Shani Ka Kis Bhav Mein Kya Asar Hota hai: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं. अच्छे कर्मों का फल अच्छा और बुरे कर्मों का फल बुरा होता है.इसी कारण लोग शनि के नाम से भी कांपते हैं.  आज हम जानेंगे शनि कुंडली के किस भाव नें होने पर कैसा फल प्रदान करते हैं. ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति का भविष्य तय करती है. जानें किस भाव में कैसा फल देते हैं शनि.
 
प्रथम या लग्नेश भाव में शनि का प्रभाव


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कुंडली में शनि के पहले भाव में होते हैं और अगर वे उच्च के हैं तो व्यक्ति व्यक्ति राजसी जीवन जीता है. व्यक्ति की जिंदगी ऐश्वर्यपूर्ण होती है. ऐसे  व्यक्ति में नेतृत्व की अच्छी क्षमता होती है. ऐसे में व्यक्ति को शराब और मांसाहारी भोजन से परहेज करना चाहिए. इन चीजों से दूर रहने पर शनि शुभ फल देते हैं.


शनि का दूसरे भाव में होना


अगर शनि दूसरे भाव में विरामान हैं, तो व्यक्ति बुद्धिमान, दयालु और न्याय करने वाला होता है।. ऐसा व्यक्ति स्वभाव से आध्यात्मिक और धार्मिक बनता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय उसके जन्म स्थान या पैतृक निवास स्थान से दूर ही होता है. करियर या अन्य कारण की वजह से ऐसा व्यक्ति परिवार  से दूर ही रहता है.


तीसरे भाव में शनि का प्रभाव


शनि का तीसरा भाव व्यक्ति को सफल बनाता है. ऐसा व्यक्ति अपने दम और संघर्ष के बलबूते पर सफल मुकाम हासिल करतें हैं. समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. भरपूर स्त्री सुख मिलता है. वहीं, अगर तीसरे भाव में शनि अशुभ स्थिति में हो, तो ये व्यक्ति को आलसी बनाता है.


चौथे भाव में शनि का प्रभाव


शनि का चौथा भाव में होना अशुभ माना गया है. इस दौरान व्यक्ति को कई हेल्थ इश्यू रहता है. व्यक्ति लाइफ में मकान बनाने से भी वंचित रह जाता है. ये स्थान माता का भी माना जाता है. इस दौरान माता के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.  


पांचवें भाव में शनि


शनि का पांचवें भाव नमें होना व्यक्ति को रहस्यवादी बनाता है. ऐसा व्यक्ति अपने राज कभी भी किसी के सामने नहीं रखता.  न ही अपनी भावनाएं दूसरों से शेयर करता है. इतना ही नहीं, पत्नी और बच्चों की भी चिंता नहीं रहती.


छठे भाव में शनि


छठे भाव में शनि होने पर व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय हासिल करता है. ये व्यक्ति को बहादुर बनाता है. इस भाव को रोग और शत्रु का स्थान भी माना गया है. अगर केतु साथ बैठा हो, तो व्यक् को धनवान बना देता है. लेकिन अगर वक्री अवस्था में हो तो आलसी और रोगी बनता है.


सातवें भाव में शनि का प्रभाव


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर शनि सातवें भाव में है, तो व्यापार में सफलता हासिल करता है. खासतौर से मशीनरी और लोहे का काम उसे शुभ फल देता है. इसे दांपत्य भाव भी कहा जाता है. अगर व्यक्ति पत्नी के साथ अच्छे संबंध नहीं रखता तो ये नीच और हानिकारक हो जाता है.इस दौरान व्यक्ति को प्रोफेशनल लाइफ में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.


आठवें भाव में शनि का प्रभाव


अगर किसी जातक की जन्म कुंडली के अष्टम भाव में शनि विराजमान है, तो ये व्यक्ति की आयु लंबी करता है. लेकिन इसे पिता के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता.


नवम भाव में शनि


नवम यानी भाग्य भाव में शनि के होने पर व्यक्ति को बहुत पॉजिटिव प्रभाव देखने को मिलते हैं. व्यक्ति का भाग्योदय होता है. ऐसे व्यक्ति के जीवन में तीन घरों का सुख लिखा हता है. अगर संभव हो तो ऐसे व्यक्ति को लाइफ में एक मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए.


दशम भाव में शनि


बता दें दशम भाव राज दरबार और पिता का स्थान माना जाता है. इस भाव में शनि अच्छे परिणाम देता है. ऐसा व्यक्ति सरकार से लाभ पाता है. बहुत से मंत्रियों की कुंडली में शनि इसी भाव में बैठते हैं. और ऐसे व्यक्ति कभी-कभी नामी ज्योतिष बनते हैं.


ग्यारहवें भाव में शनि


शनि का ग्याहरवें भाव में बैठना व्यक्ति को धनी बनाता है. ऐसा व्यक्ति कल्पनाशील होता है. जिंदगी के सभी सुख पाता है. हालांकि ये लोग चापलूसी प्रवृत्ति के होते हैं.


बारहवें भाव में शनि


अगर किसी जातक की कुंडली में शनि बाहरवें भाव में बैठे हैं, तो वे अच्छे परिणाम देंगे. ऐसा व्यक्ति परिवार में सुख पाता है. इतना ही नहीं, बिजनेस में वृद्धि होती है.  लेकिन अगर ये व्यक्ति शराब पीना शुरू कर दे या फिर मांस खाना शुरू कर दे, तो शनि व्यक्ति का मन अशांत कर देता है. ऐसे व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं.


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)