2017 में दोनों के बीच तनातनी का माहौल था लेकिन 2018 में यह तनातनी धीरे-धीरे खत्म हुई और मुलाकात की राह प्रशस्त हुई.
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उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सिंगापुर में कल यानी 12 जून को होने वाली ऐतिहासिक मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजरेें टिकी हैं. 2017 में दोनों के बीच तल्खियां, बयानबाजी, टकराव, मनमुटाव और दुश्मनी चरम पर थी. अमेरिका चाहता था कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार नष्ट करे तो उत्तर कोरिया का कहना था कि वह अमेरिका की धमकियों से नहीं डरता. बात यहां तक पहुंच गई थी कि उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन ने अमेरिका पर मिसाइल से हमले की चेतावनी तक दे दी थी. संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर कई प्रतिबंध लगाए थे. लेकिन फिर 2018 आया. इस नए साल पर किम जोंग उन थोड़ा झुका और दक्षिण कोरिया के साथ बेहतर संबंध बनाने की इच्छा जताई. इसी के बाद से डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच मुलाकात होने की नींव पड़ी. चर्चाओं, बयानबाजी और उतारचढ़ाव के बाद आखिरकार दोनों के बीच कल यानी 12 जून को सिंगापुर में मुलाकात होने वाली है. इस मुलाकात के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है.
1 जनवरी, 2018
2017 में थर्मोन्यूक्लियर विस्फोटक और तीन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण के बाद नए साल के अवसर पर 1 जनवरी, 2018 को अपने संबोधन में किम जोंग उन ने दक्षिण कोरिया के साथ बेहतर संबंध बनाने की इच्छा जताई. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी डेस्क पर ही न्यूक्लियर बटन है. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर पर जवाब दिया था कि उनके पास तो ज्यादा बड़ा और शक्तिशाली न्यूक्लियर बटन है.
9 जनवरी
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के अधिकारियों ने सीमा पर स्थित एक गांव में मुलाकात की. इस दौरान दक्षिण कोरिया में होने वाले विंटर ओलंपिक्स में उत्तर कोरियाई एथलीटों और प्रतिनिधिमंडल के भी हिस्सा लेने पर सहमति बनी. इसके बाद फरवरी में प्योंगचांग में आयोजित ओलंपिक्स में बड़ी संख्या में उत्तर कोरियाई एथलीट गए. प्रतिनिधिमंडल में किम जोंग उन की बहन भी शामिल थी. उन्होंने किम जोंग उन की ओर से दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति से भी मुलाकात की थी.
5-6 मार्च
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के नेशनल सिक्योरिटी डायरेक्टर चुंग ईयूई योंग ने प्योंगयांग में किम जोंग उन से मुलाकात की. इसके बाद चुंग ने जानकारी दी कि किम जोंग उन अमेरिका के साथ अपने परमाणु हथियारों को लेकर बातचीत करना चाहता है.
8 मार्च
वाशिंगटन में दक्षिण कोरियाई प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने ट्रंप के सामने किम की ओर से मुलाकात का आमंत्रण दिया. इसे डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीकार कर लिया.
27 मार्च
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अचानक चीन की यात्रा की और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. उनका मकसद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात से पहले चीन से अपने संबंध प्रगाढ़ करना और शक्तिशाली चीन का सहयोग पाना था.
18 अप्रैल
डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी पुष्टि की कि सीआइए के तत्कालीन प्रमुख माइक पॉम्पियो ने उत्तर कोरिया में किम जोंग उन से गोपनीय मुलाकात की. साथ ही कहा कि अपेक्षित शिखर वार्ता से पहले यह एक अच्छा रिश्ता स्थापित होने की बात कही.
21 अप्रैल
उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के परीक्षण बंद करने की घोषणा कर दी. साथ ही उसने अपना परमाणु परीक्षण स्थल भी बंद करने का एलान किया. उसने घोषणा की कि अब वह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर ध्यान देगा. ट्रंप ने इस पर ट्वीट किया कि यह उत्तर कोरिया और पूरे विश्व के लिए बहुत अच्छी खबर है.
27 अप्रैल
किम जोंग उन ने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने न्यूक्लियर फ्री कोरियाई प्रायद्वीप और स्थाई शांति की घोषणा की.
7 मई
किम जोंग उन ने चीन में शी जिनपिंग से दोबारा मुलाकात की. इस दौरान मजबूत रणनीतिक सहयोग को लेकर बातचीत की.
9 मई
इस समय अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने ट्रंप और किम की मुलाकात की तैयारियों के लिए प्योंगयांग का दोबारा दौरा किया. उत्तर कोरिया ने 3 अमेरिकियों को जेल से रिहा किया.
10 मई
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि वह किम जोंग उन से सिंगापुर में 12 जून को मुलाकात करेंगे. उन्होंने ट्वीट किया 'हम दोनों इसे दुनिया की शांति के लिए खास पल बनाएंगे'.
12 मई
उत्तर कोरिया ने घोषणा की कि वह 23 से 25 मई के बीच अपने परमाणु परीक्षण स्थल को खत्म कर देगा.
16 मई
उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के साथ अपनी उच्च स्तर की वार्ता को रद्द कर दिया. ऐसा उसने अमेरिका और दक्षिण कोरियाई सेना के संयुक्त सैन्य अभ्यास के विरोध में किया. साथ ही उसने डोनाल्ड ट्रंप से किम की मुलाकात भी रद्द करने की धमकी दी. उत्तर कोरिया ने अमेरिका की उस टिप्पणी का भी विरोध किया, जिसमें अमेरिका ने कहा था कि उत्तर कोरिया को लीबिया मॉडल की तरह अपने सभी परमाणु हथियारों को नष्ट कर देना चाहिए. इस पर उत्तर कोरिया ने कहा था कि वो किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएगा.
22 मई
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन के बीच वाशिंगटन में किम और ट्रंप की मुलाकात पर चर्चा के लिए वार्ता हुई. इसमें मून ने कहा था कि सिंगापुर में होने वाली किम और ट्रंप की मुलाकात पर ही कोरियाई प्रायद्वीप का भविष्य निर्भर है.
25 मई
उत्तर कोरिया ने पूर्व में किम और ट्रंप की मुलाकात टालने पर दिए बयान पर डैमेज कंट्रोल करना चाहा. उत्तर कोरिया ने बयान जारी करके कहा कि वह अमेरिका के साथ कभी भी किसी भी स्तर पर बातचीत के लिए तैयार है. मून ने इस पर कहा कि अमेरिका और उत्तर कोरिया को बातचीत के लिए तैयार होना चाहिए.
26 मई
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के बीच सीमा के एक गांव में मुलाकात हुई. इस पर किम की ट्रंप से मुलाकात को लेकर चर्चा हुई. मुलाकात के बाद मून जे-इन ने दावा किया कि किम कोरियाई प्रायद्वीप पर परमाणु हथियार नष्ट करने पर सहमत है. लेकिन साथ में उसने यह भी चिंता जताई है कि भविष्य में इसके बदले क्या अमेरिका उसे लाभ और सुरक्षा की गारंटी देगा.
30 मई
उत्तर कोरियाई प्रतिनिधि और वहां के वरिष्ठतम अधिकारी किम योंग चोल ने अमेरिका का दौरा किया. न्यूयॉर्क में उन्होंने किम और ट्रंप के बीच प्रस्तावित मुलाकात की तैयारियों पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियों से चर्चा की.
1 जून
व्हाइट हाउस में किम योंग चोल से मुलाकात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि किम जोंग उन से उनकी 12 जून को प्रस्तावित मुलाकात होगी.
5 जून, 2018
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी सारा हुकैबी सैंडर्स ने ट्वीट करके घोषणा की कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई तानाशाह के बीच 12 जून को सिंगापुर में कैपेला होटल में मुलाकात होगी.