खराब खिलाड़ी, सफल कोच : जहीर-अरुण की तुलना के बीच मिलिए इन 5 दिग्गजों से
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खराब खिलाड़ी, सफल कोच : जहीर-अरुण की तुलना के बीच मिलिए इन 5 दिग्गजों से

रवि शास्त्री के कोच बनने के बाद सपोर्ट स्टाफ को लेकर चर्चा का दौर जारी है. इस बीच खबर है कि सौरव गांगुली की पसंद जहीर खान को गेंदबाजी कोच ना बनाकर भरत अरुण को ये जिम्मेदारी दी जा सकती है, जो रिकॉर्ड के मामले में जहीर के सामने कहीं नहीं ठहरते हैं. 

ऐसे पांच कोच जो खिलाड़ी तो सफल नहीं बने, लेकिन कोच शानदार साबित हुए

नई दिल्ली : अक्सर क्रिकेट की कमेंटरी सुनते हुए जब हम अपने किसी पसंदीदा खिलाड़ी के बारे में कोई भी आलोचना सुनते हैं तो उस कमेंटेटर के लिए हमारा रिएक्शन होता है कि जिंदगी में कभी क्रिकेट खेला नहीं और आज बैठकर कमेंटरी कर रहे हैं. जाहिर है जब हम किसी कोच को देखते होंगे तब भी हमारे जेहन में यही बात आती होगी कि जिसने कभी अच्छा क्रिकेट नहीं खेला, वह अच्छा कोच कैसे हो सकता है. लेकिन यकीन जानिए कोचिंग और क्रिकेट खेलना दोनों अलग अलग बातें हैं.

5 विकेट लेने वाले भरत अरुण आखिर क्यों हैं 610 विकेट लेने वाले जहीर खान पर भारी?

रवि शास्त्री के टीम इंडिया के हेड कोच बनते ही सौरव गांगुली और उनके बीच की कलह सामने आने लगी है. विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर के समर्थन से शास्त्री कोच का पद पाने में तो सफल हो गए हैं, लेकिन गांगुली ने राहुल द्रविड़ को सहायक बल्लेबाजी कोच और जहीर खान को सहायक गेंदबाजी कोच बनाकर अपना दबदबा कायम रखना चाहा. 

मीडिया में लगातार जहीर खान और भरत अरुण को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही है. सहायक गेंदबाजी कोच बनाने को लेकर इन दोनों के नाम सामने हैं, लेकिन देखना ये होगा कि इनमें से किसके हाथों में टीम इंडिया की गेंदबाजी की कमान जाती है. 

इसके साथ ही जहीर और अरुण के क्रिकेट रिकॉर्ड्स को लेकर भी चर्चा शुरु हो गई है. लोग कहने लगे हैं कि 5 विकेट लेने वाले भरत अरुण आखिर जहीर खान से बेहतर कैसे हो सकते हैं. 

बता दें कि एक गेंदबाज के रूप में जहीर खान का भरत अरुण से ज्यादा अनुभव है. जहीर खान ने 200 एक दिवसीय मैच खेले हैं और 282 विकेट लिए हैं. जबकि अरुण ने सिर्फ चार एक दिवसीय मैच खेले हैं और एक विकेट लेने में कामयाब हुए हैं. भरत अरुण ने भारत के लिए 2 टेस्ट मैचों में 4 विकेट और 4 वनडे मैचों में सिर्फ 1 विकेट हासिल किए हैं. वहीं, जहीर खान का रिकॉर्ड देखें तो उन्होंने वनडे, टेस्ट और टी-20 में  कुल 610 विकेट हासिल किए है. जहीर ने वनडे में 282, टेस्ट में 311 और टी-20 में 17 विकेट हासिल किए है, जबकि अरुण के खाते में वनडे और टेस्ट मिलाकर सिर्फ पांच विकेट ही हैं. 

जहीर-अरुण के विवाद के बीच अगर क्रिकेट कोचिंग का इतिहास देखें तो पता चलता है कि जो लोग बहुत अच्छा क्रिकेट खुद नहीं खेले वही अच्छे कोच साबित हुए. यहां हम ऐसे ही कुछ कोचों के बारे में बता रहे हैं जो खुद तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाए, लेकिन कोच के रूप में उन्होंने खासी ख्याति अर्जित की है. 

जॉन बुखानन

पूर्व कोच जॉन बुखानन को पूरी दुनिया में एक बेहतरीन कोच के रूप में जाना जाता है. बुखानन शायद क्रिकेट इतिहास के सबसे लोकप्रिय कोच हैं. पांच साल क्वींसलैंड के कोच रहने के बाद बुखानन अक्टूबर 1999 में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के कोच बने. बुखानन के कोच बनने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने 2003 का वर्ल्ड कप जीता, 2007 का विश्व कप जीता, 2004 के भारत दौरे पर ऑस्ट्रेलिया की टीम विजयी रही और 2006 पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी में आस्ट्रेलिया की टीम ने खिताब जीता.

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जॉन बुखानन शायद क्रिकेट इतिहास के सबसे लोकप्रिय कोच हैं

यह बुखानन की ही कोचिंग का करिश्मा था कि ऑस्ट्रेलिया लगातार जीत की ओर बढ़ता रहा. ऑस्ट्रेलिया के कोच पद से इस्तीफा देने के बाद बुखानन कोलकाता नाइट राइडर्स के कोच बने. जून 2009 तक उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई. 2010-11 में, एशेज के दौरान इंग्लैंड टीम ने उन्हें सलाहकार बनाया. 2011 से 2013 तक बुखानन न्यूजीलैंड क्रिकेट के डायरेक्टर रहे, लेकिन बुखानन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खुद कभी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाए. 

डंकन फ्लैचर

जिंबाब्वे के पूर्व क्रिकेटर डंकन फ्लैचर 1982 में जिंबाब्वे को आईसीसी ट्रॉफी जितवाने वाले खिलाड़ी हैं, लेकिन अपने देश के लिए महज छह मैच ही खेल पाए फ्लैचर ने कोचिंग में अपना करियर तलाश किया. सबसे पहले इंग्लैंड की नेशनल क्रिकेट टीम को 1999 में उन्होंने कोचिंग देनी शुरू की. 2007 तक उनकी कोचिंग में इंग्लैंड क्रिकेट में जबरदस्त बदलाव आए. इंग्लैंड ने उनकी कोचिंग के दौरान 2005 में एशेज सीरीज जीती. ऐसा इंग्लिश क्रिकेट के इतिहास में 18 साल बाद संभव हुआ था. 

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पूर्व क्रिकेटर डंकन फ्लैचर 1982 में जिंबाब्वे को आईसीसी ट्रॉफी जितवाने वाले खिलाड़ी हैं

2007 में ही इंग्लैंड ने कॉमनवैल्थ बैंक सीरीज पर भी कब्जा किया. बेहतरीन कोचिंग के लिए 2005 में फ्लैचर को 'ऑर्डर ऑफ दि ब्रिटिश एम्पायर' से सम्मानित किया गया. 27 अप्रैल 2011 को फ्लैचर भारतीय टीम के कोच बने. फ्लैचर की कोचिंग के दौरान भारत ने 8 अंतरराष्ट्रीय श्रृंखलाएं जीतीं, इसमें 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी भी शामिल थी. यानी फ्लैचर का कोचिंग करियर शानदार रहा. उन्हें दुनिया के टॉप कोच के रूप में की जाती है. अब शायद उन्हें इस बात का भी अफसोस नहीं होगा कि उनका अपना क्रिकेट करियर फ्लॉप साबित हुआ था.  

टॉम मूडी

मूडी ऑस्ट्रेलिया के शानदार आक्रामक बल्लेबाज थे. 1987 से 1999 के बीच उन्होंने आस्ट्रेलिया के लिए 8 टेस्ट मैच और 76 एकदिवसीय मैच खेले. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम में उनकी जगह कभी स्थायी नहीं बन पाई. लिहाजा उन्होंने कोचिंग को ही अपना करियर बनाना मुनासिब समझा. 2002 में वह यार्कस्टरशायर क्रिकेट क्लब के डायरेक्टर बने और कई साल इसी पद पर रहे. 2005 में टॉम मूडी ने श्रीलंका क्रिकेट टीम के हैड कोच के रूप में काम शुरू किया. 

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टॉम मूडी की कोचिंग के दौरान ही 2007 में श्रीलंका ने आईसीसी वर्ल्ड कप जीता. 

मूडी की कोचिंग के दौरान ही 2007 में श्रीलंका ने आईसीसी वर्ल्ड कप जीता. मई 2007 में मूडी वेस्टर्न ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट एसोसिएशन की सहायक टीम वैस्टर्न वारियर के हेड कोच बने. उनकी टीम केएफसी टी-20 बिग बैश में 2007-8 में फाइनल खेली. 2013 के आईपीएल सीजन में सनराइज हैदराबाद के कोच रहे. यानी कोच के रूप में उनका करियर क्रिकेट करियर की तुलना में अधिक शानदार रहा. बाद में मूडी को बिग बैश लीग की कमेंटरी के लिए चैनल नाइन और टैन ने हायर कर लिया. 

माइक हैसन

माइक हैसन को क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ कोच माना जाता है. आधुनिक क्रिकेट में वह सबसे अनुभवी कोच हैं. 30 जनवरी 1974 को ओटागो न्यूजीलैंड में जन्मे हैसन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कोचिंग की शुरुआत उस समय की थी जब वह महज 22 साल के थे. ओटागो क्रिकेट क्लब के डायरेक्टर के रूप में उन्होंने कोचिंग की शुरुआत की थी. 

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माइक हैसन को क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ कोच माना जाता है

2011 में वह केन्या क्रिकेट टीम के हैड कोच बन गए. लेकिन 2012 में सुरक्षा से जुड़े कुछ मसलों को लेकर उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. इससे पहले 2003 में वह अर्जेंटीना नेशनल क्रिकेट टीम के कोच भी रहे. जुलाई 2012 में वह न्यूजीलैंड टीम के कोच बने. वह अब तक इस पद पर कार्य कर रहे हैं. हैसन वास्तव में कोचिंग के लिए ख्यात रहे हैं. लेकिन 22 साल की उम्र में कोचिंग शुरू करने वाले हैसन के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रवेश के द्वार कभी नहीं खुले. 

डेव व्हाटमोर

ऑस्ट्रेयिन क्रिकेटर डेव व्हाटमोर का अंतरराष्ट्रीय करियर बेहद छोटा रहा है. उन्होंने 7 टेस्ट और एक एक दिवसीय खेलने का मौका मिला. इसके बाद व्हाटमोर ने कोचिंग को करियर के रूप में चुना. सबसे पहले उन्हें श्रीलंका की नेशनल क्रिकेट टीम को कोचिंग देने का अवसर मिला. उनकी कोचिंग के दौरान श्रीलंका ने 1996 में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता. व्हाटमोर 2003 में बांग्लादेश क्रिकेट टीम के कोच बने. वह 2007 तक बांग्लादेश की टीम को कोचिंग देते रहे.

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डेव व्हाटमोर की कोचिंग के दौरान श्रीलंका ने 1996 में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता

उनकी कोचिंग के दौरान ही बांग्लादेश पहला क्रिकेट टेस्ट मैच जीत सका. 4 मार्च 2012 को व्हाटमोर पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के कोच बनाए गए. दो साल के अपने कार्यकाल में पाकिस्तान ने 2012 में एशिया कप जीता. डेव व्हाटमोर ने आईपीएल में 2009 से 2011 तक कोलकाता नाइट राइडर्स की भी कोचिंग की. इस दौरान कोलकाता नाइट राइडर्स ने बेहतर प्रदर्शन किया. 

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