संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधियों ने अपनी दो दिवसीय म्यामां यात्रा के दौरान रखाइन प्रांत का भी दौरा किया.
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नेपीदाः संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक दूत ने मंगलवार (1 मई) को कहा कि म्यामां को मुस्लिम रोहिंग्या लोगों के कथित उत्पीड़न की ‘उचित जांच’ करानी चाहिए. इसके पहले संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधियों के एक दल ने उस क्षेत्र का दौरा किया जहां से करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को भगा दिया गया था. इसकी शुरुआत पिछले साल अगस्त में हुई थी. संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधियों ने अपनी दो दिवसीय म्यामां यात्रा के दौरान रखाइन प्रांत का भी दौरा किया. दल ने म्यामां की नेता आंग सान सूची के साथ ही सेना के अधिकारियों से भी मुलाकात की.
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटिश राजदूत करेन पीयर्स ने संवाददाताओं से कहा कि जवाबदेही तय करने के लिए उचित जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पूरी जांच के लिए दो तरीके हैं. एक अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय है जबकि दूसरा तरीका यह है कि म्यामां सरकार खुद ही व्यापक जांच कराए. इसके पहले प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश के रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों का भी दौरा किया.
रोहिंग्या मुसलमानों पर कार्रवाई के दौरान रेप की घटनाएं नहीं हुईः म्यामां सेना प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधियों को राजधानी नाएप्यीदाव में संबोधित करते हुए म्यामां के सेना प्रमुख ने इस बात से इनकार किया कि उनके बलों ने रोहिंग्या मुसलमानों पर कार्रवाई के दौरान बलात्कार या यौन उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम दिया था. सीनियर जनरल मिन आंग हलैंग उस सेना के प्रमुख हैं जिस पर संयुक्त राष्ट्र ने बलात्कार और असैन्यों की हत्याएं करने समेत ‘‘ नस्ली सफाए ’’ का आरोप लगाया है. अगस्त 2017 में शुरू हुए रोहिंग्या विरोधी अभियान में उनके गांव जला दिए गए और अत्याचार किए गए. इसके चलते करीब 7,00,000 रोहिंग्या अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी.
संकट के कई महीने बाद भी संरा प्रतिनिधियों को म्यामां में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई थी . ऐसे में सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधियों का यह पहला दौरा है जिसमें वह मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सम्मानजनक और सुरक्षित वापसी के लिए दबाव बनाएंगे. कल प्रतिनिधिमंडल ने सेना प्रमुख से मुलाकात की. देश के सभी सुरक्षा मामलों का नियंत्रण उनके हाथों में है , निर्वाचित सरकार का इसमें ज्यादा दखल नहीं है.
सोमवार को अपने आधिकारिक फेसबुक पेज के माध्यम से उन्होंने प्रतिनिधिमंडल से कहा, ‘‘ तात्मादाव ( सेना ) हमेशा अनुशासित रहती है और कानून तोड़ने वाले हर व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करती है. ’’ बांग्लादेश में शरणार्थी रोहिंग्या महिलाओं और लड़कियों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं लेकिन सेना प्रमुख ने कहा कि उनके बलों का ‘‘ यौन उत्पीड़न का कोई इतिहास नहीं है. ’’ उन्होंने कहा , ‘‘ हमारे देश की संस्कृति और धर्म के मुताबिक यह स्वीकार्य नहीं है ,’’ जो भी ऐसे अपराधों का दोषी पाया जाएगा उसे सजा मिलेगी.
उन्होंने दोहराया कि म्यामां उन शरणार्थियों को वापस लेने के लिए तैयार है जिनका निवासी के रूप में सत्यापन हो चुका है. लेकिन समझौता होने के कई महीने बाद भी किसी शरणार्थी की वापसी नहीं हो पायी है. इससे बांग्लादेशी अधिकारी गुस्से में हैं , उनका आरोप है कि म्यामां अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ सहयोग करने का दिखावा कर रहा है. मिन आंग हलैंग ने सीमा पार से आए अवैध आव्रजकों को ‘ बंगाली ’ कहकर संबोधित किया और हिंसा के लिए ‘ आतंकियों ’ को दोषी ठहराया.