Pakistan: चुनाव चिन्ह 'बैट' हो गया अमान्य, अब कैसे चुनाव लड़ेंगे इमरान के प्रत्याशी?
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Pakistan: चुनाव चिन्ह 'बैट' हो गया अमान्य, अब कैसे चुनाव लड़ेंगे इमरान के प्रत्याशी?

Pakistan Politics: पीटीआई के चुनाव चिन्ह पर विवाद 22 दिसंबर को शुरू हुआ जब ईसीपी ने 8 फरवरी के चुनाव के लिए पार्टी के अंतर-पार्टी चुनावों को खारिज करते हुए उसका चुनावी चिन्ह छीन लिया.

Pakistan: चुनाव चिन्ह 'बैट' हो गया अमान्य, अब कैसे चुनाव लड़ेंगे इमरान के प्रत्याशी?

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी की रात को  पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अंतर-पार्टी चुनावों को रद्द घोषित कर दिया और पार्टी को चुनाव चिह्न के रूप में 'बल्ला' से वंचित कर दिया. फैसले के बाद पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी ने कहा कि उनके उम्मीदवार अब स्वतंत्र कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़गें. बता दें पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव होना है.

बता दें पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने पेशावर हाई कोर्ट (पीएचसी) की दो सदस्यीय पीठ के फैसले को चुनौती दी थी, जिसने बुधवार को पीटीआई पार्टी के चुनावों को वैध करते हुए क्रिकेट के बल्ले को उसके चुनाव चिन्ह के रूप में बहाल कर दिया था.

मुख्य न्यायाधीश काजी फ़ैज़ ईसा, न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मज़हर और न्यायमूर्ति मुसर्रत हिलाली की तीन सदस्यीय पीठ ने ईसीपी की याचिका पर सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसे शनिवार देर रात घोषित किया गया.

चुनाव चिन्ह पर कैसे शुरू हुआ विवाद?
पीटीआई के चुनाव चिन्ह पर विवाद 22 दिसंबर को शुरू हुआ जब ईसीपी ने 8 फरवरी के चुनाव के लिए पार्टी के अंतर-पार्टी चुनावों को खारिज करते हुए उसका चुनावी चिन्ह छीन लिया.

पीटीआई ने पेशावर हाई कोर्ट का रुख किया जिसने 26 दिसंबर को एक अंतरिम आदेश के माध्यम से ईसीपी के फैसले को निलंबित कर दिया। हालांकि, इस फैसले को चुनाव निकाय ने चुनौती दी और उच्च न्यायालय ने 3 जनवरी को अपना फैसला पलट दिया.

पीएचसी ने यह भी घोषणा की कि न्यायाधीशों का दो सदस्यीय पैनल पीटीआई के बल्ले के चुनाव चिह्न के मुद्दे पर सुनवाई करेगा. दो सदस्यीय पैनल ने पीटीआई के प्रतीक के रूप में 'बल्ले' को बहाल करने का फैसला सुनाया लेकिन ईसीपी ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी.

बिना चुनाव चिन्ह पीटीआई को क्या नुकसान होगा?
बल्ला पीटीआई का पारंपरिक चुनाव चिन्ह है. ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी को उसके चुनाव चिन्ह से वंचित करने से, उसके उम्मीदवारों को अलग-अलग चिन्हों पर चुनाव लड़ना होगा, जिससे चुनाव के दिन दूरदराज के इलाकों में पार्टी समर्थकों के बीच भ्रम पैदा होगा.

 इसके अलावा, एक सामान्य प्रतीक के बिना, पीटीआई को राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में आरक्षित सीटों में अपना हिस्सा नहीं मिलेगा, जो चुनावों में जीती गई सीटों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर पार्टियों में विभाजित हैं.

पार्टी चिन्ह के अभाव में होने वाले नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुए पीटीआई के अध्यक्ष बैरिस्टर गौहर खान ने कहा कि राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं में 225 से अधिक ऐसी सीटें हैं और पीटीआई को भारी नुकसान होगा.

पीटीआई की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया में पीटीआई के अली जफर ने कहा कि इतिहास शीर्ष अदालत के फैसले का आकलन करेगा लेकिन इसका तत्काल प्रभाव यह होगा कि पीटीआई उम्मीदवार को एक सामान्य प्रतीक के बिना चुनाव लड़ना होगा। उन्होंने कहा, 'अदालत ने चुनाव चिन्ह छीन लिया है लेकिन पार्टी अभी भी एक पंजीकृत इकाई है। हमारी नीति के अनुसार, हमारे सभी उम्मीदवार स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे.'

पीटीआई के अध्यक्ष बैरिस्टर गौहर खान ने फैसले पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि पीटीआई और उसके समर्थकों के राजनीतिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। निर्धारित समय से दो घंटे देरी से सुनाए गए फैसले के बारे में उन्होंने कहा, 'यह सुप्रीम कोर्ट का एक और बुरा फैसला है.'

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