खतना को लेकर संयुक्त राष्ट्र का डरावना आंकड़ा, इसके नाम से सिहर जाती हैं मुस्लिम लड़कियां
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खतना को लेकर संयुक्त राष्ट्र का डरावना आंकड़ा, इसके नाम से सिहर जाती हैं मुस्लिम लड़कियां

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई तेज नहीं की गई तो साल 2030 तक छह करोड़ 80 लाख लड़कियों का खतना किया जा सकता है. गुतारेस ने अंतरराष्ट्रीय खतना विरोध दिवस पर एक बयान में कहा कि खतने की प्रथा महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि तीन महाद्वीपों के 30 देशों में 20 करोड़ से अधिक महिलाओं और लड़कियों का खतना हुआ है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि का कहना है कि हर वर्ष 39 लाख लड़कियों का खतना होता है और एक अनुमान के मुताबिक अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2030 तक इनकी संख्या बढ़कर 46 लाख पर पहुंच जाएगी. एजेंसी के कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने वर्ष 2030 तक इस प्रथा के उन्मूलन के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वृहद राजनीतिक इच्छाशक्ति की अपील की.

प्रतीकात्मक तस्वीर

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई तेज नहीं की गई तो साल 2030 तक छह करोड़ 80 लाख लड़कियों का खतना किया जा सकता है. गुतारेस ने अंतरराष्ट्रीय खतना विरोध दिवस पर एक बयान में कहा कि खतने की प्रथा महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि तीन महाद्वीपों के 30 देशों में 20 करोड़ से अधिक महिलाओं और लड़कियों का खतना हुआ है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि का कहना है कि हर वर्ष 39 लाख लड़कियों का खतना होता है और एक अनुमान के मुताबिक अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2030 तक इनकी संख्या बढ़कर 46 लाख पर पहुंच जाएगी. एजेंसी के कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम ने वर्ष 2030 तक इस प्रथा के उन्मूलन के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वृहद राजनीतिक इच्छाशक्ति की अपील की.

  1. संयुक्त राष्ट्र में महासचिव ने उइाया खतना का मुद्दा
  2. कहा, 2030 तक छह करोड़ 80 लाख लड़कियों का खतना किया जा सकता है
  3. खतने की प्रथा महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन

इराक में ISIS के आतंकियों ने जारी किया महिलाओं के खतने का फरमान
आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) के एक फरमान में इराक की महिलाओं के समक्ष गंभीर संकट पैदा कर दिया है. आईएसआईएस ने उसके कब्‍जे वाले इराक के हिस्‍सों में 11 से 46 साल तक की महिलाओं के खतने का फतवा सुनाया है. यह फतवे गृहयुद्ध से जूझ रहे इस देश की लाखों महिलाओं को प्रभावित कर सकता है.

इराक के दूसरे बड़े शहर मोसुल पर आतंकियों ने कब्‍जा कर लिया था. इसके अलावा उत्तर-पश्चिम के कई अन्‍य इलाकों पर भी आतंकियों का कब्‍जा है. आतंकियों ने अपने कब्‍जे वाले इन इलाकों में अब अपना कट्टर एजेंडा लागू करना शुरू कर दिया है. अपने एजेंडे को लागू करने के लिए आतंकी इस्‍लाम की अपने तरीके से ही व्‍याख्‍या करके उसे वहां की जनता पर थोपने में जुटे हुए हैं.

सुदूर इलाकों में अब भी होता है महिलाओं का खतना
हालांकि, इराक के कुछ सुदूर हिस्‍सों में तो महिलाओं का खतना अब भी किया जाता है, लेकिन सामान्‍य तौर पर इराक में यह एक आसामान्‍य सी बात है. संयुक्‍त राष्‍ट्र के एक अधिकारी ने बताया कि हमें जल्‍दी में ही इस फतवे के बारे में जानकारी मिली है, लेकिन आईएसआईएस के इस फतवे से इराक में करीब 40 लाख महिलाएं प्रभावित होंगी. खबर है कि आतंकियों के कब्‍जे वाले मोसुल शहर में अब सिर्फ 20 ईसाई परिवार रह गए हैं.

एशिया, अफ्रीका और मध्‍य-पूर्व के कुछ देशों में महिलाओं का खतना किया जाना आम बात है, लेकिन यह किशोरावस्‍था में ही किया जाता है. मोसुल सहित इराक के कई हिस्‍सों पर कब्‍जा करने वाले आतंकी संगठन आईएसआईएस ने ऐलान किया था कि वे यहां इस्‍लामी राज्‍य की स्‍थापना करेंगे. इसके लिए उसने ईसाईयों और अन्‍य धर्म को मानने वाले लोगों को मोसुल छोड़ने पर भी मजबूर कर दिया. ईराक में अब ज्‍यादातर ईसाई कुर्दों के कब्‍जे वाले इलाकों में चले गए हैं यही नहीं कुछ लोग इस्‍लाम धर्म को भी अपना चुके हैं. ऐसे में आतंकियों के इस ताज फरमान से दुनिया के लिए नया संकट बनकर आ खड़ा हुआ है.

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