महिलाओं का शरीर युद्ध क्षेत्र बने, यह स्वीकार नहीं: नोबेल विजेता डेनिस मुकवेगे
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महिलाओं का शरीर युद्ध क्षेत्र बने, यह स्वीकार नहीं: नोबेल विजेता डेनिस मुकवेगे

मुकवेगे को यौन उत्पीड़न की हिंसा के पीड़ितों की मदद करने के लिए ‘डॉक्टर मिरेकल’ कहा जाता है. 

मुकवेगे ने कहा, ‘‘हमने सशस्त्र संघर्ष के दौरान देखा कि महिलाओं का शरीर एक युद्धक्षेत्र बन गया.

ओस्लो: कांगो के डॉक्टर डेनिस मुकवेगे और यजीदी कार्यकर्ता नादिया मुराद को सोमवार को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. युद्ध में बलात्कार का इस्तेमाल हथियार के रूप में खत्म करने के इनके प्रयास के लिए इन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. मुकवेगे को यौन उत्पीड़न की हिंसा के पीड़ितों की मदद करने के लिए ‘डॉक्टर मिरेकल’ कहा जाता है. मुकवेगे और यजीदी लोगों की अंतरराष्ट्रीय मंच पर आवाज बनी नादिया मुराद को संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

मुकवेगे ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम यह नहीं कह सकते कि हमने इसलिए कार्रवाई नहीं की क्योंकि हमें इसके बारे में पता नहीं था. अब सब को पता है. और मैं मानता हूं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास अब जिम्मेदारी है कि वह कार्रवाई करें.' उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार ‘जीत’ नहीं है बल्कि इस तरह की बुराई के खिलाफ इसे एक नए संघर्ष के रूप में देखा जा सकता है.

मुकवेगे ने कहा, ‘‘हमने सशस्त्र संघर्ष के दौरान देखा कि महिलाओं का शरीर एक युद्धक्षेत्र बन गया. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता.' कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में युद्ध का दंश झेलने वाले पूर्वी हिस्से में मुकवेगे ने 1999 में पांजी अस्पताल स्थापित किया था, जहां उन्होंने हजारों महिलाओं और लड़कियों तथा छोटी बच्चियों का इलाज किया है.  

इनपुट भाषा से भी 

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