राष्ट्रपति ने सोमवार की शाम मालदीव में आपातकाल की घोषणा कर दी है. यह आपातकाल 15 दिनों के लिए लगाया गया है.
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माले : मालदीव में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के बीच विवाद बड़े राजनीतिक संकट के रूप में बदल गया है. राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानने से इनकार कर दिया है. राष्ट्रपति ने सोमवार की शाम मालदीव में आपातकाल की घोषणा कर दी है. यह आपातकाल 15 दिनों के लिए लगाया गया है. उधर, राजधानी माले में सेना तैनात है. सेना ने संसद को चारों तरफ से घेर कर सील कर दिया है. लोग सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं.
सेना को दिए अधिकार
सांसद इवा अब्दुल्ला ने बताया कि सभी मूलभूत अधिकारों को रद्द कर दिया गया है. सेना को अतिरिक्त ताकत दे दी गई है. सेना को सर्च और गिरफ्तारी के आदेश दे दिए गए हैं. सेना ने छापेमारी और गिरफ्तारियां शुरू कर दी हैं. जानकारी मिली है कि सेना ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तोड़ दिए हैं.
भारत ने जारी की परामर्श
भारत ने मालदीव में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता प्रकट की और अपने नागरिकों से अगली सूचना तक हिंद महासागर के इस देश की सभी गैर जरूरी यात्रा टालने को कहा है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि मालदीव में भारतीय प्रवासियों को भी सुरक्षा के बारे में चौकस रहने और सार्वजनिक स्थानों पर जाने और जमा होने से बचने को कहा है. परामर्श में कहा गया, ‘‘मालदीव में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम और उसके बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति सरकार के लिए चिंता का विषय है. इसलिए, भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक माले और अन्य द्वीपों की सभी गैरजरूरी यात्राएं टालने की सलाह दी जाती है.
उधर, अमेरिका ने कहा है कि इस आपात स्थिति में वह मालदीव के लोगों के साथ है. अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने मालदीव की सरकार और सेना को कानून का पालन करने, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र का सम्मान करने की अपील की है.
All basic rights have been suspended. Security forces have sweeping powers to arrest and search: Eva Abdulla, Member of Parliament #Maldives
— ANI (@ANI) 5 फ़रवरी 2018
कोर्ट का आदेश ठुकराया
बता दें कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने पार्टी से अलग हुए 12 सांसदों को बर्खास्त कर दिया था. इन सांसदों ने विपक्ष का दामन थाम लिया था. इनमें से कुछ नेताओं को कैद भी कर लिया था. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने 9 राजनीतिक असंतुष्टों की रिहाई और 12 सांसदों की फिर से बहाली का आदेश दिया था. लेकिन राष्ट्रपति ने कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया था. अगर अब्दुल्ला यामीन कोर्ट का आदेश मानते हुए सांसदों को बहाल करते हैं तो उनकी सरकार अल्पमत में आ जाएगी और उन पर महाभियोग चलाया जा सकता है.
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महाभियोग का डर
रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने मालदीव सरकार से अपने आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा. 12 सांसदों को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यामीन की पार्टी अल्पमत में हो जाएगी और उनपर महाभियोग का खतरा मंडरा सकता है. ये सांसद सत्ता पक्ष से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे। मालदीव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया है। इस बीच, पुलिस ने रविवार को 2 विपक्षी सांसदों को स्वदेश लौटने पर गिरफ्तार कर लिया.
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कोर्ट का आदेश नहीं मानेगी पुलिस
सरकार ने पुलिस और सैनिकों से कहा कि वे यामीन के खिलाफ जारी महाभियोग के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को न मानें. रविवार को राष्ट्रीय टेलिविजन पर दिए गए अपने संदेश में अटर्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने कहा कि सरकार इसे नहीं मानती. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला असंवैधानिक और अवैध है इसलिए पुलिस और सेना से कहा है कि किसी भी असंवैधानिक आदेश का पालन न करें.
आमने-सामने कोर्ट और सरकार
सरकार और कोर्ट के आमने-सामने आने से मालदीव में राजनीतिक संकट गहरा गया. विपक्षी दलों के संसद में प्रवेश पर रोक लगा दी है. आज सोमवार को संसद का सत्र शुरू होना था, लेकिन इसे टाल दिया गया. सरकार वहां अब चुनाव कराने की तैयारी में है. जबकि सरकार का कार्यकाल अगले साल नवंबर में पूरा होगा. हिंसा की आशंका को देखते हुए राजधानी में सभी सरकारी कार्यालयों और रिपब्लिक स्क्वायर के नजदीक सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं.