Which Kaal Sarp Dosh is Most Dangerous: वासुकि कालसर्प योग तब बनता है, जब किसी की कुंडली में राहु तृतीय भाव तथा केतु नवम भाव में होता है और अन्य सभी ग्रह इनके बीच में स्थित होते हैं. यह दोष प्रसिद्ध वासुकि नाग के नाम पर है, जो महर्षि कश्यप के पुत्र थे और उनकी पत्नी कद्रु के गर्भ से पैदा हुए थे. यह वही बलशाली नाग हैं, जिनका प्रयोग समुद्र मंथन में सुमेरू पर्वत को बांधने में किया गया था और शिवजी के गले में निवास करता है.  


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इस दोष से पीड़ित व्यक्ति का पूरा जीवन ही संघर्ष में गुजरता है, क्योंकि इन्हें भाग्य का साथ नहीं मिलता है. नौकरी करते हों या फिर कारोबार, हर क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्रगति में बार बार रुकावटें आती हैं. पारिवारिक विरोध का सामना करना होता है. अपने से छोटे भाई-बहनों से मनमुटाव होना आम बात होती है. जिन मित्रों को सुख दुख का साथी मानते हैं उनसे अक्सर धोखा मिलने की आशंका रहती है. 


धर्म के प्रति कम विश्वास रखते हैं या फिर नास्तिकता प्रवृत्ति के होते है. कानूनी रुकावटें भी देखने को मिलती हैं. व्यक्ति धन तो अवश्य ही कमाता है, किंतु उस कमाई के साथ कोई-न-कोई समस्याएं जुड़ी रहती है. उसे यश, पद, प्रतिष्ठा पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. इन लोगों के विवाह में भी बाधा आती है और सगाई टूटना या विवाह तय होने के बाद टूटने जैसे घटनाएं होती हैं, विवाह हो गया तो उसके बाद भी बाधा रहती है. 


उपाय


कालसर्प से पीड़ित लोगों के एक वर्ष तक प्रतिदिन नवनाग स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. भगवान श्री कृष्ण की पूजा से भी इस दोष के प्रभाव में कमी आती है. राहु-केतु की दशा और अंतर्दशा रहने तक रोज 11 माला महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी इस दोष के प्रभाव को कम करने में सहायक रहता है. शनिवार के दिन शनि देव का तैलाभिषेक  और मंगलवार को हनुमान जी को चोला चढ़ाने से भी लाभ मिलता है.


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