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जिनेवा : पाकिस्तान के खिलाफ हमला तेज करते हुए भारत ने कहा है कि वह एक ‘आतंकवादी देश’ है जो वर्षों से अरबों डालर की अंतरराष्ट्रीय मदद का प्रयोग बिना रोक-टोक के आतंकवादी समूहों के प्रशिक्षण, उन्हें धन मुहैया कराने तथा उनका समर्थन करने के लिए कर रहा है जिसके जरिये पड़ोसी देशों के खिलाफ परोक्ष युद्ध चलाया जा रहा है।
पाकिस्तान को वैश्विक आतंक का असल केन्द्र बताते हुए भारत ने यह भी कहा कि इस्लामाबाद का आतंक के तरीकों में भरोसा इतना गहरा है कि वह बलूचिस्तान, सिंध, खबर पख्तूनख्वा तथा कबाइली क्षेत्रों में अपने ही लोगों के खिलाफ इसके प्रयोग से नहीं हिचकिचाता है।
मानव अधिकार परिषद (एचआरसी) के 33वें सत्र में पाकिस्तान के बयान के जवाब में भारत ने कहा, ‘उरी में ताजा आतंकी हमला, जिसमें 18 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी और 20 से अधिक घायल हुए, सिर्फ यह रेखांकित करता है कि पाकिस्तान में आतंकवाद का आधारभूत ढांचा अब भी सक्रिय है।’
भारत ने कल कहा, ‘पाकिस्तानी मार्का वाले जीपीएस, हथगोले, संचार मैट्रिक शीट तथा उपकरण एवं पाकिस्तान में बने अन्य सामान की बरामदगी और घुसपैठ तथा हमलों का पैटर्न पाकिस्तान अथवा इसके नियंत्रण वाले क्षेत्र में स्थित आतंकी संगठनों की संलिप्तता का स्पष्ट सबूत है।’ भारत ने यह भी कहा कि उसे 2008 मुंबई आतंकी हमले तथा पठानकोट हमले में संलिप्त सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के लिये उसे पाकिस्तान द्वारा विश्वसनीय कदम उठाये जाने का इंतजार है।
भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रूप से घोषित आतंकवादी संगठन और इसके नेता पाकिस्तान की सड़कों पर खुलेआम घूम रहे हैं और सरकार के समर्थन से सक्रिय हैं, यहां तक कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन कर खुले तौर पर धन जुटा रहे हैं।
भारत ने परिषद से आह्वान किया कि वह पाकिस्तान से ‘ईमानदारी से आत्मनिरीक्षण’ करने को कहे और अपनी ऊर्जा को अपनी सरजमीं से पड़ोसियों पर आतंकी हमलों के साजिशकर्ताओं के खिलाफ केन्द्रित करे। भारत ने मजबूती से मांग की कि पाकिस्तान को उसके खिलाफ आतंकवाद के समर्थन और उसे धन मुहैया कराने से दूर रहने की अपनी सार्वजनिक प्रतिबद्धता को पूरा करना चाहिए।
उसने कहा कि भारत पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के इस्तेमाल ,प्रोत्साहन, तथा बढावे का एकमा़त्र पीड़ित नहीं है और पाकिस्तान की राज्य नीति के तौर पर आतंकवाद को लेकर ‘गैरजिम्मेदाराना एवं अल्पदर्शी’ रूख का बुरा असर दक्षिण एशिया तथा इसके भी बाहर के अन्य देशों में दिखना शुरू हो गया है। भारत ने कहा कि धार्मिक एवं जातीय अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों को लेकर असम्मान ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंक का असल केन्द्र बना दिया है।
भारत ने पाकिस्तान को याद दिलाया कि उसने जनवरी 2004 में अपनी धरती या अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र से भारत के खिलाफ आतंकवाद के प्रयोग को अनुमति नहीं देने की प्रतिबद्धता जताई थी।