Car Loan EMI: नई कार खरीदना बहुत लोगों का सपना होता है. लेकिन महंगाई के इस दौर में कारों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. इस समय सबसे सस्ती कार भी आपको कम से कम 5 लाख रुपये की मिलने वाली है. यही वजह है कि कुछ लोग सेकेंड हैंड कार को खरीदना ही सही समझते हैं. जबकि बहुत से लोग इस कन्फ्यूजन में रहते हैं कि उन्हें नई कार ईएमआई पर लेनी चाहिए या सेकेंड हैंड कार का विकल्प चुनना चाहिए. आज हम एक उदाहरण के जरिए आपके इस कन्फ्यूजन को दूर करने जा रहे हैं.


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कार की औसत आयु
एक कार की औसत आयु 10 से 15 साल होती है. कोई खास मरम्मत कराए बिना इसका इंजन आराम से एक से डेढ़ लाख किलोमीटर तक चल सकता है. यानी औसतन देखा जाए तो कार हर साल 10,000 किलोमीटर या उससे ज्यादा चल सकती है. इस लिहाज से अगर आप 2 साल पुरानी या करीब 20 हजार किमी. चली हुई कोई पुरानी कार देखते हैं तो इसे अच्छी कंडिशन माना जाएगा. 



उदाहरण से समझिए
एक व्यावहारिक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं. मान लेते हैं कि कि आपके पास 4 लाख रुपए हैं और आप Hyundai i20 का सेकंड बेस मॉडल Sportz(Petrol) खरीदना चाहते हैं. इसकी ऑन रोड कीमत 9 लाख रुपये है. अब आपके सामने दो ऑप्शन हैं.


पहला विकल्प है कि आप बैंक से 5 लाख रुपए का कार लोन लेकर 9 लाख रुपए की नई कार खरीदें. अगर लोन 6 साल के लिए लिया जाए तो 10 फीसदी की ब्याज दर के हिसाब से आपको करीब 6.5 लाख रुपए चुकाना पड़ कता है. 
यानी कुल खर्च 4 लाख + 6.5 लाख = 10.5 लाख रुपए होते हैं.


दूसरा विकल्प है कि आप 4.5 लाख रुपए में एक 2 साल पुरानी कार खरीदें. इससे 6 लाख रुपए की बचत होगी.


सेकेंड हैंड कार का खर्चा
नई कार के मुकाबले सेकेंड हैंड कार में आपको थोड़ा ज्यादा खर्च करना होगा. इसमें माइलेज कम होने से आपको फ्यूल का ज्यादा खर्च और ज्यादा मेंटेनेंस के कारण अतिरिक्त खर्च हो सकते हैं. हालांकि, दोनों अतिरिक्त खर्चों को जोड़ने पर भी कुल 2 लाख रुपए से अधिक नहीं होते हैं. यानी नई कार के मुकाबले आप सीधा 4 लाख रुपए की बचत कर रहे हैं. 


क्या खरीदना सही
ऊपर बताए गए गणित को समझकर यही कहा जा सकता है कि अच्छी कंडिशन वाली सेकेंड हैंड कार खरीदना आपके लिए मुनाफे का सौदा होता है.