Meta कर रहा बड़े बदलाव, अब Deepfake को पहचानना होगा आसान
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Meta कर रहा बड़े बदलाव, अब Deepfake को पहचानना होगा आसान

Meta Policy For Deepfake: मेटा के एक सुपरविजन बोर्ड (Oversight Board) ने सलाह दी थी कि कंपनी को अपने दायरे को बढ़ाना चाहिए और आजकल मौजूद हर तरह के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बने कंटेंट को अपने नियमों में शामिल करना चाहिए. 

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Deepfake: फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा ने एलान किया है कि वो डिजिटली बनाई गई और बदल दी गई मीडिया से जुड़ी अपनी नीतियों में काफी बड़े बदलाव करने जा रही है. दरअसल, मेटा के एक सुपरविजन बोर्ड (Oversight Board) ने सलाह दी थी कि कंपनी को अपने दायरे को बढ़ाना चाहिए और आजकल मौजूद हर तरह के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बने कंटेंट को अपने नियमों में शामिल करना चाहिए. 

मई से मिलेगा "Made with AI" लेबल

मई से शुरू होकर मेटा अपने सभी प्लेटफॉर्मों - फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से बनाए गए वीडियो, इमेज और ऑडियो के लिए "मेड विद एआई" लेबल लगाना शुरू कर देगा. ये असल में पहले से मौजूद पॉलिसी का ही एक्सपैंशन है, जो सिर्फ कुछ खास तरह के बदले हुए वीडियो को ही ध्यान में रखती थी. 

कंपनी की कंटेंट पॉलिसी की वाइस प्रेसिडेंट मोनिका बिकर्ट ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया कि "हम एआई जनरेटेड इमेज या फिर खुद यूजर्स द्वारा बताए गए कंटेंट के आधार पर AI जनरेटेड वीडियो, ऑडियो और इमेज को 'मेड विद एआई' लेबल देंगे. साथ ही मेटा एआई फीचर का इस्तेमाल करके बनाई गईं बहुत असली दिखने वाली तस्वीरों पर हम पहले से ही 'इमेजिन्ड विद एआई' लेबल लगाते हैं." साथ ही मेटा अब उन सभी डिजिटली अल्टर्ड मीडिया पर ज्यादा प्रोमिनेंट लेबल लगाएगा, जिनसे लोगों को गुमराह करने का ज्यादा खतरा होता है, भले ही इन्हें बनाने में AI का इस्तेमाल किया गया हो या किसी और तरीके से बनाया गया हो. 

दर्शकों को मिलेगी जानकारी 

पहले मेटा ऐसे कंटेंट को हटा देता था, लेकिन अब वो दर्शकों को ये जानकारी देगा कि आखिर ये कंटेंट बनाया कैसे गया था. मोनिका बिकर्ट ने ये भी बताया कि मेटा दूसरी कंपनियों के जनरेटिव AI टूल्स से बनी तस्वीरों को पकड़ने के लिए एक तरीका तो बना चुका है, लेकिन इसे कब से लागू किया जाएगा इसकी अभी जानकारी नहीं दी गई है.

कंपनी के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ये बदलाव फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर लागू होंगे. वहीं व्हाट्सऐप और क्वेस्ट वर्चुअल रियलिटी हेडसेट्स जैसे दूसरे सर्विसेज के लिए अलग नियम हैं. उन्होंने ये भी बताया कि ज्यादा जोखिम वाले कंटेंट को दिखाने वाले स्पष्ट लेबल अभी से ही लगाए जाने शुरू कर दिए जाएंगे.

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