Sugarcane FRP: लोकसभा चुनाव से पहले गन्ना किसानों को राहत, सरकार ने FRP में 25 रुपये का इजाफा किया
What is FRP: सरकार की तरफ से गन्ना किसानों को ध्यान में रखकर उठाए गए कदम का फायदा करोड़ों किसानों को मिलेगा. एफआरपी में किया गया 8 प्रतिशत का इजाफा अब तक सरकार की तरफ से की गई सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है.
Cabinet Decision on Sugarcane FRP: सरकार की तरफ से लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को खुशखबरी दी गई है. सरकार ने बुधवार को 2024-25 सत्र के लिए गन्ने का एफआरपी 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने को मंजूरी दे दी. गन्ने का नया सत्र अक्टूबर से शुरू होता है. फेयर एंड रिम्यूनेरेटिव प्राइस (FRP) वह न्यूनतम कीमत है, जो मिलों को गन्ना उत्पादकों को चुकानी पड़ती है. गन्ने की एफआरपी (FRP) बढ़ाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में लिया गया. 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी मोदी सरकार द्वारा की तरफ से की गई सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है.
गन्ना किसानों को मिली राहत
लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की तरफ से उठाए गए इस कदम से किसानों को राहत मिली है. गन्ने की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उगाया जाता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीडिया से कहा, 'गन्ना किसानों के फायदे को ध्यान में रखते हुए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने चीनी सत्र 2024-25 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) को 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल पर मंजूरी दे दी है.'
क्या है एफआरपी
देश में एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) वो न्यूनतम दर है जिस पर चीनी मिलों को कानून के अनुसार किसानों को गन्ने के लिए न्यूनतम मूल्य देना होता है. एफआरपी को सरकार की तरफ से तय किया जाता है. एफआरपी तय करने में गन्ना उत्पादन का खर्च (मजदूरी, खाद, सिंचाई और मशीनों का खर्च), दूसरी फसलों से होने वाला मुनाफा, खेती की चीजों के दामों का उतार-चढ़ाव, ग्राहकों के लिए चीनी की उपलब्धता, चीनी बनाने का खर्च और मुनाफे आदि को ध्यान में रखा जाता है. अक्टूबर-सितंबर 2024-25 सीजन के लिए एफआरपी 340 रुपये प्रति क्विंटल है, यह पिछले साल से 8 परसेंट ज्यादा है.