नई दिल्ली: ऑटो एक्सपो 2018 में टाटा मोटर्स ने अपनी नई एसयूवी 'H5X' पेश की. यह एसयूवी लैंडरोवर के डिस्कवरी स्पोर्ट मॉडल पर आधारित है. ये टाटा की पहली इलेक्ट्रिक व्हीकल कांसेप्ट कार होगी. टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गुएंटर बुश्चेक ने ऑटो शो में कंपनी के नए हैचबैक मॉडल को पेश किया. गुएंटर बुश्चेक का कहना है कि कंपनी का पूरा फोकस फ्यूचर मोबिलिटी पर है, जिसके तहत कंपनी ने ऑटो एक्सपो में 10 इलेक्ट्रिक वाहन पेश किए. कंपनी अपने प्लान को लेकर ही ऑटो एक्सपो में उतरी है.


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क्या है मिशन 2030
सरकार के मिशन 2030 के तहत सड़कों पर केवल इलेक्ट्रिक वाहनों को ही चलाने की योजना है. उसी को लेकर उन्होंने भविष्य के वाहनों के बारे में कहा कि इस मुद्दे पर सरकार और समूचे वाहन की तरफ से एक राय और स्पष्ट सोच की जरूरत है. टाटा का प्लान है कि 2022 तक टेक्नोलॉजी पर आधारित वाहन तैयार किए जाएंगे. इससे कंपनी को अपना मार्केट शेयर बढ़ाने में मदद मिलेगी.  


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क्या है टाटा का प्लान
टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार सेगमेंट के प्रेसीडेंट मयंक पारेक ने जी न्यूज से खास बातचीत में कहा कि इलेक्ट्रिक कारों के कारोबार में टाटा की नंबर वन ब्रांड बनने की कोशिश है. वह इसके जरिए अपना मार्केट शेयर भी बढ़ाएगी. फिलहाल, टाटा का मार्केट शेयर 7% है, लेकिन, कंपनी के पास इलेक्ट्रिक मॉडल और टेक्नोलॉजी के दम पर भारत में नंबर वन बनने की क्षमता है.


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2030 तक 100% कमर्शियल व्हीकल होंगे इलेक्ट्रिक
सरकार ने साल 2030 तक 100% वाणिज्यिक वाहनों और 40% पैसेंजर वाहनों को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा है. टाटा मोटर्स भी बीएस 6 फ्यूल और इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम कर रही है. मयंक पारेक का दावा है कि 2022 तक उनके पास सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक पैसेंजर वाहन होंगे. हालांकि, दूसरी कंपनियां भी इस मॉडल पर काम कर रही हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के मामले में टाटा उनसे कहीं आगे निकल जाएगी.


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टाटा मोटर्स ने 10000 इलेक्ट्रिक वाहन बेचे
सरकारी कंपनी इनर्जी एफिशियंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) ने टाटा मोटर्स से 10,000 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदा है. इस बारे में मयंक पारेख का कहना है कि पहले चरण में 500 वाहनों की डिलीवरी इस महीने तक पूरी हो जाएगी और बाकी वाहनों की डिलीवरी बाद में की जाएगी.


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दुनि‍या का दूसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला ऑटो मार्केट है भारत
भारतीय व्‍हीकल्‍स इंडस्‍ट्री साल 2017 में फुल स्‍पीड के साथ आगे बढ़ी है. नई कारों और लाइट कमर्शि‍यल व्‍हीकल्‍स की सेल्‍स 8.8 फीसदी की बढ़त के साथ रि‍कॉर्ड 36.1 लाख यूनि‍ट्स पर रही. यही वजइ है कि‍ वॉल्‍यूम के हि‍साब से भारत दुनि‍या का दूसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया है. 


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जल्‍द महंगी होंगी कारें
ऑटोमोबाइल कंपनि‍यों का कहना है कि‍ आने वाले दि‍नों में अगर कॉम्‍पोनेंट इंपोर्ट महंगा होने से मैन्‍युफैक्‍चरिंग की लागत बढ़ी तो उन्‍हें इसका बोझ कस्‍टमर्स पर डालना होगा. दरअसल, बजट 2018 में सरकार ने मेक इन इंडि‍या को बढ़ावा देने के लि‍ए कई प्रोडक्‍ट्स पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ा दि‍या है. इसमें ऑटोमोबाल कॉम्‍पोनेंट्स और पार्ट्स भी शामि‍ल हैं. सरकार ने कम्‍पलि‍टली नॉक डाउन (CKD) और कम्‍पलि‍टली बि‍ल्‍ड यूनि‍ट (CBU) की इंपोर्ट ड्यूटी को 5 फीसदी बढ़ा दि‍या है. ऐसे में मर्सडीज-बेंज, बीएमडब्‍ल्‍यू, ऑडी के अलावा टाटा मोटर्स, ह्युंडई और महिंद्रा जैसी कंपनि‍यों भी चुनिंदा मॉडल्‍स के दाम बढ़ा सकती हैं.


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कंपनि‍यों पर कीमत बढ़ाने का दबाव
मयंक पारेख का कहना है कि कंपनी का पूरा फोकस ज्यादा प्रोडक्‍शन को लोकलाइज करने पर होता है. इससे इंपोर्ट ड्यूटी का असर कम पड़ता है. हालांकि, कारोबार का साइज ज्‍यादा होने पर इंपोर्ट की जरूरत पड़ती है. पारेख के मुताबिक, कंपनी पर कीमत बढ़ाने का दबाव हमेशा होता है. आगे भी कीमतों को बढ़ाने पर फैसला लिया जा सकता है.