थाईलैंड : फुटबाल टीम का कोच एक्कापोल बने बच्चों के हीरो, कोच बनने से पहले थे बौद्ध भिक्षु
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थाईलैंड : फुटबाल टीम का कोच एक्कापोल बने बच्चों के हीरो, कोच बनने से पहले थे बौद्ध भिक्षु

इस बचाव अभियान में थाईलैंड के अलावा अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के 90 से ज्यादा गोताखोर लगे हुए थे.

एक्कापोल जब बौद्ध भिक्षु थे तो उन्होंने मेडिटेशन की दीक्षा ली. मेडिटेशन ने उन्हें इस मुसीबत में बहुत मदद की

नई दिल्ली : थाईलैंड की एक अंधेरी गुफा में फंसे 12 बच्चों को एक लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल निकाल लिया गया है. थाई नेवी सील ने इसकी घोषणा की है. इस ऑपरेशन को दुनिया का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताया जा रहा है. इस बचाव अभियान में थाईलैंड के अलावा अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के 90 से ज्यादा गोताखोर लगे हुए थे. एक हजार से ज्यादा जवान और एक्सपर्ट अपनी सेवाएं दे रहे थे. इस ऑपरेशन पर पूरी दुनिया की नजर लगी हुई थी. ऑपरेशन सफल होने से दुनियाभर के लोगों ने इस ऑपरेशन में लगे लोगों को शुक्रिया अदा किया है.

अंडर-16 फुटबाल टीम के ये बच्चे पिछले 17 दिनों से एक अंधेरी गुफा में जीवन और मृत्यु के बीच जंग लड़ रहे थे. पानी से भरी इस गुफा में ऑक्सीजन लगातार कम हो रही थी. इस ऑपरेशन में नेवी के एक जवान को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. इस ऑपरेशन के लिए थाई नेवी की प्रशंसा तो चारो ओर हो रही है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में एक और हीरो बनकर उभर रहा है. वह है इस फुटबाल टीम का कोच एक्कापोल.

बताया जा रहा है कि एक्कापोल गुफा में फंसे बच्चों को लगातार जीवन जीने की ऊर्जा देते रहे. यहां तक कि उन्होंने अपना भोजन और पानी भी बच्चों को दे दिया. मुसीबत की घड़ी में एक्कापोल बच्चों को मेडिटेशन का सहारा देकर उन्हें इस विषम हालात का सामना करने की ताकत दी.

थाईलैंड: दुनिया का सबसे मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन सफल, सभी 13 लोगों को निकाला गया सुरक्षित

रॉयल थाई एंबेसी द्वारा जानकारी के मुताबिक, एक्कापोल फुटबाल टीम का कोच बनने से पहले एक मॉन्क (बौद्ध साधु) थे. एक्कापोल करीब 3 साल तक मोन्क रहे और फिर वे फुटबॉल एसिस्टेंट कोच के पद पर तैनात हुए. 

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मुसीबत की इस घड़ी में थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा गुफा में फंसे बच्चों के माता-पिता के साथ दिखाई दिए (फोटो- Reuters)

बताया जा रहा है कि एक्कापोल जब करीब 10 साल के रहे होंगे तब उनके माता-पिता की मौत हो गई थी. बचपन में ही मां-बाप को खोने से इकाफोल इतने दुखी हुए कि उन्होंने मॉन्क बनने का फैसला लिया. लेकिन दादी की देखभाल करने के कारण वह मोनास्ट्री छोड़कर थाईलैंड के एक शहर 'मे साई' में आ गए और यहां आकर उन्होंने एक फुटबाल टीम को कोचिंग देना शुरू कर दिया. साथ ही वह मोनास्ट्री से भी लगातार जुड़े रहे.

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ऐके के नाम से अपने साथियों में मशहूर एक्कापोल के बारे में बताया जाता है कि वह बहुत ही सरल और साफ दिल के हैं. 12 बच्चों के साथ एक्कापोल ही एक ऐसे व्यक्ति थे जो उन्हें इस विषम परिस्थिति में उम्मीद की किरण जगा सकते थे और 25 वर्षीय कोच ने यह काम बहुत ही शानदार तरीके से किया. 

एक्कापोल ने थाई नेवी सील को बताया कि जब वह बौद्ध भिक्षु थे तो उन्होंने ध्यान लगाने की दीक्षा ग्रहण की थी. ध्यान योग उन्हें इस मुसीबत की घड़ी में तनाव से दूर रखने के लिए बहुत उपयोगी साबित रहा. 

रेस्क्यू ऑपरेशन सफल
नेवी सील ने एक फेसबुक पोस्ट में बताया कि सभी 12 ‘वाइल्ड बोर्स’ और प्रशिक्षक को गुफा से निकाल लिया गया है. थाई सील एवं विदेशी गोताखोरों ने गुफा में शेष बचे चार लड़कों और उनके 25 वर्षीय प्रशिक्षक को मंगलवार अपराह्न में निकाल पाने में सफलता हासिल की. इन लोगों को बेहद खतरनाक रास्ते से निकाला गया जिसमें पानी से भरी संकरी सुरंग शामिल है.

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निकाले गए किशोरों की उम्र 11 से 16 वर्ष के बीच है. ये किशोर फुटबाल का अभ्यास करने के बाद 23 जून को उत्तरी थाईलैंड के पर्वतीय क्षेत्र में स्थित थाम लुआंग गुफा में चले गये थे. गुफा में अंदर जाने के बाद भारी बारिश होने से बाढ़ का पानी गुफा के भीतर घुस गया और गुफा से निकलने का रास्ता कीचड़ और फिसलन भरा होने के कारण बहुत खतरनाक हो गया था. 

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गुफा के भीतर 4 किमी का सफर
इन लोगों ने नौ अंधकारमय दिन गुफा में बिताये. इसके बाद दो ब्रिटिश गोताखोर इन तक पहुंचने में कामयाब हुए. किशोर कमजोर होने के बावजूद काफी उत्साहित नजर आ रहे थे. इन लोगों को पानी भरी गुफा में ढूंढ लेने की प्रसन्नता अधिक समय तक नहीं टिक सकी क्योंकि अधिकारियों को इन्हें भीतर से सुरक्षित निकालने की योजना को तैयार करने में बहुत माथा-पच्ची करनी पड़ी. इसका कारण था कि उन्हें गुफा के भीतर चार किलोमीटर से अधिक जाना था और कुछ सुरंगे तो बेहद संकरी थीं. गुफा के ज्यादातर हिस्से में अंधेरा और पानी था. 

एक गोताखोर की मौत
थाई नेवी सील के एक पूर्व गोताखोर की गुफा में आक्सीजन की कमी के चलते शुक्रवार को हुई मौत के कारण बचाव मार्ग के खतरों को लेकर आशंकाएं बहुत बढ़ गई थीं. इस समूह को बचाने के लिए गये चार गोताखोर अभी गुफा से बाहर नहीं आए हैं.

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