टॉयलेट का इस्तेमाल करो और इनकम बढ़ाओ, ODF से होगी 50,000 की बचत
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टॉयलेट का इस्तेमाल करो और इनकम बढ़ाओ, ODF से होगी 50,000 की बचत

संसद के बजट सत्र में सरकार ने पहले दिन आर्थिक सर्वे पेश किया. इस सर्वे में सरकार के स्वच्छता कार्यक्रम को भी जोड़ा गया है. सर्वे में कहा गया है कि इस मिशन से स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभाव पड़ा है. 

आर्थिक सर्वे में दावा किया गया है कि शौचालय के इस्तेमाल से स्वास्थ्य खर्चों में कटौती आती है

नई दिल्ली : शौचालय का प्रयोग करने से आपकी बचत में भी इजाफा होगा, यह सुनने में आपकों एकबारगी अजीब लगे, मगर है सौ फीसदी सच. संसद के बजट सत्र में सरकार ने पहले दिन आर्थिक सर्वे पेश किया. इस सर्वे में सरकार के स्वच्छता कार्यक्रम को भी जोड़ा गया है. सर्वे में कहा गया है कि इस मिशन से स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभाव पड़ा है. सरकार ने दावा किया है कि खुले में शौच मुक्त होने से हर परिवार को सालाना करीब 50 हजार रुपये की बचत होगी. हालांकि इस सर्वे का आधार क्या है, इसका खुलासा नहीं किया गया है. विशेषज्ञ बताते हैं कि शौचालय के इस्तेमाल से परिवार में स्वास्थ्य मामलों में होने वाले खर्चों में कटौती होती है और यह सीधेतौर पर एक बचत है. आर्थिक समीक्षा के अनुसार अब तक पूरे देश में 296 जिलों तथा 3,07,349 गांव को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया गया है.

  1. आर्थिक सर्वे में स्वास्थ्य मिशन भी शामिल
  2. 3 लाख गांव खुले में शौच मुक्त घोषित हुए
  3. शौचालयों के प्रयोग से बीमारियों में कमी

खुले में शौच जाने वालों में कमी
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में आज पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार दो अक्टूबर 2014 को शुरू किये गये स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) कार्यक्रम की शुरूआत के बाद ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता का दायरा 2014 के 39 प्रतिशत से बढ़कर जनवरी, 2018 में 76 प्रतिशत हो गया है. समीक्षा में कहा गया है कि 2014 में खुले में शौच जाने वाले व्यक्तियों की आबादी 55 करोड़ थी, जो जनवरी, 2018 में घटकर 25 करोड़ हो गई है. अब तक पूरे देश में 296 जिलों तथा 3,07,349 गांव को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किए गए हैं.

8 राज्य खुले में शौच मुक्त
सर्वे में कहा गया है कि आठ राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, दमन और दीव तथा चंडीगढ़ को खुले में शौच से पूर्ण रूप से मुक्त घोषित किया गया है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएस) तथा भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) की रिपोर्टों के आधार पर शौचालय तक पहुंच वाले लोगों की संख्या में 2016 के मुकाबले 2017 में 90 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है. समीक्षा के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच जाने वाले व्यक्तियों की संख्या में तेजी से कमी आई है. इससे खुले में शौच से मुक्त क्षेत्रों में सकारात्मक स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव दिखाई पड़ता है.

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यूनिसेफ ने किया दावा
यूनिसेफ की ‘भारत में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) का वित्तीय और आर्थिक प्रभाव’ रिर्पोट में आकलन किया गया है कि ओडीएफ गांव में एक परिवार प्रतिवर्ष 50,000 रुपये की बचत करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि शौचालय का इस्तेमाल करने से संक्रामक बीमारियों में कमी आती है और इससे सीधेतौर से बचत होती है.

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घर में नहीं था टॉयलेट तो मायके लौट गई बहू
खुले में शौच करने में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है. घर में शौचालय न हो तो उन्हें हर दिन सूर्योदय होने से पहले-पहले गांव से बाहर जाना होता है. दिन में जरूरत हो तो पेट पकड़ कर बैठे रहो और मनचलों की छेड़खानी अलग से सहो. छत्तीसगढ़ के एक गांव से सामने आया है. धमतरी के खुरसेंगा गांव से घर में शौचालय नहीं होने के कारण एक परिवार के बिखर जाने की खबर है. जानकारी के मुताबिक खुले में शौच से आपत्ति जता कर घर की बहू मायके चली गई है. वहीं घर में शौचालय की दिक्कत के चलते बूढ़ी मां को भाई के घर भेजना पड़ा.

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