Russian Oil: जयशंकर का यह हाजिर जवाब उस समय आया जब म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में उनकी तरफ कई सवाल उछाले गए. इसी बीच रूस से तेल खरीद वाला सवाल तंज के टोन में आया तो उन्होंने करारा जवाब दे दिया. इस दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री समेत दुनिया के कई नेता मौजूद थे.
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Jaishankar In Germany: विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के स्टैंड को जोरदार तरीके से रखते हैं. इसकी एक और बानगी शनिवार को दिखाई दी जब उन्होंने कहा कि भारत रूस से तेल खरीदता रहेगा, चाहे पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हों. जयशंकर ने जर्मनी के म्यूनिख में एक सुरक्षा सम्मेलन में कहा कि भारत के पास तेल के कई स्रोत हैं और रूस उनमें से एक है. उन्होंने कहा कि भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनने का अधिकार है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम स्मार्ट हैं हमारे पास विकल्प हैं, आपको तो तारीफ करनी चाहिए.
असल में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर शनिवार को जर्मनी के म्यूनिख में चल रहे 60वें सुरक्षा सम्मेलन में बोल रह थे. उन्होंने इस दौरान कई सवालों के जवाब दिए. जयशंकर ने कहा कि भारत रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को भी महत्व देता है. उन्होंने कहा कि भारत दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध रखने में सक्षम है.
'यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए'
रूसी कार्यकर्ता एलेक्सी नवलनी की जेल में मौत को लेकर वैश्विक हंगामे के बीच भारत-मॉस्को के साथ व्यापार जारी रखते हुए और वाशिंगटन के साथ अपने बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों को कैसे संतुलित कर रहा है, इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की. उन्होंने कहा, "क्या यह एक समस्या है, यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए? अगर मैं इतना स्मार्ट हूं कि मेरे पास कई विकल्प हैं, तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए.
भारत का रूस और अमेरिका से संतुलन कैसे
उन्होंने कहा कि क्या यह दूसरों के लिए एक समस्या है? मुझे ऐसा नहीं लगता, अचानक इस मामले में. हम कोशिश करते हैं यह समझाने के लिए कि देशों के बीच अलग-अलग खींचतान और दबाव क्या हैं. उस एकआयामी संबंध का होना बहुत कठिन है." यह टिप्पणी ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं. भारत रूस से तेल और हथियारों का एक प्रमुख खरीदार है और दोनों देशों ने कई रणनीतिक साझेदारी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
'ग्रोइंग द पाई: सीजिंग शेयर्ड अपॉर्चुनिटीज'
वहीं इस सम्मेलन में 'ग्रोइंग द पाई: सीजिंग शेयर्ड अपॉर्चुनिटीज' विषय पर एक पैनल चर्चा में मंत्री ने भाग लिया. इसमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और उनके जर्मन समकक्ष एनालेना बेयरबॉक भी मौजूद थे. जयशंकर ने कहा, "मुझे लगता है कि गैर-पश्चिम और पश्चिम-विरोधी होने के बीच अंतर करना आज महत्वपूर्ण है. मैं निश्चित रूप से भारत को एक ऐसे देश के रूप में चित्रित करूंगा, जो गैर-पश्चिम है...जिसके पश्चिमी देशों के साथ बेहद मजबूत संबंध हैं जो दिन-ब-दिन बेहतर हो रहे हैं.“
सम्मेलन में क्या बोले ब्लिंकन
वहीं चर्चा को आगे बढ़ाते हुए, ब्लिंकन ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध "अब तक के इतिहास में सबसे मजबूत हैं" ब्लिंकन ने कहा, "हमें जो करने की ज़रूरत नहीं है और जो हम नहीं कर रहे हैं वह दुनिया को किसी भी तरह कठोर ब्लॉकों में ढालने की कोशिश कर रहा है... मैं तर्क दूंगा कि हमारे देशों के बीच संबंध अब तक के इतिहास में सबसे मजबूत हैं. उन्होंने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारत ब्रिक्स का एक प्रमुख सदस्य है, हम जी7 के प्रमुख सदस्य हैं... हमारे पास कई चीजें हैं जो हम खुद को संगठित करने के विभिन्न तरीकों से हर दिन एक साथ कर रहे हैं." जयशंकर और ब्लिंकन ने लाल सागर में समुद्री सुरक्षा पर चर्चा के लिए सम्मेलन से इतर शुक्रवार को भी मुलाकात की थी.