संपादकीय में मौजूदा राजनीतिक संकट को मालदीव का आतंरिक मामला बताते हुए कहा गया है कि अगर भारत सैन्य दखल देता है तो चीन भी जवाबी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा.
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नई दिल्ली: मालदीव के राजनीतिक संकट के बीच चीन ने धमकी भरे अंदाज में भारत से कहा है कि अगर उसने इस मामले में सैन्य कार्रवाई की तो वह भी खामोश नहीं बैठेगा. सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में यह बात कही गई है. संपादकीय में कहा गया है कि मालदीव इस समय संकट से जूझ रहा है, ऐसे में भारत को भी संयम से काम लेना चाहिए. संपादकीय में मौजूदा राजनीतिक संकट को मालदीव का आतंरिक मामला बताते हुए कहा गया है कि अगर भारत सैन्य दखल देता है तो चीन भी जवाबी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा.
मालदीव में सैन्य हस्तक्षेप का समर्थन करने वालों को निशाने पर लेते हुए 'माले में अनधिकृत सैन्य हस्तक्षेप रोका जाना चाहिए' शीर्षक से लिखे गए संपादकीय में इसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानकों के हिसाब से सही नहीं बताया गया है. संपादकीय में साफ-साफ कहा गया है कि सभी देशों को एक दूसरे की संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और हस्तक्षेप न करने के सिद्धांत का सम्मान करना चाहिए. साथ ही संपादकीय में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि अगर मालदीव में हालात और बिगड़ते हैं तो अंतरराष्ट्रीय तंत्र के जरिए इसका समाधान निकाला जाना चाहिए.
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5 फरवरी को मालदीव में आपातकाल
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने बीते 6 फरवरी को को अपने देश में उत्पन्न संकट को समाप्त करने के लिए भारत सरकार से सैन्य हस्पक्षेप का आग्रह किया था. इसके एक दिन पहले (5 फरवरी) राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल की घोषणा की और देश के प्रधान न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश को जेल में बंद कर दिया. नशीद ने ट्वीट कर कहा कि वह 'मालदीव के लोगों की ओर से भारत से 'सेना समर्थित' राजनयिक भेजने का आग्रह कर रहे हैं ताकि पूर्व राष्ट्रपति मैमून अब्दुल गयूम समेत राजनीतिक बंदियों व न्यायाधीशों को रिहा करवाया जा सके."
चीन की भारत को चेतावनी
इससे पहले 7 फरवरी को चीन ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत को मालदीव में हस्तक्षेप को लेकर चेताया था और कहा है कि देश के राजनीतिक संकट में बाहरी 'हस्तक्षेप' से स्थिति और जटिल होगी. चीन ने इन आरोपों से इनकार किया है कि वह मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का समर्थन कर रहा है. उसने कहा कि बीजिंग दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की नीति का पालन करता है.
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चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था, "मालदीव में मौजूदा स्थिति उसका आंतरिक मामला है. इसे संबंधित पक्षों को बातचीत और आपसी संपर्क से समुचित तरीके से सुलझाना चाहिए." गेंग ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मालदीव में कार्रवाई करने के बजाए देश की संप्रभुता का सम्मान कर सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए. कार्रवाई करने से मौजूदा स्थिति जटिल हो सकती है."
पूर्व राष्ट्रपति ने किया था भारत से सैन्य हस्तक्षेप का आग्रह
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने 6 फरवरी को नई दिल्ली से मालदीव में सैन्य हस्तक्षेप का आग्रह किया था. भारत के करीबी नशीद को 2012 में साजिश के तहत सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. इस पूरे घटनाक्रम के बाद भारत ने अपने तल्ख बयान में कहा था कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा देश में आपातकाल लगाना और देश के प्रधान न्यायाधीश व पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को गिरफ्तार करना काफी परेशान करने वाला कदम है.
क्या है मामला:
मालदीव की सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले गुरुवार (1 फरवरी) को विपक्ष के नौ हाई-प्रोफाइल राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और उनके खिलाफ चलाये गए मुकदमों को राजनीति से प्रेरित बताये जाने के बाद से ही देश में राजनीतिक संकट के बादल छा गये थे. घटना के बाद मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इनकार कर दिया, जिसके कारण पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये. राष्ट्रपति ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी जिसके कुछ ही घंटों बाद सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश अली हमीद को गिरफ्तार कर लिया गया.
(इनपुट एजेंसी से भी)