नवजात बच्चे को कुत्तों का निवाला बनने के लिए फेंक दिया जाता है. प्रसुता मां के सुख से पहले दम तोड़ जाती है. बुजुर्गों को एंबुलेंस की जगह ठेले पर अस्पताल ले जाना पड़ता है. यह घटना जिला अस्पताल गढ़वा की है. सीएम रघुवर दास के निर्देश के बाद भी सिस्टम की सुस्ती नहीं टूट रही है. सिस्टम की संवेदना ही मर गई है.