दूतावास की ओर जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर उनको परिसर पहुंचने से रोका गया. सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी के बौछारों का इस्तेमाल किया.
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बेरूत/जकार्ता: यरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के वॉशिंगटन के विवादित फैसले के विरोध में अमेरिकी दूतावास के निकट प्रदर्शन कर रहे लोगों को तितर-बितर करने के लिए रविवार (10 दिसंबर) को लेबनान के सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले और पानी के बौछारों का इस्तेमाल किया. बेरूत के बाहरी इलाके अवकर में मौजूद एएफपी के एक संवाददाता ने बताया कि सैकड़ों फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी अमेरिकी दूतावास के निकट एकत्रित हो गए. दूतावास की ओर जाने वाली सड़क को अवरुद्ध कर उनको परिसर पहुंचने से रोका गया. सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी के बौछारों का इस्तेमाल किया, जो बलपूर्वक गेट को खोलने का प्रयास कर रहे थे. संवाददाता के मुताबिक पथराव और आंसू गैस के गोले के कारण कई लोग जख्मी हो गए. सुरक्षा बलों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है.
येरुशलम पर संयुक्त राष्ट्र में अलग-थलग पड़ा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने लगाई फटकार
यरूशलम मुद्दे पर अमेरिकी दूतावास के सामने हजारों लोगों ने निकाली रैली
यरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर को मान्यता देने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की निंदा करते हुए इंडोनेशिया में करीब 10,000 लोगों ने फलस्तीन के समर्थन में अमेरिकी दूतावास के सामने रैली निकाली. प्रदर्शनकारी तख्तियां लिये हुए थे जिन पर लिखा था ‘अमेरिकी दूतावास अल कुद्स से बाहर जाओ’, ‘मुक्त और फलस्तीन’ और ‘हम हैं फलस्तीन के साथ’. अल-कुद्स का अरबी नाम है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बीते 6 दिसंबर को लिए गए फैसले के बाद इस्लामिस्ट प्रॉस्परस जस्टिस पार्टी की ओर से रविवार (9 दिसंबर) को दूसरी बार प्रदर्शन किया गया.
राष्ट्रपति जोको ‘जोकोवी’ विडोडो ने ट्रंप के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का सरासर उल्लंघन बताया है. दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला इंडोनेशिया फलस्तीन का मुखर समर्थक रहा है और यहूदी राष्ट्र के साथ उसका कोई राजनयिक संबंध नहीं है.