म्यांमार हिंसा: 15 दिनों में 3 लाख रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे
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म्यांमार हिंसा: 15 दिनों में 3 लाख रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे

बौद्ध बहुल म्यांमार में रोहिंग्याओं के साथ लंबे समय से भेदभाव होता रहा है. म्यांमार इन लोगों को नागरिकता देने से इनकार करता है.

कॉक्स बाजार में बांग्लादेश-म्यांमार सीमा को पार करने के बाद पहाड़ की चढ़ाई करते रोहिंग्या शरणार्थी. (Reuters/9 Sep, 2017)

कोक्स बाजार (बांग्लादेश): संयुक्त राष्ट्र ने शनिवार (9 सितंबर) को कहा कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में ताजा हिंसा भड़कने के 15 दिनों में लगभग तीन लाख रोहिंग्या मुसलमान पलायन कर बांग्लादेश पहुंचे हैं. इस आंकड़े के अनुसार लगभग एक दिन में 20 हजार रोहिंग्याओं ने पलायन किया है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता जोसेफ त्रिपुरा ने कहा, ‘‘25 अगस्त के बाद से लगभग दो लाख 90 हजार रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचे हैं.’’

अधिकारियों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने उन गांवों और क्षेत्रों में अधिक रोहिंग्याओं को पाया है जिन्हें पूर्व में राहत एजेंसियों ने शामिल नहीं किया था. अधिकतर रोहिंग्या म्यांमार से लगती सीमा को पार कर पैदल या नौकाओं के जरिए बांग्लादेश पहुंच रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि बुधवार (6 सितंबर) को पलायन में थोड़ी वृद्धि हुई जब 300 से अधिक नौकाएं बांग्लादेश पहुंचीं. बृहस्पतिवार (7 सितंबर) को संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्याओं की संख्या 1,64,000 बताई थी.

बौद्ध बहुल म्यांमार में रोहिंग्याओं के साथ लंबे समय से भेदभाव होता रहा है. म्यांमार इन लोगों को नागरिकता देने से इनकार करता है. म्यांमार सरकार उन्हें बांग्लादेश के अवैध आव्रजक मानती है, जबकि वे पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं. हिंसा में बढ़ोतरी से पहले म्यांमार से लगती बांग्लादेश की सीमा पर स्थित शरणार्थी शिविरों में पहले से ही लगभग तीन लाख रोहिंग्या हैं तथा अब स्थिति और गंभीर हो गई है.

रपट के अनुसार, इनके अलावा 56,000 रोहिंग्या मुस्लिमों को अस्थायी बस्तियों में रखा गया है. वहीं बड़ी संख्या में ये लोग बांग्लादेश के दक्षिण पश्चिम सीमा से सटे उखिया में सड़क किनारे भी रह रहे हैं. रोहिंग्या मुस्लिम इसी रास्ते से बांग्लादेश आ रहे हैं.

समूह ने खाद्य पदार्थो की तात्कालिक जरूरत पर जोर देते हुए कहा, "हमने 300,000 नए शरणार्थियों को आवश्यक जीवन रक्षक सहायता पहुंचाने के लिए 77,100,000 अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता के लिए एक प्रारंभिक प्रतिक्रिया योजना तैयार कर ली है." आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस हिंसा में अबतक 400 लोग मारे गए हैं. यहां हिंसा के बाद स्थानीय लोगों पर भीषण गोलीबारी, पूरे गांव को जलाने और मानवाधिकार उल्लंघन के अन्य मामले सामने आए हैं.

पिछले वर्ष भी म्यांमार के इस प्रांत में सैन्य कार्रवाई के बाद 80,000 रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे थे. इस साल पैदा हुई हिंसा से पहले बांग्लादेश में 300,000 से 500,000 के बीच रोहिंग्या समुदाय के लोग रहते थे, जिनमें से केवल 32,000 को शरणार्थी का दर्जा प्राप्त है.

म्यांमार में रोहिंग्या संकट पर अमेरिका ने कहा, रखाइन में खराब हो रहे हैं हालात

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने कहा कि अमेरिका म्यामां के रखाइन राज्य में खराब होती स्थिति को लेकर ‘बहुत अधिक चिंतित’ है. उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र की प्रवासियों संबंधी एक एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले दो सप्ताह में 2,70,000 लोग देश छोड़कर बांग्लादेश गए हैं. कई रोहिंग्या आम नागरिक बांग्लादेश भाग गए हैं जिसके कारण वहां राहत शिविर खचाखच भर गए हैं. इन शिविरों में पहले से ही क्षमता से अधिक लोग हैं और इससे मानवीय संकट का खतरा पैदा हो गया है.

निक्की ने शुक्रवार (8 सितंबर) को यहां जारी एक बयान में कहा कि पिछले सप्ताह से रखाइन में हालात खराब होते जा रहे हैं. बयान में कहा गया है कि अमेरिका निर्दोष नागरिकों के खिलाफ हमलों की लगातार आ रही रिपोर्ट के ‘‘बहुत चिंतित’’ है और वह म्यामां के सुरक्षा बलों से अपील करता है कि वे अपने सुरक्षा अभियानों के दौरान इन आम नागरिकों का सम्मान करें.

उन्होंने कहा, ‘‘आम नागरिकों पर हमले जमीनी स्तर पर हिंसा को भड़काएंगे और रखाइन राज्य में सभी समुदायों को लाभ पहुंचाने वाली अन्नान आयोग की सिफारिशों के त्वरित क्रियान्वयन समेत दीर्घकालिक समाधानों की हर उम्मीद को भी खत्म कर देंगे.’’ इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले दो सप्ताह में म्यामां में हिंसा से बचने के लिए 2,70,000 लोग बांग्लादेश आए हैं और आने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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