Mercedes S-Class Breakdown: भारतीय बाजार में सबसे ज्यादा लग्जरी कारें मर्सिडीज बेचती है. कंपनी की कारों को इसके शानदार लुक, लग्जरी फीचर्स और सेफ्टी के लिए खरीदा जाता है. लेकिन क्या हो अगर आप 2 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च करके कंपनी की सबसे ज्यादा लग्जरी सेडान कार खरीदें और यह बीच रास्ते आपको धोखा दे दे. हाल ही में ऐसी ही एक घटना दिल्ली के रहने वाले व्यापारी हिमांशु सिंघल के साथ हुई है. उन्होंने मई महीने में कंपनी की लग्जरी सेडान मर्सिडीज एस क्लास (Mercedes S-Class) खरीदी थी, जिसके लिए उन्होंने 2.10 करोड़ रुपए खर्च किए थे. अभी तक यह कार सिर्फ 650 किलोमीटर ही चली थी और अचानक चलते-चलते बंद पड़ गई. ऐसे में ग्राहक को आधी रात मदद मांगनी पड़ी. यहां हैरान करने वाली बात है कि कंपनी भी अभी तक इस कार में आई परेशानी का पता नहीं लगा पाई है. इस बीच ग्राहक का कहना है कि उन्हें ठगा हुआ महसूस हो रहा है, ऐसे में वह कार की पूरी रकम वापस चाहते हैं.


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Zee News से बातचीत में हिमांशु ने बताया कि घटना 12 जून 2023 की है, जब वह मेरठ से दिल्ली आ रहे थे. तब दिल्ली-मेरठ हाईवे पर अचानक कार से तेज आवाज आने लगी और यह अचानक बंद पड़ गई. हिमांशु ने बताया, "हाईवे पर तेजी से चल रहे ट्रैफिक के बीच हमें अपनी जान बचानी भारी पड़ रही थी. मेरे साथ कुछ कैश भी था, जिसकी वजह से मुझे काफी इन सिक्योर महसूस हो रहा था. घटना शाम 7:30 बजे की है और हमने तुरंत मर्सिडीज से मदद मांगी. लेकिन कई घंटे इंतजार के बाद भी हमारी कार लेने कोई नहीं आया. मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि मुझे सीधा अस्पताल जाना पड़ गया. मर्सिडीज ने अगले पूरे दिन कार की जांच पड़ताल की, लेकिन फिर भी मर्सिडीज की टीम इसमें हुई खामी को नहीं पहचान पाई.



हिमांशु सिंघल का दावा है कि वह मर्सिडीज़ के पुराने ग्राहक हैं और इस कार से पहले भी पांच अलग-अलग मर्सिडीज गाड़ियां खरीद चुके हैं. उनके पास Mercedes GLE और Mercedes E-Class अभी भी मौजूद है. लेकिन इस 2.10 करोड़ रुपये की कार को खरीदकर वह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. उन्होंने ना सिर्फ इस संबंध में ट्वीट किया, बल्कि कंपनी को अपनी बात बताते हुए एक मेल भी लिखा है. फिर भी कंपनी की तरफ से अभी तक उन्हें कॉन्टैक्ट नहीं किया गया. 



उन्होंने अपने मेल में लिखा, "मैं, हमारा ड्राइवर और पूरा परिवार उस घटना को सोचकर भी डर जाते हैं, जो कंपनी के सबसे प्रीमियम मॉडल यानी एस-क्लास की खराब गुणवत्ता के कारण हुई है. ऐसा लगता है कि जब "भारतीयों" के जीवन की बात आती है तो जर्मन निर्माता सेफ्टी के संबंध में एक अलग मानदंड रखते हैं."