Israel-Hamas War News: जानकार कहते हैं कि फिलिस्तीनियों ने दशकों से इसे पहचान और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया है. हालांकि यह फल इस तरह का प्रतीक कैसे बन गया, इसका सटीक विवरण अस्पष्ट है.
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War in Gaza: सोशल मीडिया पर और बाहर, इजरायल और हमास के बीच घातक युद्ध में फ़िलिस्तीनियों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के प्रतीक के रूप में तरबूज का उपयोग किया जा रहा है. फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में विरोध प्रदर्शनों में फल को कार्डबोर्ड के अर्धवृत्तों पर चित्रित किया जाता है. तरबूज इमोजी टिकटॉक और एक्स पर डिस्पले नामों में फिलिस्तीनी ध्वज के बगल में दिखाई देता है. हजारों इंस्टाग्राम यूजर्स ने तरबूज के एक चित्रण को लाइक किया है जिसके बीज से लिखा है 'अभी युद्धविराम.'
यह फल गाजा और वेस्ट बैंक में उगाया जाता है. इसमें फिलिस्तीनी ध्वज के समान चार रंग - लाल, हरा, काला और सफेद - है.
दशकों से होता है प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक डिजिटल प्रकाशन मुस्लिम गर्ल के संस्थापक 30 वर्षीय अमानी अल-खहतबेह ने कहा, फिलिस्तीनियों ने दशकों से इसे पहचान और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया है. अल-खाहतबेह ने कहा, 'युद्ध की शुरुआत के बाद से इसे बहुत अधिक व्यापक रूप से समझा गया है. ऐसे लोग हैं जिनका फिलिस्तीन और इजरायल से बिल्कुल भी कोई संबंध नहीं है, लेकिन वे अभी भी इमोजी का उपयोग कर रहे हैं.'
कब से हुई शुरुआत?
फिलीस्तीनी कला के विद्वान और मिशिगन यूनिवर्सिटी के आवासीय कॉलेज में इस्लामी कला के लेक्चरर साशा क्रास्नो ने कहा कि तरबूज के प्रतीक की जड़ें गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायल के फिलिस्तीनी ध्वज के दमन में हैं. उन्होंने कहा कि फल इस तरह का प्रतीक कैसे बन गया, इसका सटीक विवरण अस्पष्ट है.
कहानी के कुछ वर्जनों के हिसाब से फ़िलिस्तीनी ध्वज के स्थान पर तरबूज़ प्रदर्शित किए गए थे जब 1967 और 1993 के बीच इसे प्रभावी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया था, डॉ. क्रास्नो ने कहा। 1993 के न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में कहा गया था कि फिलिस्तीनियों को एक बार तरबूज के टुकड़े ले जाने के लिए गिरफ्तार किया गया था, यह नोट करने के लिए संशोधित किया गया था कि खाते को सत्यापित नहीं किया जा सका.
साशा क्रास्नो बताते हैं कहानी के कुछ वर्जन मुताबिक जब 1967 और 1993 के बीच फिलिस्तीनी धव्ज प्रभावी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया था तब फिलिस्तीनी झंडे के स्थान पर तरबूज प्रदर्शित किए गए थे.
कहानी के एक अन्य वर्जन तरबूज को स्लीमन मंसूर और दो अन्य फ़िलिस्तीनी कलाकारों की एक प्रदर्शनी से जोड़ता है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसे 1980 के दशक में इज़रायली सैनिकों ने बंद कर दिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक 76 वर्षीय मंसूर ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को हाल ही में एक ईमेल में लिखा था कि एक इजरायली सैनिक ने उन्हें तरबूज सहित झंडे के रंग में कुछ भी रंग न करने के लिए कहा. उन्होंने कहा, 'अधिकारी इन रंगों - लाल, हरा, काला और सफेद - (और वे क्या दर्शाते हैं) - के प्रति अपना अनादर व्यक्त करना चाहते थे.' मंसूर ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले 1987 में फिलिस्तीनी लोक कथाओं की एक किताब के लिए तरबूज का चित्र बनाया था.
डॉ. क्रास्नो ने कहा, इन दोनों कहानियों के प्रसार ने तरबूज को फिलिस्तीनी कला की एक विशेषता के रूप में स्थापित कर दिया.