Pitra Dosh Kya Hota Hai: ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष के लिए ग्रहों की कुछ स्थितियां बतायी गयी हैं. किसी व्यक्ति की कुंडली में उस तरह की स्थितियों का निर्माण होने से पितृ दोष बनता है. पितृ दोष भी कई प्रकार का होता है, किंतु किसी भी तरह के पितृ दोष को दूर करने के 29 सितंबर से शुरु हो रहे पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए. भारतीय ज्योतिष के अनुसार, सूर्य को इस सौरमंडल का राजा माना जाता है. सूर्य से पिता की स्थिति का अवलोकन किया जाता है. शनि सूर्य का पुत्र है और सूर्य का सैद्धांतिक विरोधी भी है. ज्योतिष में राहु दादा का कारक है और केतु नाना का कारक होता है. 


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सूर्य और शनि का संबंध


कुंडली में जब सूर्य का संबंध शनि व राहु से हो जाए और इसके साथ ही कुंडली के नौवें भाव का भी संबंध हो जाए तो पितृदोष उत्पन्न हो जाता है. सूर्य के साथ शनि यदि नौवें भाव में है तो निस्संदेह यह पितृ दोष होता है. सूर्य और शनि का संबंध यह बता रहा है कि यह पितृ दोष हाल की ही पीढ़ियों का है. इसका अर्थ यह समझना है कि नाराजगी लंबी नहीं है यदि प्रायश्चित किया जाए तो पितर अपना गुस्सा त्याग कर आपसे प्रसन्न भी हो सकते हैं.  


सूर्य और राहु का संबंध


सूर्य यदि राहु के साथ हो तो मामला कई पीढ़ी पीछे का होता है और शांत करने का उपाय न करने से पितर अपना कोप बढ़ाते जा रहे हैं. जिनकी कुंडली में राहु और सूर्य साथ हैं उनको बिना देर किए पितृदोष का उपाय करना चाहिए. सूर्य और शनि की युति दूसरे भाव में होने पर भी पितृदोष बनती है. दूसरे भाव में सूर्य और राहु की युति गंभीर दोष बनाती है और यदि तीनों ग्रहों की युति है तो समझना चाहिए कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी से चला आ रहा पितृदोष है. ऐसी स्थिति में परिवार के सभी लोगों की कुंडली में यह योग पाया जाता है या इसके लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे परिवारों पर सामूहिक भयंकर संकट आते हैं.


Pitra Dosha: इन कारणों से कुंडली में बनता है भयंकर पितृ दोष, पितृ पक्ष में इस जीव के घर आने से मिलता है सौभाग्य
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