिए पैसे तक नहीं हैं. सात बहनों में प्रियंका दूसरे नंबर की हैं.
प्रियंका की मां प्रभावती देवी एक फैक्टरी में पांच हजार रुपए महीना कमाती हैं. उनकी अधिकांश तन्ख्वाह प्रियंका के इलाज के लिए लिए गए तीन लाख रुपए के ऋण को चुकाने में कट जाती है. प्रियंका के पिता शराबी हैं और प्रियंका के इलाज में वह एक रुपया तक नहीं देते. प्रियंका के परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वे प्रियंका के लिए फल और अंडे खरीद सकें. ये दोनों चीजें खाने के लिए उन्हें डॉक्टर ने कहा है ताकि प्रियंका को रिच डाइट मिल सके. अपनी मां और बहनों को पैसे एकत्रित करने के लिए संघर्ष करते प्रियंका ने अपनी मां से कहा कि अब वे उसे नियति के भरोसे छोड़ दें और उसके इलाज की चिंता न करें.
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लुधियाना के न्यू शक्ति नगर क्षेत्र में इंदिरा पब्लिक स्कूल के परिसर के एक कमरे में प्रियंका का परिवार रहता है. चैरिटी पर चल रहे इस स्कूल में लड़कियों को सेल्फ डिफेंस के लिए मार्शल आर्ट सिखाई जाती है. प्रियंका की जर्नी यहीं से शुरू हुई थी, जब वह महज चौथी क्लास में पढ़ती थीं. प्रियंका ने मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेना शुरू किया. प्रियंका के कोच चिरंजीत कश्यप ने बताया, प्रियंका ब्लैक बैल्ट हासिल हैं. वह मलेशिया में पिछले साल अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेलने के लिए पूरी तरह तैयार थीं. लेकिन अभ्यास के दौरान वह अचानक बुरी तरह थकने लगीं और कमजोर होती गईं.
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जांच के दौरान उन्हें ब्लड कैंसर डायग्नोस हुआ. यह जून 2016 की बात है. दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में उनका इलाज शुरू हुआ. प्रियंका 2012-16 के बीच कराटे और ताइक्वांडो में 12 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. उनकी प्रतिमाह दवाइयों का खर्चा 25 हजार रुपए है. उनकी मां के पास इतना पैसा नहीं है कि वे उनका इलाज करा सकें.
#Ludhiana: Winner of four national gold medals in karate and and seven state golds, Priyanka is fighting a battle against blood cancer; says "we are poor and don't have adequate funds for treatment, please help whoever can" pic.twitter.com/suvv6eTA68
— ANI (@ANI) December 29, 2017
"I am fighting this battle against cancer but soon I'll be fine; I don't fear anything" says Priyanka, a karate, taekwondo champion and a black belt pic.twitter.com/yyKntdEVAl
— ANI (@ANI) December 29, 2017
प्रियंका के परिवारवालों ने अपना घर खरीदने के लिए पचास गज का एक प्लाट भी बेच दिया. उनकी मां बताती हैं, मुख्यमंत्री कैंसर रिलीफ फंड से हमें डेढ़ लाख रुपए मिले लेकिन सारा पैसा प्रियंका के इलाज पर खर्च हो गया. हम इस समय भारी ऋण में डूबे हुए हैं.
डॉक्टरों ने उन्हें बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह दी है. इसका खर्चा ही 20-25 लाख रुपए है. कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा. प्रियंका के परिवार वाले रात दिन प्रियंका की खराब होती हालत को देख रहे हैं. यह सब देखते हुए प्रियंका ने खुद ही कहा है कि अब मेरा इलाज बंद कर दो और मुझे नियति के सहारे छोड़ दो.