Budget Yatra: जब रेल बजट पेश करते ही छोड़ना पड़ा था इस मंत्री को पद
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Budget Yatra: जब रेल बजट पेश करते ही छोड़ना पड़ा था इस मंत्री को पद

1 फरवरी 2018 को मोदी सरकार का बजट पेश होने जा रहा है. यह इस सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा.

Budget Yatra: जब रेल बजट पेश करते ही छोड़ना पड़ा था इस मंत्री को पद

आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में एक ऐसे रेल मंत्री भी हुए हैं, जिन्हें रेल बजट पेश करने के महज चार दिन बाद ही केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था. जी हां, तृणमूल कांग्रेस के नेता और यूपीए-1 में रेल मंत्री रहे दिनेश त्रिवेदी को रेल बजट पेश करने के बाद ही मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. वह भी तब जबकि उनके बजट का न तो सरकार, न जनता और न ही रेलवे के किसी संगठन ने विरोध किया था. त्रिवेदी को उनकी पार्टी की नेता के मन-मुताबिक बजट पेश नहीं करने का खामियाजा भुगतना पड़ा था.

  1. बजट में रेल किराया बढ़ाने पर नाराज हो गई थीं ममता बनर्जी
  2. दिनेश त्रिवेदी की जगह मुकुल रॉय को दिया गया था मंत्री पद
  3. बजट पेश करने के चार दिनों के भीतर ही छोड़ना पड़ा था पद

नजदीकियों की वजह से रेल मंत्रालय 
दरअसल, पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद केंद्र में रेल मंत्री रहीं तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने पद छोड़ दिया. उनकी जगह उन्होंने अपने विश्वासपात्र दिनेश त्रिवेदी को इस पद पर जगह दिलाई. त्रिवेदी पार्टी के न सिर्फ वरिष्ठ नेता थे, बल्कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी की स्थापना के समय से ममता बनर्जी के साथ थे. साथ ही, वे दिल्ली में रहकर पहले से ही ममता बनर्जी के लिए देश की दूसरी राजनीतिक पार्टियों के साथ सेतु बनाने का काम कर रहे थे. इन्हीं नजदीकियों की वजह से त्रिवेदी को रेल मंत्रालय मिला था. लेकिन रेल बजट पेश करने के चंद घंटे बाद ही त्रिवेदी को ममता के कोप का शिकार होना पड़ा.

यात्री किराए में बढ़ोतरी का प्रस्ताव
दिनेश त्रिवेदी ने 14 मार्च 2012 को रेल बजट पेश करते हुए यात्री किराए में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था. इस पर उनकी पार्टी की नेता ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई थी. साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर दिनेश त्रिवेदी को उनके पद से हटाने को कहा था. हालांकि पीएम मनमोहन सिंह ने त्रिवेदी से ऐसा नहीं कहा था, लेकिन ममता की चिट्ठी से देश में सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया. राजनीतिक गलियारों में अफवाहों का दौर शुरू हो गया. एक तरफ तृणमूल कांग्रेस के नेता त्रिवेदी को ममता बनर्जी को अंधेरे में रखने का गुनाहगार ठहरा रहे थे, तो दूसरी ओर त्रिवेदी खुद को बेकसूर ठहरा रहे थे.

प्रधानमंत्री को माननी पड़ी बात 
आखिरकार जीत ममता बनर्जी की ही हुई. गठबंधन सरकार की बंदिशों के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तृणमूल कांग्रेस की बात माननी पड़ी. दिनेश त्रिवेदी को रेल बजट पेश करने के महज चार दिनों के भीतर ही अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा करनी पड़ी. उन्होंने कहा कि उनकी ममता बनर्जी से बातचीत हो गई है. वे इस्तीफा देंगे. त्रिवेदी के इस्तीफा देने के बाद ममता बनर्जी के कहे के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के नेता मुकुल रॉय को रेल मंत्री बनाया गया. हालांकि इसके बावजूद दिनेश त्रिवेदी ने यात्री किराए में बढ़ोतरी करने की अपनी घोषणा का बचाव किया. उन्होंने कहा कि रेलवे की स्थिति में सुधार के लिए इस तरह के उपाय जरूरी हैं. इसके बिना भारतीय रेल की हालत नहीं सुधरेगी.

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