Second Hand Car Market Scams: क्या आप सेकंड हैंड कार खरीदने की योजना बना रहे हैं? तो अच्छा होगा कि आप मार्केट में होने वाले कुछ स्कैम के बारे में जान लें. आइए, आपको कुछ स्कैम्स के बारे में बताते हैं, जो अक्सर बिना-भरोसे वाले यूज्ड कार डीलर या प्लेटफॉर्म से कार खरीदने के बाद के दौरान होते हैं.


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1. ब्याज दर


सेकंड हैंड कार मार्केट में आमतौर पर ब्याज की उंची दरें वसूली जाती हैं. तो अगर कोई विक्रेता आपसे फ्लैट इंटरेस्ट रेट का वादा करता है, तो सावधान हो जाइए. ये बातें सुनने में लुभावनी लग सकती हैं, लेकिन, अक्सर इनमें यह नहीं बताया जाता कि कार लोन रीड्यूसिंग रेट बेसिस पर दिए जाते हैं. यानी हो सकता है कि आप धोखे का शिकार हो जाएं और आपको बताई गई ब्याज दर की तुलना में आपको दोगुना ब्याज देना पड़े.


2. कार ओनर डिटेल


अक्सर सेकंड हैंड कार बेचने वाले विक्रेता, कार के पिछले मालिकों की संख्या के बारे में जरूरी जानकारी छिपा लेते हैं, ऐसे में खरीदार को कार की हिस्ट्री और अन्य जरूरी जानकारी नहीं मिलती. वह कार के ओरिजिनल डॉक्यूमेन्ट जैसे आरसी (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) दिखाने के बजाए, आपको फोटोकॉपी दिखाते हैं, जिसमें सिर्फ एक ही मालिक के बारे में बताया जाता है. और, कार की ज्यादा कीमत का झांसा दिया जाता है. तो हमेशा फिज़िकल ओरिजिनल डॉक्यूमेन्ट देखने के बाद ही कार खरीदने का फैसला सोच-समझ कर लीजिए.


3. व्हीकल टाइटल


अक्सर पुरानी कार बेचने वाले विक्रेता इसके टाइटल को किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफर कर देते हैं, जिससे कार की हिस्ट्री जैसे बाढ़ के कारण खराबी, पूरी तरह से खराब हो चुकी कार (जिसकी मरम्मत न हो सके), ऐसे ज़रूरी पहलुओं को छिपा लिया जाता है. और, खरीदार धोखे में आकर अनजाने में खराब कार खरीद लेता है. एक तरह  से यह जोखिम से भरा गेम है, जिसमें कार की खराब स्थिति और हिस्ट्री को छिपाया जाता है.


4. ओडोमीटर रोलबैक


सेकंड हैंड कार खरीदते समय ध्यान रखें कि ओडोमीटर रोलबैक करके आपको धोखा तो नहीं दिया जा रहा. कई बार कार बेचने वाले ओडोमीटर के साथ छेड़छाड़ करते हैं, जिससे खरीदार की कीमत का गलत अंदाजा लगता है. ओडोमीटर में बदलकर करके कार की हिस्ट्री छिपा ली जाती है, जिससे उसे ज़्यादा कीमत पर बेचा जा सके. इसलिए, कार खरीदने का फैसला लेने से पहले इसके रिकॉर्ड की जांच-पड़ताल अच्छी तरह कर लें. हर अच्छी दिखने वाली चीज़ अच्छी ही हो, ऐसा ज़रूरी नहीं.


5. सैलवेज टाइटल स्टेटस


सेकंड हैंड कार मार्केट में कई बार जानकारी छिपाकर ऐसे व्हीकल्स बेचे जाते हैं, जिन्हें बीमा कंपनियों द्वारा पहले टोटल लॉस घोषित कर दिया गया होता है. ये कारें पूरी तरह से खराब घोषित हो चुकी होती हैं या कई बार तो चोरी से रिकवर हुई होती हैं. ऐसे में सैलवेज टाइटल को जाने बिना कार खरीदना आपके लिए अफ़सोस का कारण बन सकता है. इसलिए सतर्क रहें, खरीदने से पहले पूरी जांच-पड़ताल कर लें. 


6. फेक इंस्पेक्शन


कुछ विक्रेता कार के इन्सपेक्शन और इसकी स्थिति की फर्जी रिपोर्ट दिखा कर खरीदार को धोखा देते हैं. वह आपका भरोसा जीतने के लिए झूठा दावा करते हैं कि कार का इंस्पेक्शन किया गया है ताकि आप बिना जांच-पड़ताल किए इसे खरीद लें. ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपने भरोसेमंद मैकेनिक से इसकी जांच कराएं, जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल की मदद लें. उनके द्वारा सही रिपोर्ट मिलने पर ही कार खरीदने का फैसला लें.


7. बैट एंड स्विच


विक्रेताओं द्वारा इस तरह के धोखे के झांसेमें न आएं. वह आपको लुभावना ऑफर देकर फंसा सकते हैं और ज़्यादा दाम पर वाहन खरीदने के लिए दबाव बना सकते हैं. और, बाद में आपको पता चलेगा कि आपको ठगा जा चुका है. इसलिए, सतर्क रहें और इस बात पर ज़ोर दें कि जो वादा आपसे किया गया है, उसे पूरा किया जाए.


8. वीआईएन क्लोनिंग


कई बार धोकेबाज व्हीकल आइडेन्टिफिकेशन नंबर (वीआईएन) का क्लोन बना लेते हैं, वह चुराई गई कार के जाली दस्तावेज आपके सामने रख देते हैं. इससे खरीदार लीगल पछड़े में फंस सकता है. इसलिए, वीआईएन और कार की हिस्ट्री हमेशा वेरिफाई करें, कहीं अनजाने में आप चोरी की कार न खरीद लें. सेफ्टी को हमेशा टॉप पर रखें. यह जानकारी कार्स24 की ओर से मुहैया कराई गई है.