... जब कप्तान सचिन तेंदुलकर ने उठाए थे कोच कपिल देव पर ये सवाल
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... जब कप्तान सचिन तेंदुलकर ने उठाए थे कोच कपिल देव पर ये सवाल

क्रिकेट को वैसे तो जेंटलमैन गेम कहा जाता है, लेकिन ये भी कई बड़े विवादों से अछूता नहीं रहा है. अब सबसे ताजा मामला टीम इंडिया के मुख्य कोच अनिल कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच अनबन का है. जिसकी वजह से कुंबले ने अपना पद छोड़ दिया है. इसके साथ ही कप्तान और कोच के बीच मनमुटाव का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है. 

कपिल देव और सचिन तेंदुलकर के बीच भी हुआ था विवाद

नई दिल्ली : क्रिकेट को वैसे तो जेंटलमैन गेम कहा जाता है, लेकिन ये भी कई बड़े विवादों से अछूता नहीं रहा है. अब सबसे ताजा मामला टीम इंडिया के मुख्य कोच अनिल कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच अनबन का है. जिसकी वजह से कुंबले ने अपना पद छोड़ दिया है. इसके साथ ही कप्तान और कोच के बीच मनमुटाव का जिन्न एक बार फिर से बाहर आ गया है. 

इससे पहले भी ऐसे कई मामले हो चुके हैं जब कोच और कप्तानों के बीच जमकर अनबन हुई है. इसी कड़ी में एक और विवाद सामने आया है, जिसमें सचिन तेंदुलकर और कपिल देव का नाम सामने आया है. दरअसल, उस वक्त सचिन तेंदुलकर कप्तान थे और उनके कोच कपिल देव थे. 

अपनी किताब ‘प्लेइंग इट माइ वे’ में सचिन ने कपिल से अपनी नाखुशी का जिक्र किया था. सचिन ने किताब में दावा किया था कि 2000 के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर वह कपिल देव के व्यवहार से निराश थे. सचिन ने लिखा था कि कपिल कभी खुद को टीम के रणनीतिक फैसलों में शामिल नहीं करते थे.

किताब के एक चैप्टर Tumultuous Times: India in Australia, November 1999-January 2000 में सचिन ने लिखा, मेरी कपिल देव से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं. बतौर कप्तान वह मेरा दूसरा कार्यकाल था और कपिल हमारे कोच थे. वह भारत के सबसे शानदार खिलाड़ियों में से एक होने के अलावा दुनिया के बेहतरीन ऑलराउंडर भी थे.

सचिन ने लिखा, मेरा हमेशा मानना रहा है कि कोच का पद टीम में बेहद अहम होता है और वह टीम की रणनीति तय वालों में शामिल थे. सचिन ने लिखा था कि कपिल देव की सोच थी कि टीम को कप्तान के हवाले करना चाहिए और कोच को रणनीति बनाने में हिस्सेदार नहीं बनना चाहिए. जिसका असर उनकी कप्तानी पर भी पड़ा. इनमें 1997 शारजाह सीरीज में रॉबिन सिंह को 3 नंबर पर भेजना, मेरा खुद 4 नंबर पर बल्लेबाजी करना. 

सौरव गांगुली - ग्रेग चैपल

कोलकाता के महाराज के नाम से मशहूर सौरव गांगुली 2005-06 में भारतीय क्रिकेट के  कोच और कप्तान के बीच हुए अब तक के सबसे खराब विवाद में फंस गए थे. ग्रेग चैपल सितंबर, 2005 में भारतीय टीम के कोच बने थे. भारतीय टीम के जिंबाब्वे दौरे के समय सौरव और चैपल के बीच मतभेद सुर्खियां बनने लगे थे. चैपल ने तब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को लिखा था कि गांगुली टीम इंडिया की अगुवाई करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम हैं.

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चैपल ने यह भी कहा था कि गांगुली की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति टीम को नु्कसान पहुंचा रही है. यह ईमेल मीडिया में लीक हो गया, जिस पर गांगुली के प्रशंसकों की तीव्र प्रतिक्रिया की वजह से गुरु ग्रेग को अपना पद छोडऩा पड़ा था. इस वाक्ये में सबसे दिलचस्प बात ये है कि गांगुली ही वो शख्स थे, जो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर को बतौर कोच लाए थे.

संदीप पाटिल - सचिन तेंदुलकर 

संदीप पाटिल 1996 के विश्व कप में वह अजीत वाडेकर के असिस्टेंट मैनेजर के तौर पर तैनात थे. वह 1996 में इंग्लैंड में मोहम्मद अजहरुद्दीन और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच हुए झगड़े के दौरान टीम के कोच भी थे. इसके बाद सिद्धू दौरा बीच में ही छोड़ देश लौट आए थे. इसी साल श्रीलंका में चार देशों के टूर्नामेंट के दौरान जब सचिन तेंदुलकर भारत के कप्तान थे तब हालात और खराब हो गए थे. 

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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में भारत के नौ विकेट गिर चुके थे और कुंबले गलत शॉट खेलकर आउट हो गए. पाटिल ने इस पर नाराजगी जताई. तेंदुलकर और दूसरे सीनियर खिलाड़ियों को यह अच्छा नहीं लगा था. टोरंटो में सहारा कप में पाकिस्तान से हार के साथ ही पाटिल को उनके पद से हटा दिया गया.

मदन लाल - अजहरुद्दीन

मदन लाल 1996-97 में भारत के कोच बने थे. भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच जीता था. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अच्छा प्रदर्शन किया. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डन्स टेस्ट मैच में अजहरुद्दीन की कोहनी में ब्रायन मैकमिलन की गेंद लगी.

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इसके बाद मदन लाल ने कहा कि अजहर तेज गेंदबाजी का सामना करने से बच रहे थे. इसके कुछ समय बाद खिलाड़ियों ने बीसीसीआइ से कहा कि उन्हें तकनीकी इनपुट देने वाला कोच चाहिए.

बिशन सिंह बेदी - टीम इंडिया

भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने बतौर कोच न्‍यूजीलैंड में घटिया प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया को लताड़ लगाई थी. वह टीम के प्रदर्शन से इतने नाराज थे कि उन्‍होंने कह दिया था कि टीम को जहाज से फेंक देना चाहिए. 

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जब 1989-90 के दौर में जब वह कोच बने तो कप्‍तान अजहरुद्दीन, कपिल देव या मनोज प्रभाकर तक को नहीं छोड़ते थे. उनके आगे कोई भी मुंह नहीं खोल पाता था.

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