बच्चों में बढ़ते अपराध को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार नए साल में बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है. इसके तहत चाइल्ड पॉर्न से जुड़ी पांच हजार से ज्यादा वेबसाइट नए साल की शुरुआत में पूरी तरह बंद हो जाएंगी.
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नई दिल्ली : बच्चों में बढ़ते अपराध को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार नए साल में बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है. इसके तहत चाइल्ड पॉर्न से जुड़ी पांच हजार से ज्यादा वेबसाइट नए साल की शुरुआत में पूरी तरह बंद हो जाएंगी. सरकार इसके लिए स्पेशल प्लान बना रही है. इसके लिए गृह मंत्रालय ने 27 दिसंबर को देश के सभी राज्यों के पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाई है. इसके अलावा सरकार इस तरह की सामग्री जेनरेट करने और इसका प्रसार करने वालों को कड़ी सजा दिलाने के लिए मौजूदा आईटी एक्ट में बदलाव करने जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गृह मंत्रालय ने यह पहल की है. सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पॉर्न साइट बैन करने के सख्त निर्देश दिए थे. शीर्ष अदालत ने सरकार को नीति बनाने के लिए भी कहा था. इसके बाद गृह मंत्रालय ने इससे जुड़ी नीति को अंतिम रूप देने के लिए बैठक बुलाई है. सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय ने ऐसी सामग्री परोसने वाली वेबसाइटों पर लगाम लगाने के लिए खास नीति बनाएगा.
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मंत्रालय ने इसके लिए अलग से एक खास टीम भी तैयार कर ली है. इसमें महिला और बाल विकास मंत्रालय से भी मदद ली जा रही है. गृह मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की वेबसाइट को बंद करने और आने वाले समय में फिर से इनके सामने न आने देने के लिए दोनों श्रेणियों में कैचवर्ड भी बनाए गए हैं.
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पॉर्न से जुड़े 500 और हेट कंटेंट और अफवाह से जुड़े कंटेंट को ट्रैक करने के लिए 100 से अधिक कैचवर्ड भी बनाए गए हैं. इनकी मदद से वेबसाइट, यू-ट्यूब, फेसबुक और टि्वटर पर ऐसी सामग्री को हमेशा के लिए बैन किया जाएगा. भविष्य में इस तरह की सामग्री सामने आने पर उस यूआरएल को ब्लॉक कर दिया जाएगा.
स्पेशल टीम में साइबर एक्सपर्ट को भी रखा गया है. ये इस बात पर नजर रखेंगे जो इस तरह की सामग्री तैयार कर रहे हैं और उसके प्रसार में मदद करने वालों पर भ कड़ी नजर रखेंगे. अधिकारियों को व्हाट्सएप से जुड़ी इस तरह की सामग्री को ब्लॉक करने में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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सूत्रों का कहना है कि 27 दिसंबर को होने वाली बैठक में सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों के गाइडलाइंस भी जारी की जाएगी. इस तरह की सामग्री को रोकने में मदद के लिए तमाम वेबसाइट और सोशल मीडिया प्रतिनिधियों को भी पत्र भेजा गया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जनवरी में फैसला भी देने वाला है.