चुनाव शुरू होने पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चुनाव को दिखावटी बताते हुए इसकी निंदा की थी.
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काराकस: वेनेजुएला में हुए चुनाव में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सोमवार (21 मई) को विजेता घोषित किया गया. उनके प्रतिद्वंद्वियों ने इस चुनाव को अमान्य करार देकर इसे खारिज कर दिया और मांग की है कि इस वर्ष के अंत में चुनाव फिर से कराए जाएं. बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में विपक्ष ने चुनाव का बहिष्कार किया था और मात्र 46 फीसदी मतदान हुआ था. इन चुनावों की अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी निंदा की थी, लेकिन इस चुनाव में जीते मादुरो 2025 तक के लिए सत्ता पर काबिज हो गए हैं.
मादुरो के मुख्य प्रतिद्वंद्वी हेनरी फाल्कन ने चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले कहा था, ‘‘हम इस चुनावी प्रक्रिया को वैध और सच्चा नहीं मानते.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि कोई चुनाव हुआ ही नहीं है. हम वेनेजुएला में फिर से चुनाव करवाना चाहते हैं.’’
वहीं मादुरो ने काराकस में अपने सरकारी आवास मिराफ्लोरेस पैलेस के बाहर अपने हजारों उत्साही समर्थकों को संबोधित करते हुए अपनी जीत को ऐतिहासिक बताया. उनका कार्यकाल छह साल का होगा. उन्होंने कहा कि पहले कभी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को 68 प्रतिशत वोट नहीं मिले थे. मादुरो ने कहा ‘‘हम फिर जीत गए हैं.’’ आधिकारिक नतीजों में मादुरो को 67.7 प्रतिशत मत मिले हैं, जबकि फाल्कन को 21.2 फीसदी ही वोट मिले. तीसरे स्थान पर रहे ईसाई धर्म के प्रचारक जेवियर बर्टुची को 11 प्रतिशत वोट मिले. उन्होंने भी नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की.
चुनाव शुरू होने पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चुनाव को दिखावटी बताते हुए इसकी निंदा की थी. वेनेजुएला के लारा राज्य के पूर्व गर्वनर फाल्कन ने आरोप लगाया था कि मतदान के निर्धारित समय के बाद भी मतदान केंद्र खुले रहे और उनमें से कुछ में उनके निरीक्षकों को बाहर कर दिया गया.