सरकार ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया, किसानों ने किया आने से इनकार

कृषि मंत्री ने किसान नेताओं को आज दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में आमंत्रित किया है. लेकिन किसान मजदूर संघर्ष समिति (पंजाब) ने सरकार की पेशकश को ठुकरा दिया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 1, 2020, 10:24 AM IST
  • कृषि मंत्री ने किया वार्ता के लिये आमंत्रित
  • लेकिन किसान संगठन ने किया इनकार
सरकार ने किसान नेताओं  को बातचीत के लिए आमंत्रित किया, किसानों ने किया आने से इनकार

नई दिल्ली.  केन्द्र सरकार ने आज दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में  किसानों को बातचीत के लिए बुलाया था. लेकिन किसान मजदूर संघर्ष समिति (पंजाब) ने सरकार की पेशकश को ठुकराया. उनका कहना है कि अगर पीएम मोदी बातचीत के लिए पूरे देश के किसान संगठनों को बुलायेंगे तब जायेंगे. पीएम से नीचे किसी से भी बात नहीं की जाएगी. 

सिंघु बॉर्डर पर किसानों का ये संगठन अलग से धरना दे रहा है. कृषि मंत्री ने सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर  किसान नेताओं से बात करने का प्रस्ताव रखा था. 

किसानों का बातचीत से इनकार

मोदी सरकार इस किसान आंदोलन के प्रारम्भ से ही किसानों से बातचीत की इच्छुक थी किन्तु किसान बातचीत करने के लिए किसी शर्त का पालन करने को तैयार नहीं थे. सरकार की शर्त भी किसी तरह बेजा नहीं थी, लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन करते हुए बातचीत करने की सरकार की मांग यदि पहले मान ली जाती तो अब तक कदाचित यह आंदोलन समाधान के करीब पहुँच चुका होता. अभी भी सरकार समाधान की दिशा में बढ़ना चाहती है और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को आज दोपहर तीन बजे वार्ता के लिए विज्ञान भवन में आमंत्रित किया. लेकिन किसानों के एक संगठन ने आने से इनकार किया है.    

कड़ाके की सर्दी के बीच कोरोना का डर

 कृषि मंत्री का कहना है कि पहले ये तय हुआ था किसान भाइयों के साथ वार्ता का अगला दौर  तीन दिसंबर को सम्पन्न होगा किन्तु कड़ाके की सर्दी के बीच आंदोलन कर रहे किसानों के लिए दिल्‍ली में कोरोना महामारी का खतरा भी उतना ही चिंताजनक है, ऐसे में बातचीत दो दिन पहले आज एक दिसंबर को ही किए जाने के प्रस्ताव रखा गया. 

विपक्ष ने निभाई नकारात्मक भूमिका 

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कृषि कानून लाने पर विपक्ष ने किसानों के बीच गलतफहमी पैदा की थी और उसके बाद मामला लगातार बिगड़ता चला गया. गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा दिए गए बातचीत के प्रस्ताव को भी आंदोलनकारियों ने अस्वीकार कर दिया था. तोमर ने कहा कि सच तो ये है कि पीएम मोदी जी के नेतृत्‍व में पिछले छह सालों में केंद्र सरका ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए एतिहासिक कदम उठाये हैं. और आज भी सरकार शांतिपूर्वक किसानों की मांगों पर विचार करना चाहती है. लेकिन किसान संगठन इस बात को समझन के लिए राजी नहीं हैं. 

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