म्‍यांमार: पहली बार नोबेल विजेता आंग सान सू की ने रोहिंग्‍या मुसलमानों पर तोड़ी चुप्‍पी
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म्‍यांमार: पहली बार नोबेल विजेता आंग सान सू की ने रोहिंग्‍या मुसलमानों पर तोड़ी चुप्‍पी

रखाइन प्रांत पिछले पांच वर्षों से सांप्रदायिक हिंसा का शिकार है. लेकिन हाल में 25 अगस्‍त को रोहिंग्‍या चरमपंथियों के एक सैनिक चौकी पर हमले के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई.

आंग सान सू की को शांति का नोबेल पुरस्‍कार मिल चुका है.

नेपीता: स्‍टेट काउंसलर आंग सान सू की ने पहली बार रोहिंग्‍या मुसलमानों के पलायन के मुद्दे पर बोलते हुए कहा है कि म्‍यांमार हिंसाग्रस्‍त रखाइन प्रांत के सभी आहत पक्षों की पीड़ा को समझता है और यहां से मुस्लिमों के बांग्‍लादेश में पलायन को लेकर चिंतित है. इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि आखिर यह पलायन क्‍यों हो रहा है? जो लोग पलायन को मजबूर हुए हैं, उनसे बातचीत करेंगे. सरकार सांप्रदायिक हिंसा के शिकार रखाइन प्रांत में शांति, स्‍थायित्‍व और भाईचारा बहाली के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. यहां पर अभी भी बहुत सारे मुस्लिम गांवों से पलायन नहीं हुआ है. यानी कि सभी लोग यहां से नहीं भागे हैं. इसमें जिम्‍मेदार लोगों को किसी भी सूरत में नहीं बख्‍शा नहीं जाएगा चाहें वो किसी भी जातीय समूह या धर्म के हों. 

  1. म्‍यांमार के रखाइन प्रांत से रोहिंग्‍या मुसलमानों का पलायन
  2. सांप्रदायिक हिंसा के बाद बांग्‍लादेश, म्‍यांमार जैसे देशों में आ रहे शरणार्थी
  3. अंतरराष्‍ट्रीय आलोचना के बाद पहली बार आंग सान ने रखी अपनी बात
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वैसे तो रखाइन प्रांत पिछले पांच वर्षों से सांप्रदायिक हिंसा का शिकार है. लेकिन हाल में 25 अगस्‍त को रोहिंग्‍या चरमपंथियों के एक सैनिक चौकी पर हमले के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. तब से इस बौद्ध बहुसंख्‍यक आबादी वाले देश में हिंसा का दौर जारी है और बड़े पैमाने पर रोहिंग्‍या मुसलमानों का पलायन हो रहा है. इस हिंसा के बाद नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता आंग सान द्वारा खामोशी अख्तियार करने से उनकी अंतरराष्‍ट्रीय बिरादरी में आलोचना होती रही है.     

आंग सान ने कहा कि म्‍यांमार की सामाजिक संरचना जटिल है. इन सबके बीच लोग हमसे कम से कम समय में सभी चुनौतियों से निपटने की अपेक्षा करते हैं. तकरीबन 70 साल के आंतरिक संघर्ष के बाद म्‍यांमार ने शांति और स्‍थायित्‍व हासिल किया है. हम किसी भी प्रकार के मानवाधिकारों के उल्‍लंघन की निंदा करते हैं. हम शांति और कानून के राज के लिए प्रतिबद्ध हैं. म्‍यांमार को किसी भी प्रकार की अंतरराष्‍ट्रीय जांच का भय नहीं है. हम हिंसाग्रस्‍त रखाइन प्रांत के टिकाऊ समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं. 

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आंग सान ने बढ़ती अंतरराष्‍ट्रीय आलोचना पर कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र के पूर्व महासचिव डॉ कोफी अन्‍नान के नेतृत्‍व में एक कमीशन को आमंत्रित किया है जो हिंसाग्रस्‍त क्षेत्र की समस्‍याओं के समाधान के लिए हमारी मदद करेगा. इसके साथ ही पलायन करने वाले जो लोग वापस आना चाहते हैं तो इससे संबंधित शरणार्थी सत्‍यापन प्रक्रिया को शुरू करने के लिए भी म्‍यांमार तैयार है.

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हालांकि ताजा हिंसा का उल्‍लेख करते हुए आंग सान ने कहा कि 25 अगस्‍त को 30 पुलिस पोस्‍ट पर हमला किया गया. उसके बाद अराकान रोहिंग्‍या सेल्‍वेशन आर्मी को आतंकी संगठन घोषित किया गया. इसके साथ ही जोड़ा कि म्‍यांमार को हम धार्मिक या जातीय आधार पर विभाजित नहीं होने देना चाहते.

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