श्रीलंका में राजपक्षे ने मध्यावधि राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की
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श्रीलंका में राजपक्षे ने मध्यावधि राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की

श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने समय से पहले चुनाव कराए जाने की गुरुवार को घोषणा कर दी। अपनी लोकप्रियता में कमी के संकेतों और अपनी शक्तियों में कटौती किए जाने की मांग के बीच वह लगातार तीसरी बार इस पद के लिए चुने जाना चाहते हैं।

श्रीलंका में राजपक्षे ने मध्यावधि राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा की

कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने समय से पहले चुनाव कराए जाने की गुरुवार को घोषणा कर दी। अपनी लोकप्रियता में कमी के संकेतों और अपनी शक्तियों में कटौती किए जाने की मांग के बीच वह लगातार तीसरी बार इस पद के लिए चुने जाना चाहते हैं।

राजपक्षे ने अपना कार्यकाल पूरा होने से दो साल पहले मध्यावधि चुनाव कराए जाने की घोषणा की है। वह राष्ट्रपति पद के लिए 2005 और और 2010 में चुने गए थे। राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा है कि पुनर्निर्वाचन की उनकी घोषणा एक शुभ समय पर की गई है।

राजपक्षे ने सरकारी टीवी पर कहा कि मैं आज एक रहस्योद्घाटन कर रहा हूं। मैंने तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुने जाने के लिए चुनाव की घोषणा के आदेश पर हस्ताक्षर किया है, यह लोकतंत्र है। राजपक्षे के ट्विटर अकाउंट पर एक संदेश में कहा गया है कि उन्होंने घोषणा के आदेश पर हस्ताक्षर कर एक और कार्यकाल के लिए अपने इरादे का ऐलान कर दिया है। राजपक्षे (69) अपने दूसरे कार्यकाल के अनिवार्य चार साल पूरे होने के बाद कल चुनाव की घोषणा किए जाने के लिए योग्य हो गए। चुनाव आयुक्त महिंदा देशप्रिय के कार्यालय ने कहा है कि राष्ट्रपति की उद्घोषणा प्राप्त हो गई है और अब नामांकन प्रकिया चलेगी। यह चुनाव जनवरी के शुरूआत में होने की संभावना है।

देश के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति चार साल के कार्यकाल के बाद ही चुनाव की घोषणा कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने के शुरूआत में इस कानून को बरकरार रख कर उनकी घोषणा का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। राजपक्षे का फैसला ऐसे समय में आया है जब ये संकेत दिख रहे हैं कि वह और उनकी पार्टी राजनीतिक रूप से जोखिम में है। सितंबर में स्थानीय चुनावांे में उनकी पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस को मुंह की खानी पड़ी थी। उसका जनाधार 20 फीसदी खिसक गया। गौरतलब है कि कल राजपक्षे के सहयोगी दल नेशनल हेरीटेज पार्टी (जेएचयू) ने घोषणा की थी कि वह सरकार से बाहर हो रही है। बौद्ध भिक्षुओं की मुख्य पार्टी होने के नाते इसका सरकार से हटना देश में राजपक्षे के जनाधार को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि देश की 2.18 करोड़ आबादी में बौद्ध मतावलंबियों की संख्या करीब 70 फीसदी है।

जेएचयू ने सरकार से बाहर होने के अपने फैसले के पीछे सत्ता पर राजपक्षे की मजबूत पकड़ होने को जिम्मेदार बताया है। विपक्ष भी इसी बात को लेकर आलोचना करती रही है। राजपक्षे 2005 में बहुत कम वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे। करीब 25 साल तक चले गृह युद्ध को खत्म करते हुए 2009 में लिट्टे को शिकस्त देने में अपनी सरकार के सफल रहने के बाद वह और उनकी पार्टी ने 2010 में शानदार जीत हासिल की। हालांकि, संविधान में बदलाव करने पर 2010 से उनकी आलोचना बढ़ने लगी क्योंकि उन्होंने खुद को अधिक कार्यकारी शक्तियां दे दी और राष्ट्रपति पद के दो कार्यकाल के चुनावी वादे को पलट दिया। श्रीलंका के 1978 में आजादी हासिल करने के बाद से ऐसा पहली बार हो रहा है कि देश के राष्ट्रपति तीसरे कार्यकाल के लिए चुने जाना चाहते हैं। उम्मीदवार आज से 16 और 22 दिनों के बीच अपने नामांकन पत्र दाखिल कर सकेंगे। इसके बाद कम से कम 28 दिनों का वक्त चुनाव प्रचार के लिए दिया जाएगा। विपक्षी सूत्रों ने बताया कि राजपक्षे के मुख्य विपक्षी प्रतिद्वंद्वी की घोषणा शीघ्र ही की जाएगी।

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