क्या हैदराबाद निकाय चुनावों में बीजेपी बनने वाली है सबसे बड़ी पार्टी?

बीजेपी ने हैदराबाद के इन निकाय चुनावों में अपनी सारी ताकत झोंक कर ये सिद्ध कर दिया है कि उसके लिए कोई चुनाव किसी तरह कम महत्वपूर्ण नहीं हैं किन्तु इसी के साथ यहां बीजेपी की जीत की उम्मीदें भी बढ़ी हैं और सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी इस बार ओवैसी और टीआरएस को पछाड़ कर सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरेगी..  

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Dec 1, 2020, 11:13 AM IST
  • ओवैसी का अति-आत्मविश्वास नुकसानदेह सिद्ध हो सकता है
  • बीजेपी के पक्ष में हो सकता है ध्रुवीकरण
  • भाग्यनगर और निजाम संस्कृति से मुक्ति के शाही वादे
क्या हैदराबाद निकाय चुनावों में बीजेपी बनने वाली है सबसे बड़ी पार्टी?

नई दिल्ली.  हैदराबाद के निकाय चुनावों ने ओवैसी की पेशानी में बल डाल दिए हैं. चाहे एआईएमआईएम हो या टीआरएस, दोनों प्रतिद्वंद्वी पार्टियों ने नहीं सोचा था कि बीजेपी इन चुनावों को इतनी गंभीरता से लेगी. लेकिन अब जब आज हैदराबाद में मतदान  चल रहा है, बीजेपी की बड़ी जीत की संभावना बढ़ती जा रही है. कुछ कारण हैं जो इस बार बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने में मदद कर सकते हैं. 

ओवैसी का अति-आत्मविश्वास 

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम यदि इस बार बीजेपी से पिटी तो इसका एक बड़ा कारण ये भी होगा कि ओवैसी ने बीजेपी को हल्के में ले लिया था. ओवैसी को लगा था कि हैदराबाद उनका अपना गढ़ है जहां दुनिया कि कोई ताकत उन्हें पराजित नहीं कर सकती. अतिआत्मविश्वास का शिकार हुए ओवैसी शायद उतनी गंभीरता से इन चुनावों को नहीं ले सके जितना बीजेपी ने लिया है. 

बीजेपी ने लगाईं पूरी शक्ति 

पहली बार ऐसा हुआ है और अब आगे ऐसा ही होगा. आशा यही है कि मोदी और शाह की बीजेपी अब आगे भी हर चुनाव में ऐसा ही दम दिखाएगी जैसा इस बार हैदराबाद में दिखाया है. बीजेपी के सभी स्टार प्रचारक एक के बाद एक यहां मैदान में उतरे. एक तरफ सिर्फ ओवैसी बंधु तो दूसरी तरफ बीजेपी के महारथियों की पूरी फ़ौज चुनावी संग्राम में थी.  चाहे वो बीजेपी का परचम थामे अमित शाह हों या जेपी नड्डा हों,  योगी आदित्यनाथ हों या स्मृति ईरानी, तेजस्वी सूर्या हों या फड़नवीस हों - सब इस प्रचार अभियान में शामिल थे और बीजेपी ने बता दिया कि उसके लिये ये चुनाव तो किसी राष्ट्रीय चुनाव से कम नहीं है.  

बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकरण

हालांकि ये आरोप ओवैसी ने लगाया है कि इन चुनावों में बीजेपी ने सांप्रदायिकता फैला कर जीत हासिल करने की साजिश की है. जबकि सच इस बात का बिलकुल उल्टा भी हो सकता है. ओवैसी की सांप्रदायिकता के विरोध में यहां के मतदाताओं को बीजेपी के परचमतले एकजुट होने का मौका मिल गया है. इसलिये बीजेपी को आशा है कि इन चुनावों में मतदान पिछली बार के मुकाबले अधिक होगा जो कि उसके पक्ष में जायेगा.

ये भी पढ़ें. सरकार ने किसान नेताओं  को बातचीत के लिए आमंत्रित किया, किसानों ने किया आने से इनकार

भाग्यनगर और निजाम संस्कृति से मुक्ति

जहां मोदी और शाह हों वहीं विजय भी है - इस बात को पहले भी कई बार इस राष्ट्रीय राजनेता जोड़ी ने सिद्ध किया है. अमित शाह के ये तीन वादे भी बहुत प्रभावशाली सिद्ध हो सकते हैं जैसा उन्होंने कहा कि - जीतने पर हैदराबाद का संपूर्ण विकास करेंगे और इसे एक अत्याधुनिक शहर बना कर मिनी इन्डिया का सुन्दर रूप देंगे. शाह ने ये भी कहा कि हैदराबाद का नाम बदल भाग्यनगर करेंगे और निजाम संस्कृति से मुक्त कर संपूर्ण क्षेत्र के भाग्योदय की दिशा में कार्य करेंगे.  

ये भी पढ़ें. दिल्ली बना दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर

देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐपजो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा... नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-

Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN

iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234

ट्रेंडिंग न्यूज़