Marriage Rituals: खरमास का महीना खत्‍म हो चुका है और अब फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो चुके हैं. जनवरी माह में ही विवाह के लगभग 9 शुभ मुर्हूत है. शादी में हर जगह तरह तरह की रस्‍में होती हैं. ऐसे में आपने कभी सोचा है कि ये रस्‍में क्‍यों की जाती है? अगर आप इनके महत्‍व के बारे में नहीं जानते हैं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि शादी में मेहंदी क्यों लगाई जाती है? शादी में दूल्‍हे को घोड़ी पर ही क्‍यों बिठाया जाता है? सात फेरे लेने का क्‍या मतलब होता है? 


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शादी में क्यों लगाई जाती है मेहंदी


शादी में दूल्हा और दुल्हन को मेहंदी लगाने का रिवाज है. इस अवसर पर घर परिवार की लड़कियां और महिलाएं भी मेहंदी लगाती हैं. आपको बता दें कि मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता भी है कि मेंहदी जितनी गहरी रचती है. भविष्य में उन लोगों का वैवाहिक जीवन भी उतना ही शानदार होता है. इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि शादी के वक्‍त कई तरह की टेंशन होती हैं. ऐसे में मेहंदी लगाने से मानसिक शांति मिलती है. 


घोड़ी पर इसलिए बैठता है दूल्हा


आपने बचपन से ही कई शादियों में देखा होगा कि दूल्‍हा घर से घोड़ी पर बैठकर निकलता है. दरअसल, घोड़ी को सभी जानवरों में सबसे चंचल और कामुक माना गया है. इसी वजह से वर को घोड़ी की पीठ पर बैठाया जाता है और बारात निकाली जाती है. इसके अलावा एक मान्‍यता यह भी प्रचलित है कि वर इन दोनो बातों को स्वयं पर हावी न करें. इसलिए उसे घोड़ी की पीठ पर बैठा दिया जाता है.


सात फेरे लेने का क्‍या है मतलब? 


शादी की रस्मों में सबसे जरूरी रस्‍म होती है, दूल्‍हा और दुल्‍हन के द्वारा फेरे लेना. वे अग्नि के सामने सात फेरों लेकर सात वचन लेते हैं. इसमें भी पहले तीन फेरों में दुल्हन आगे रहती है फिर बाकी के फेरों में दूल्हा आगे रहता है. ऐसे में दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को सात वचन देते हैं. इस रस्‍म के बाद ही विवाह संस्कार पूरा माना जाता है.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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