मोदी सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने की घोषणा की है, लेकिन बजट को बारीकी से देखने पर पता चलता है कि सरकार ने इस मद में आवंटन में कोई बहुत बड़ा बदलाव तो किया ही नहीं है.
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नई दिल्ली. आम बजट 2018-19 में मोदी सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाने की घोषणा की है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि आखिर इसके लिए पैसे कहां से आएंगे. बजट को बारीकी से देखने पर पता चलता है कि सरकार ने इस मद में आवंटन में कोई बहुत बड़ा बदलाव तो किया ही नहीं है. इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय का कुल बजट 56,226 करोड़ रुपये है, जो पिछले बजट की तुलना में केवल 12 फीसदी अधिक है. वर्ष 2017 के आम बजट में स्वास्थ्य सेक्टर के लिए आवंटन में 25 फीसदी तक की वृद्धि की गई थी. वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में इसका संकेत दिया गया था कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का 2.5 फीसदी किया जाएगा लेकिन यह अब भी इससे आधा है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस अंतिम पूर्ण बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च को जीडीपी का 1.2 फीसदी रखा गया है. दूसरी तरह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए आवंटन में कमी की गई है. पिछले बजट में एनएचएम के लिए 30801.56 करोड़ रुपये दिए गए थे लेकिन इस साल के बजट में इसे 30129.61 करोड़ रुपये दिया गया है. बजट में 1.5 हेल्थ और वेलनेस सेंटर के लिए 12 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इन सेंटरों में मांओं और बच्चों का इलाज किया जाएगा और उन्हें निशुल्क दवाइयां मुहैया करवाई जाएंगी. इसे स्वस्थ भारत की कल्पना का आधार माना जा रहा है. इसी तरह हर तीन संसदीय क्षेत्रों में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है. सरकार ने 24 मेडिकल कॉलेजों की शुरुआत करने और मौजूदा जिला अस्पतालों को अपग्रेड करने की बात कही है. इसने टीबी के मरीजों को हर माह 500 रुपये की सहायता देने के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
WHO ने की प्रशंसा
सभी को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने की सरकार की योजना नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम की डब्ल्यूएचओ ने प्रशंसा की है. डब्ल्यूएचओ लंबे समय से इसकी वकालत कर रहा था. अधिकारियों का कहना है कि यह योजना कैशलेस होगी. यह 2008 में लाई गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा को खत्म कर देगी. बजट में बीमा योजना के लिए 2000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जो 10 करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा देने के लिए अपर्याप्त माना जा रहा है. अगर 50 करोड़ लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा में इसे बांटा जाए तो केवल हर व्यक्ति के लिए यह 40 रुपये बैठेगा. यह भी कहा जा रहा है कि अगर पिछले साल स्वास्थ्य पर हुए खर्च का संशोधित अनुमान देखा जाए तो इस साल स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन में केवल 2.4 फीसदी की वृद्धि की गई है. अगर महंगाई दर को समायोजित किया जाए तो आवंटन में वृद्धि मामूली दिखेगा.
वेतनभोगी दरकिनार
बजट में एक तरफ खेतीबाड़ी, ग्रामीण बुनियादी ढांचे, सूक्ष्म एवं लधु उद्यमों तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए खजाना खोल कर आम लोगों को लुभाने का प्रयास किया, वहीं वेतन भोगी लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को कर और निवेश में राहत देने की भी घोषणाएं की. वित्त मंत्री ने हालांकि आयकर दरों और स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया पर वेतनभोगियों के लिए 40,000 रुपए वार्षिक की मानक कटौती की जरूर घोषणा की. इससे इस वर्ग के करदाताओं को कुल मिलाकर 8,000 करोड़ रुपए का फायदा होने का अनुमान है. लोकसभा में लगातार पांचवां बजट पेश करते हुए जेटली ने सभी कर योग्य आय पर स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया. साथ ही सामाजिक कल्याण योजनाओं के वित्त पोषण के लिये 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण अधिभार का भी प्रस्ताव किया. उन्होंने 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कंपनी कर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने की भी घोषणा की.