म्यांमार हिंसा: रोहिंग्या विद्रोहियों ने की संघर्षविराम की घोषणा, बांग्लादेश ने बताया 'नरसंहार'
Advertisement
trendingNow1340960

म्यांमार हिंसा: रोहिंग्या विद्रोहियों ने की संघर्षविराम की घोषणा, बांग्लादेश ने बताया 'नरसंहार'

म्यांमार में रोहिंग्या चरमपंथियों के खिलाफ सेना ने अभियान छेड़ रखा है जिसकी वजह से करीब तीन लाख रोहिंग्या भाग कर बांग्लादेश आ गये थे.

म्यांमार-बांग्लादेश सीमा पार करने के बाद कॉक्स बाजार में कीचड़ भरे रास्ते से होकर गुजरते रोहिंग्या शरणार्थी. (Reuters/10 Sep, 2017)

कॉक्स बाजार: म्यामां में रोहिंग्या चरमपंथियों ने तत्काल प्रभाव से एक महीने के एकपक्षीय संघर्षविराम की रविवार (10 सितंबर) को घोषणा की. म्यामां में रोहिंग्या चरमपंथियों के खिलाफ सेना ने अभियान छेड़ रखा है जिसकी वजह से करीब तीन लाख रोहिंग्या भाग कर बांग्लादेश आ गये हैं. इस एकपक्षीय संघर्षविराम का मकसद पलायन कर रहे लोगों तक सहायता पहुंचाना है. हालांकि सरकार ने कहा कि वह ‘आतंकियों’ के साथ बातचीत नहीं करेगी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि रखाइन प्रांत में 25 अगस्त को चरमपंथियों द्वारा म्यामां के सुरक्षा बलों पर हमले और उसके बाद सेना के भारी पलटवार की वजह से 2,94,000 मैले-कुचैले और थके हारे रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश पहुंच चुके हैं.

करीब एक पखवाड़े से बिना किसी ठिकाने, भोजन और पानी के रखाइन में रहने के बाद दसियों हजार लोग अब भी बांग्लादेश की तरफ बढ़ रहे हैं. बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने रविवार (10 सितंबर) कहा कि रखाइन प्रांत में ‘नरसंहार’ किया जा रहा है. सीमा के पास म्यामां के सुरक्षा बलों द्वारा भगोड़ों को वापस आने से रोकने के लिये बिछाई गई बारूदी सुरंग की चपेट में आने से तीन रोहिंग्या के मारे जाने की खबर है. मुख्यत: बौद्ध बहुल म्यामां अपने मुस्लिम रोहिंग्या समुदाय को मान्यता नहीं देता और उन्हें ‘बंगाली’ मानता है, जो अवैध रूप से बांग्लादेश से आये हैं.

राज्य के उत्तरी हिस्सों के हिंसा की चपेट में आने के बाद करीब 27,000 रखाइन बौद्ध और हिंदू भी इलाके से पलायन कर गये. अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) ने ट्विटर पर लिखा, ‘अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी आक्रामक सैन्य अभियानों पर अस्थायी विराम की घोषणा करती है.’ उसने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि प्रभावित क्षेत्र में मानवीय मदद पहुंचाई जा सके.

समूह नेअपील की कि मानवीय सहायता मुहैया कराने वाले सभी मददगार नौ अक्तूबर तक चलने वाले संघर्ष विराम के दौरान ‘‘मानवीय संकट के सभी पीड़ितों को’ सहायता पहुंचाना आरंभ करें ‘‘भले ही वे किसी भी जाति या धार्मिक पृष्ठभूमि से संबंधित हों’ समूह ने अपील की कि म्यामां संघर्ष में ‘इस मानवीय विराम पर उचित प्रतिक्रिया’ दे. ऐसा लग रहा है कि पूर्व में एआरएसए को ‘आतंकी’ बता चुके म्यामां ने इस पहल को खारिज कर दिया है. सरकार के एक वरिष्ठ प्रवक्ता जौ ह्ते ने कहा, ‘हमारी आतंकियों से बातचीत करने की कोई नीति नहीं है.’ भारत के विदेश मंत्रालय ने हिंसा पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुये मांग की कि स्थिति को ‘ज्यादा संयम और परिपक्वता के साथ’ निपटा जाये.

वहीं इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने मुस्लिम रोहिंग्या अल्पसंख्यकों पर ‘व्यवस्थित बर्बर कृत्यों’ के लिए म्यामां की निंदा करते हुए आज उससे अंतरराष्ट्रीय निगरानी को स्वीकार करने को कहा. 57 सदस्यों वाले ओआईसी ने अस्ताना में अपनी बैठक में ‘म्यामां में सैन्य बलों द्वारा रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय पर हाल में किए गए व्यवस्थित बर्बर कृत्यों को लेकर गंभीर चिंता जतायी’ और म्यामां से मानवाधिकारों के उल्लंघन की गहन एवं स्वतंत्र जांच करने तथा जिम्मेदार लोगों को सजा देने की अपील की.

बांग्लादेश में रोजाना हजारों लोग पहुंच रहे हैं और पहले से ही भरे हुये रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. रोहिंग्या शरणार्थियों ने कहा है कि सुरक्षा बलों एवं जातीय रखाइन बौद्ध धर्म अनुयायियों ने अपनी कार्रवाई में सैंकड़ों गांवों में आग लगाई और कई ग्रामीणों की जान ले ली.

Trending news