नई दिल्लीः भारत में इलेक्ट्रिक वाहन ट्रेंड में आ चुके हैं और इनकी मांग के साथ इस्तेमाल भी बढ़ रहा है. भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग की सेवा को और किफायती बनाने वाली तकनीक आईआईटी बीएचयू के रिसर्चर्स ने खोज ली है. इलेक्ट्रिकल इंजीरियरिंग विभाग के एक ग्रूप ने दो-पहिया और चार-पहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग में लगने वाली राशि को करीब आधा कर दिया है. इस तकनीक की मदद से कम कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहन बनाए जा सकेंगे.


महंगे क्यों है इलेक्ट्रिक वाहन?


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डॉ. राजीव कुमार सिंह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और चीफ प्रोजेक्ट इंवेस्टिगेटर हैं, उन्होंने कहा, “देश में बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतें आम आदमी के लिए बहुत चिंता की बात हो गई है. प्रदूषण भी बहुत बुरी तरह प्रभावित है, ऐसे में सामान्य वाहनों के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन बहुत अच्छा विकल्प हैं, लेकिन हाई पावर ऑफ बोर्ड चार्जिंग की व्यवस्था उतनी बेहतर नहीं है. यही वजह है कि वाहन निर्माता इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ ऑनबोर्ड चार्जर दे रहे हैं. वाहन मालिक ईवी को आउटलेट से भी चार्ज कर सकते हैं, यही वजह है कि इलेक्ट्रिक वाहन महंगे हैं.”


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नई तकनीक कैसे है कारगर?


प्रोफेसर ने आगे बताया कि नई तकनीक ऑनबोर्ड चार्जर की लागत को लगभग 50 प्रतिशत कम कर देती है. इससे सीधे तौर पर इलेक्ट्रिक वाहन की कीमत में भी फर्क आता है. इस तकनीक का इलेक्ट्रिक वाहन जगत में बड़ा प्रभाव पड़ेगा. लैब में इसपर काम किया जा चुका है और इसे कमर्शियलाइज करने का काम शुरू हो चुका है. इस तकनीक को बनाने में अपने-अपने सेक्टर के कई माहिर लोगों ने अपना योगदान दिया है. ये अनोखी तकनीक सरकार के ई-मोबिलिटी मिशन की राह में बड़ा रोल निभाने वाली है.