EXCLUSIVE: 'दर्द जब पर्दे पर उतरता है, तब समझ आता है मेडल के लिए क्या-क्या करना पड़ता है'
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EXCLUSIVE: 'दर्द जब पर्दे पर उतरता है, तब समझ आता है मेडल के लिए क्या-क्या करना पड़ता है'

संदीप सिंह ने तकरीबन दो साल तक व्हीलचेयर पर रहने के बाद भी हार नहीं मानी और एक बार फिर नेशनल टीम में वापसी की.

 दिलजीत दोसांझ के फैन हैं संदीप सिंह (File Photo)

नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम के नायक और पूर्व कप्तान संदीप सिंह की बायोपिक बन रही है. इस बायोपिक में संदीप का किरदार गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ निभाने जा रहे हैं. यह फिल्म भारत के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकरों में शुमार संदीप सिंह की जिंदगी पर आधारित है. फिल्म के नाम को लेकर पहले कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन पोस्टर रिलीज होने के बाद साफ हो गया कि इस बायोपिक का नाम 'सूरमा' होगा. फिल्म के पोस्टर में यह साफ-साफ दिख रहा है कि यह फिल्म संदीप की जिंदगी के दो अलग-अलग हिस्सों की कहानी पर आधारित होगी. फिल्म जहां एक ओर संदीप सिंह को उनके हॉकी वाले जुनूनी अवतार में दिखाया जाएगा. वहीं, उनके जीवन का व्हीलचेयर वाला हिस्सा भी दिखाया जाएगा. संदीप ने अपनी इस बायोपिक को लेकर Zee News हिंदी ऑनलाइन से खास बातचीत की और अपने इस सफर के बारे में कुछ बातें शेयर कीं...

  1. संदीप सिंह का किरदार दिलजीत दोसांझ निभा रहे हैं
  2. संदीप को 2010 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है
  3. संदीप सिंह 2009 में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बने

संदीप सिंह 22 अगस्त 2006 को शताब्दी एक्सप्रेस में गलती से गोली चलने की वजह से घायल हो गए थे, जबकि तभी उन्हें नेशनल टीम के साथ विश्व कप के लिए जर्मनी रवाना होना था. इस हादसे के बाद संदीप व्हीलचेयर पर आ गए थे. उन्हें लकवा मार गया था. इस दौरान उन्हें तकरीबन दो साल तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक बार फिर नेशनल टीम में वापसी की.  

व्हील चेयर से उठ दिलाया था देश को सम्मान, अब बड़े पर्दे पर नजर आएगा यह 'सरदार'

हॉकी में विशेष उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने साल 2010 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भी किया. संदीप सिंह ने अपनी जिंदगी पर बन रही बायोपिक को लेकर काफी उत्साहित हैं. उन्हें लगता है कि सिर्फ उनकी ही नहीं, बल्कि और खिलाड़ियों की जिंदगी भी बड़े पर्दे पर आनी चाहिए ताकि आज की युवा पीढ़ी प्रेरित हो सके. 

खिलाड़ी की जिंदगी का पर्दे पर आना ओलंपिक जीतने जैसा 
अपनी बायोपिक के बारे में बात करते हुए संदीप कहते हैं, ''मेरे लिए यह एक लाइफटाइम अपॉर्च्यूनिटी है. हर स्पोर्ट्समैन मैदान पर मेहनत करता है. हर खिलाड़ी की अपनी लाइफ स्टोरी होती है. अपना अलग स्ट्रगल होता है. अपनी अलग मेहनत होती है. मेरे लिए ऐसे में उस खिलाड़ी की लाइफ स्टोरी का बड़े पर्दे पर आना किसी ओलंपिक के जीतने जैसा ही है.''

उन्होंने आगे कहा, ''जितने भी एथलीट हैं या खिलाड़ी हैं. ग्रासरूट से लेकर नेशनल-इंटरनेशनल लेवल तक का जो स्ट्रगल है, हार्डलाइफ है, जो ट्रेनिंग है, जो दर्द है, जो दर्द कोई भी खिलाड़ी किसी भी मैदान पर लेता है वो दर्द जब बड़े पर्दे पर दिखता है तो लोगों को पता चलता है कि एक मेडल या ईनाम के लिए वह किस-किस चीज से गुजरा है. इसलिए मुझे लगता है कि खिलाड़ियों की जिंदगी को रुपहले पर्दे पर उतारा जाना चाहिए.'' 

लोग सिर्फ अचीवमेंट देखते हैं, उसके पीछे छिपा दर्द नहीं 
संदीप सिंह फिलहाल हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं. इससे पहले वह इंडियन एयरलाइंस में नौकरी करते थे. एयरलाइंस में नौकरी करने के दौरान के एक किस्से को संदीप ने हमारे साथ शेयर किया.

अपनी लाइफ के इस इंसीडेंट बताते हुए संदीप कहते हैं, ''शुरुआत में मैं इंडियन एयरलाइंस में अस्टिटेंट मैनेजर के पद पर था. तब मैं सिर्फ 18 साल का था तो वहां लोग कहते थे कि अभी 18 साल का ही है और इस पोस्ट पर इतनी आसानी से पहुंच गया. लेकिन उन लोगों ने इस पद तक पहुंचने के लिए मेरी वो मेहनत नहीं देखी थी जो मैंने बचपन से की थी. छोटी सी उम्र से ही बिना सर्दी-गर्मी की परवाह किए मैं मैदान पर अपना सबकुछ दे रहा था. जो 9 साल की उम्र से कड़ी ट्रेनिंग कर रहा था. वह उन लोगों ने नहीं देखा. माइनस टेंपरेचर में हॉकी खेलना, प्रैक्टिस करना, ट्रेनिंग करना यह सब करके मैं वहां पहुंचा था. इसलिए मुझे लगता है कि खिलाड़ियों और खेलों पर फिल्में बननी चाहिए ताकि देश में लोगों को खिलाड़ियों के स्ट्रगल और उनकी मेहनत के बारे में पता चल सके.''

दिलजीत के फैन हैं संदीप 
फिल्म में दिलजीत दोसांझ संदीप का किरदार निभा रहे हैं. दिलजीत के यह रोल निभाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में संदीप ने कहा, ''मैं दिलजीत दोसांझ का बहुत बड़ा फैन हूं. और फिल्म में मेरा किरदार निभाने को लेकर मैं सिर्फ एक लाइन में ही जवाब दूंगा कि मैंने जब भी उन्हें शूट पर देखा है मुझे लगता था कि मैं अपनी जिंदगी के फ्लैशबैक में चला गया हूं.''

हमेशा रखें याद 'नेवर गिप अप' 
इस फिल्म के जरिये संदीप हर बच्चे, हर युवा और हर माता-पिता को एक संदेश देना चाहते हैं. उनका कहना है, ''इस फिल्म के जरिये और वैसे भी मैं सभी बच्चों को और उनके माता-पिता को एक ही संदेश देना चाहूंगा कि Never Give Up. आप किसी भी फील्ड में हों, खेल, पढ़ाई या कुछ भी, कभी भी गिवअप मत कीजिए. आखिर तक लड़िए. ट्रेनिंग में अगर आपको निराशा मिलती है. सलेक्शन न हो या अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रहे हों, फिर भी हार नहीं माननी हैं. कभी गिव अप नहीं करना है. मेहनत करते रहिए, उसका फल आपको जरूर मिलेगा.''

बाकी बायोपिक से अलग है यह फिल्म
दर्शक 'सूरमा' देखने के लिए थियेटर तक क्यों जाए? इस सवाल के जवाब में संदीप का कहना है, ''अभी तक कई खिलाड़ियों पर बायोपिक आई हैं, मेरी फिल्म इनसे काफी हटकर होगी. जो मेरी जिंदगी है, वह वैसी की वैसी ही पर्दे पर दिखाई देगी. मेरे दोस्त, मेरी फैमिली, मेरे सुख-दुख और उतार-चढ़ाव सभी वैसे ही दिखाए जाएंगे और जैसे मेरी जिंदगी में गुजरे हैं. उनमें किसी भी तरह का कोई ड्रामा नहीं. फिल्म के लिहाज से यह मनोरंजक होगी, लेकिन मेरी जिंदगी ही पर्दे पर उतारी जाएगी उसमें ड्रामा नहीं होगा.''

उन्होंने कहा, ''अपनी कहानी को पर्दे पर लाने के लिए इसीलिए मुझे चार साल लगे. मुझे ड्रामा नहीं चाहिए था. मुझे अपनी जिंदगी बड़े पर्दे पर वैसी ही चाहिए थी, जैसी वास्तविकता में हैं इसलिए यह फिल्म दूसरी बायोपिक से हटकर होगी.''

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