Sri Lanka Crisis: आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में कैबिनेट फेरबदल, पेरिज फिर से बने विदेश मंत्री
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Sri Lanka Crisis: आर्थिक संकट के बीच श्रीलंका में कैबिनेट फेरबदल, पेरिज फिर से बने विदेश मंत्री

Sri Lanka's Cabinet: श्रीलंका पर इस वक्त काफी गहरे आर्थिक संकट (Economic Crisis) के बादल छाए हुए हैं. ऐसे में रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है.

श्रीलंका के विदेश मंत्री जी एल पेरिज

Sri Lanka Foreign Minister: श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने शनिवार को अपने मंत्रिमंडल में चार मंत्रियों को शामिल किया. मंत्रिमंडल में जी एल पेरिज (GL Peiris) को विदेश मंत्री के रूप में शामिल किया गया है. एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘डेली मिरर’ की खबर के अनुसार दिनेश गुणवर्धने (Dinesh Gunawardena) को लोक प्रशासन मंत्री, पेरिज को विदेश मंत्री, प्रसन्ना रणतुंगा (Prasanna Ranatunga) को शहरी विकास एवं आवास मंत्री और कंचना विजेसेकारा को बिजली एवं ऊर्जा मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई.

मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या 20 रहने की उम्मीद

पेरिज महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार में भी विदेश मंत्री थे. यह राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा घोषित सर्वदलीय अंतरिम सरकार में शामिल किए गए सभी चारों मंत्री राजपक्षे की श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना पार्टी (SLPP) से हैं. खबर के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने कहा कि विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या 20 तक रहने की उम्मीद है. इस बीच श्रीलंका में सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना ने नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को समर्थन देने का फैसला किया है ताकि उन्हें सदन में बहुमत साबित करने में मदद मिल सके. विक्रमसिंघे के पास संसद में केवल एक सीट है. ज्यादातर विपक्षी दलों ने कहा है कि वे विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में पद नहीं लेंगे, लेकिन आर्थिक संकट से निपटने के लिए उनके कदमों का समर्थन करेंगे. 

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अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का आग्रह

यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के 73 वर्षीय नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को स्थिरता प्रदान करने के लिए बृहस्पतिवार को देश के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी. कुछ दिन पहले ही महिंदा राजपक्षे को देश के बिगड़ते आर्थिक हालात के मद्देनजर हुई हिंसक झड़पों के बाद प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. विक्रमसिंघे ने मुख्य विपक्षी दल समगी जन बालावेगाया (SJB) के नेता से दलगत राजनीति को छोड़कर हीटेड मुद्दों को हल करने और देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए एक गैर-पक्षपातपूर्ण सरकार बनाने में उनका साथ देने का आग्रह किया है. 

प्रेमदासा का मांगा था समर्थन 

विक्रमसिंघे ने एसजेबी के नेता साजिथ प्रेमदासा (Sajith Premadasa) को एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने ज्वलंत मुद्दों का तुरंत समाधान करने और विदेशी सहायता प्राप्त करके देश को आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक रूप से स्थिर करने के लिए प्रेमदासा का समर्थन मांगा. पत्र का जवाब देते हुए, प्रेमदासा ने प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि एक जिम्मेदार विपक्ष के रूप में वह आर्थिक संकट से निपटने के प्रयासों में सरकार का समर्थन करेंगे. प्रेमदासा की पार्टी एसजेबी ने यह दावा करते हुए सरकार (Government) का हिस्सा नहीं बनने का संकल्प लिया था कि विक्रमसिंघे के पास प्रधानमंत्री बनने के लिए जन स्वीकृति नहीं है. 

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सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है देश

एसजेबी ने दोहराया है कि उनकी पार्टी राजपक्षे भाइयों के बिना सरकार बनाने के लिए दबाव डालती रहेगी. इस बीच, वकीलों के निकाय बीएएसएल (BASL) ने एक बयान में विक्रमसिंघे से संसद में सभी राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति स्थापित करने की अपनी क्षमता दिखाने का आह्वान किया है. गौरतलब है कि श्रीलंका (Sri Lanka) 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

(इनपुट - भाषा)

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