अमेरिका के लिए समझौतों का कोई मायने नहीं, उनसे बात करना बेकार है: अयातुल्ला खुमैनी
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अमेरिका के लिए समझौतों का कोई मायने नहीं, उनसे बात करना बेकार है: अयातुल्ला खुमैनी

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने शनिवार (21 जुलाई) को कहा कि अमेरिका से बातचीत ‘‘बेकार’’ है, क्योंकि वह समझौतों का मान नहीं रखता.

अमेरिका ईरान को अलग-थलग करने पर तुला है.(फाइल फोटो)

तेहरान: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने शनिवार (21 जुलाई) को कहा कि अमेरिका से बातचीत ‘‘बेकार’’ है, क्योंकि वह समझौतों का मान नहीं रखता. यहां ईरानी राजनयिकों की एक सभा को संबोधित करते हुए खमैनी ने कहा, ‘‘ जैसा कि मैंने पहले कहा है, हम अमेरिका के शब्दों और यहां तक कि उनके दस्तखत पर भी यकीन नहीं कर सकते. लिहाजा, उनसे बातचीत बेकार है.’’ उन्होंने कहा , ‘‘ यह मानना बहुत गलत है कि अमेरिका के साथ बातचीत या रिश्तों से समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं. ’’

ईरान और दुनिया के ताकतवर देशों के बीच 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु करार से खुद को अलग कर चुका अमेरिका ईरान को अलग - थलग करने पर तुला है और फिर से प्रतिबंधों को पूरी तरह थोपकर उस पर आर्थिक दबाव डालने की तैयारी में है. इन प्रतिबंधों की शुरुआत अगस्त में होगी.

यूरोप अमेरिका के इस कदम का विरोध कर रहा है और ईरान से अपने व्यापारिक संबंध बनाए रखने के तौर - तरीके तलाशने का इरादा जाहिर कर रहा है. परमाणु करार के तहत ईरान ने प्रतिबंध हटाने के एवज में अपने परमाणु कार्यक्रम में कटौती की थी. खमैनी ने कहा , ‘‘ यूरोपीय देशों के साथ बातचीत निश्चित तौर पर चलनी चाहिए , लेकिन हमें अनिश्चितकाल तक उनकी पेशकश का इंतजार नहीं करना चाहिए. ’’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह एक नए करार के लिए तैयार हैं जिसके दायरे में न सिर्फ ईरान के परमाणु प्रतिष्ठान , बल्कि इसका मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय दखल भी आएगा जिन्हें अमेरिका अपने सहयोगी इस्राइल के लिए खतरे के रूप में देखा जाता है. खमैनी ने कहा , ‘‘ अमेरिका ईरान की क्रांति (1979) से पहले के हालात और अपने दर्जे की वापसी चाहता है. ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ वे परमाणु क्षमता , इसके संवर्धन की ईरान की ताकत और क्षेत्र में इसकी मौजूदगी के खिलाफ हैं. ’’ ईरान की क्रांति के समय तक ईरान अमेरिका का करीबी सहयोगी था. 

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