प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा.
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वुहान: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार (26 अप्रैल) की रात यहां पहुंच गए. वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्ता करने के लिए यहां आए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा कि चीनी राष्ट्रपति शी के साथ पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए वुहान पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया. दोनों नेता हमारे द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ने की रणनीतिक और दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य से समीक्षा करेंगे. अपनी बैठक के दौरान दोनों नेताओं के सीमा विवाद सहित कई मुद्दों का हल करने के लिए दोनों देशों के बीच आमराय बनाने की दिशा में काम करने की भी उम्मीद है.
A special moment past midnight as PM @narendramodi was warmly welcomed in Wuhan for the 1st Informal Summit with Chinese President Xi. The two leaders will review the developments in our bilateral relations from a strategic and long-term perspective. pic.twitter.com/DBI5RBaNKu
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) April 26, 2018
पीएम मोदी का पहले दिन का कार्यक्रम
मोदी व शी आज (शुक्रवार) दिन के भोजन के बाद अकेले में बैठक करेंगे. दोनों नेता शुरू में हुबई प्रांतीय संग्रहालय जाएंगे जहां बड़ी संख्या में एतिहासिक व सांस्कृतिक निशानियां मौजूद हैं. इसके बाद दोनों नेता वार्ता करेंगे जिसमें दोनों ओर से छह - छह आला अधिकारी भाग लेंगे. दोनों नेता चर्चित ईस्ट लेक के किनारे रात्रि भोज करेंगे जो कि चीन के क्रांतिकारी नेता माओत्से तुंग का पसंदीदा अवकाश गंतव्य रहा है.
चीन में पीएम मोदी का दूसरे दिन का कार्यक्रम
शनिवार को दोनों नेता झील के किनारे टहलेंगे , बोट में यात्रा करेंगे और भोज करेंगे. दोनों नेताओं ने अपनी अनौपचारिक बैठकों की शुरुआत 2014 में की जब शी भारत गए और मोदी ने उनकी आगवानी गुजरात के साबरमति आश्रम में की. उसके बाद से दोनों नेता दर्जन भर अंतरराष्ट्रीय बैठकों में मिल चुके हैं. लेकिन यह इनके बीच दिल से दिल तक की बातचीत का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन होगा.
नहीं होंगे समझौतों पर हस्ताक्षर
इस दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा. अधिकारियों ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन मुद्दों को सुलझाने पर सहमति बनाने का प्रयास है जो कि किसी समझौते की घोषणा के बजाय बाद की कार्रवाई पर होगा. दोनों नेताओं के बीच इस तरह का संवाद पहली बार हो रहा है.
उल्लेखनीय है कि एशियाई के दोनों बड़े देश 1962 में युद्ध के मैदान में एक-दूसरे से टकरा चुके हैं और दोनों देशों के बीच आपसी असहमति का रिश्ता रहा है. वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद ने दोनों देशों के संबंधों को फिर से निचले स्तर पर पहुंचा दिया था.