सरसों की अच्छी फसल के सामने बोल्ड हुई महंगाई, खाने की तेल की कीमतों में सुधार
महंगाई में थोड़ी राहत मिलने की खबर आई है. तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है.बीते सप्ताह पाम, पामोलीन को छोड़कर अन्य तेल-तिलहनों में गिरावट आई है.
Edible Oil Price: महंगाई में थोड़ी राहत मिलने की खबर आई है. तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है.बीते सप्ताह पाम, पामोलीन को छोड़कर अन्य तेल-तिलहनों में गिरावट आई है. तेल-तिलहन बाजारों में कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल की कीमतों में तेजी आई, जबकि अन्य तेल-तिलहनों जैसे की सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन, बिनौला तेल के दाम गिरावट देखने को मिला.
पाम ऑयल में तेजी क्यों
बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह कच्चे पामतेल (सीपीओ) का दाम 910 डॉलर प्रति टन से सुधरकर 930 डॉलर प्रति टन हो गया. यानी जिस सीपीओ का दाम सोयाबीन से 200-250 डॉलर नीचे रहा करता था वह मौजूदा समय में सोयाबीन से भी अधिक हो गया है. सोयाबीन का दाम 920-925 डॉलर प्रति टन है. पाम तेल की अधिकांश मांग बेकरी कंपनियों की होती है. विदेशों में दाम मजबूत होने के कारण यहां समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ और पामोलीन लाभ दर्शाते बंद हुए. आयात की कमी के बावजूद सस्ते आयातित तेल के आगे मांग कमजोर रहने के बीच अन्य सभी तेल-तिलहनों के दाम गिरावट के साथ बंद हुए. सूत्रों ने कहा कि सरसों की नयी फसल की मंडियों में आवक 15 फरवरी तक शुरू होने की उम्मीद है.
तेल की कीमत में गिरावट की वजह
सरसों की इस बार फसल भी बेहतर है. सरसों का पिछले साल का भी बचा स्टॉक है. तेल संगठन ‘सीओओआईटी’ के चेयरमैन बाबूलाल दाता ने सरसों की नयी फसल 130 लाख टन रहने का अनुमान व्यक्त किया है और पिछले साल का बचा (कैरी ओवर) स्टॉक 15 लाख टन का होने की बात कही है. सूत्रों ने कहा कि सरसों की नयी फसल और पहले के बचे स्टॉक के मंडियों में खपने की स्थिति नहीं है क्योंकि सस्ते आयातित तेल के थोक दाम काफी नीचे हैं। इससे पूरे बाजार की धारणा काफी कमजोर बनी हुई है। यह कमजोरी सिर्फ खाद्य तेलों के थोक दाम तक ही सीमित है लेकिन खुदरा बाजार में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) ऊंचा निर्धारित किये जाने के कारण यही सस्ता आयातित तेल उपभोक्ताओं को महंगे में प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों की नयी फसल आने और उसके खपने की संभावना कमजोर रहने के बीच सरसों खाद्य तेल-तिलहन के भाव हानि दर्शाते बंद हुए। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में डी-आयल्ड केक (डीओसी) की मांग कमजोर रहने से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में भी गिरावट देखी गई.
सूरजमुखी तेल की कीमत
वैसे आयात के लिए दिसंबर में सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का कम लदान हुआ है. दिसंबर में सूरजमुखी तेल का 40,000 टन का लदान हुआ है जो खपत को देखते हुए काफी कम है. सूत्रों ने कहा कि ऊंचा दाम होने तथा आयातित सस्ते खाद्य तेलों से लगभग दोगुना दाम होने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन की मांग कमजोर है और लिवाली कम है. आयातित खाद्य तेलों के आगे मांग प्रभावित होने से मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट आई. उन्होंने कहा कि देशी सरसों, मूंगफली, बिनौला, सोयाबीन, सूरजमुखी जैसी तिलहन फसलों की पेराई में स्थानीय तेल मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है क्योंकि पेराई के बाद और अधिक लागत बढ़ने की वजह से ये खाद्य तेल, आयातित सस्ते खाद्य तेलों से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं रह जाते. देश में आयात कम होने की वजह से आयातित सोयाबीन और सूरजमुखी तेल प्रीमियम राशि के साथ बेचा जा रहा है जो कम आयात का सूचक है. पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 145 रुपये की गिरावट के साथ 5,370-5,420 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. सरसों दादरी तेल का भाव 45 रुपये घटकर 9,880 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 20-20 रुपये हानि के साथ क्रमश: 1,690-1,785 रुपये और 1,690-1,790 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ.
सोयाबीन दाने का भाव
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 110-110 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,895-4,925 रुपये प्रति क्विंटल और 4,705-4,745 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 75 रुपये, 50 रुपये और 175 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 10,000 रुपये और 9,775 रुपये और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. काफी महंगा दाम बैठने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 115 रुपये की गिरावट के साथ 6,550-6,625 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 250 रुपये और 40 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 15,500 रुपये क्विंटल और 2,310-2,585 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। विदेशों में सीपीओ के दाम में मजबूती आने के बाद समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 125 रुपये के सुधार के साथ 8,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. पामोलीन दिल्ली का भाव 25 रुपये के सुधार के साथ 9,125 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 75 रुपये की बढ़त के साथ 8,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ. गिरावट के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 50 रुपये घटकर 8,475 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ.